नए लेबर कोड के अनुरूप ही होने चाहिए राज्यों के श्रम कानून : केन्द्र सरकार
श्रम मंत्रालय का विचार है कि जब देश के श्रम कानूनों में नए लेबर कोड जोडे जाएं तो उनमें और राज्यों के मौजूदा श्रम कानूनों में कोई टकराव न हो।
सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय ने इसके लिए जल्द ही कानूनी सलाहकार नियुक्त करने का फैसला लिया है, जो इसकी जांच करेंगे कि राज्यों के श्रम कानून, केंद्र के नए श्रम कोड के अनुरूप हैं या नहीं।
अगर ऐसा पहीं पाया जाता है तो संबंधित राज्य को उस श्रम कानून में सुधार के लिए कहा जाएगा या फिर उसे उस कानून के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी ।
श्रम मंत्रालय पूरे देश के श्रम कानूनों में चाहता हैं एकरूपता
इस महीने के बाद नए लेबर कोड के अंतर्गत नए कानून कभी भी लागू किए जा सकते हैं।
श्रम मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, अगर किसी राज्य का कानून नए लेबर कोड से समानता नहीं बिठाता, तो उसे बदला जाएगा हम इसके लिए कानूनी सलाहकारों को नियुक्त करेंगे जो सभी राज्यों के श्रम कानूनों को देखेंगे और जांच करेंगे कि वे नये लेबर कोड के अनुरूप है या नहीं।
यदि केन्द्र और राज्य सरकारों के कानून में अंतर पाया जाता है तो राज्य सरकारों को कानून में बदलाव करने के लिए कहा जाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बाद अपने राज्य में निवेश बढाने और अर्थव्यवस्था को जल्दी पटरी पर लाने के लिए कुछ राज्यों ने अपने श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं।
इनमें कई बदलाव ऐसे भी थे, जो वर्करों के हितों के पूरी तरह खिलाफ थे, जिसके चलते इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे इस मामले में दखल देने की मांग करनी पडी थी।
इसके अलावा राज्यों को समान कानूनों का पालन करने की नसीहत देने के पीछे एक और वजह यह हैं कि केंद्र नहीं चाहती कि मोदी सरकार विकास के जिस मॉडल पर आगे बढ रही है, राज्य अलग श्रम कानूनों पर अमल कर किसी दूसरे मॉडल पर चलें।
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