कोरोनाः इस तरह तो लाखों मज़दूरों के परिवारों में सिर्फ फांका होगा
By आशीष सक्सेना
कोरोना वायरस के संकट के समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले की ये घोषणा कर चुकी हो कि प्रदेश के श्रमिकों को एक हजार रुपये महीना सीधे खाते में भेजा जाएगा।
सरकार के इस रहम में इतने किंतु परंतु शामिल हैं कि लाखों श्रमिक परिवार या तो फांका करेंगे या फिर भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
हालात को समझने के लिए प्रदेश के सिर्फ एक जिले बरेली की जानकारी ली गई तो समस्या की गंभीरता सामने आई।
बताया गया कि उत्तर प्रदेश भवन निर्माण एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण योजना के तहत जिले में लगभग 70 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं, जिनको प्रदेश सरकार ने एक-एक हजार रुपये त्वरित अनुदान की घोषणा की है ।
अनुदान की राशि डीबीटी के जरिए सीधे श्रमिकों के खातों में भेजी जाएगी।
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शासन के निर्देशों के बाद जिले का श्रम विभाग निर्माण श्रमिकों का डाटा तैयार करने में जुटा है। विभागीय जानकारी के अनुसार फिलहाल करीब 50 हजार निर्माण श्रमिकों का पंजीयन ही अपडेट है। जिनका डाटा विभाग की ओर से 31 मार्च तक शासन को भेजा जाएगा।
उपायुक्त श्रम अनपुमा गौतम ने बताया कि जिन निर्माण श्रमिकों का पंजीयन अपडेट नहीं है, वे जिले के किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर तत्काल अपना पंजीयन अपडेट करा सकते हैं।
अपडेशन के अभाव में संबंधित का डाटा फॉरवर्ड नहीं होगा। इस आधार पर पूरे प्रदेश के डाटा अपडेशन की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सरकार और विभाग ने अपने-अपने हिस्से के बयान जारी करके छुट्टी पा ली।
अब 21 दिन के लॉकडाउन में, जब घर के बाहर लक्ष्मण रेखा खींचने की बात प्रधानमंत्री ने कह दी, सच में कर्फ्यू ही होने की बात कह दी, कौन सर्विस सेंटर खोलेगा और कौन श्रमिक वहां जा सकेगा, इस सवाल को जवाब देने वाला कोई नहीं है।
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आमतौर पर जिन श्रमिकों का पंजीकरण विभाग में है, वे देहात से संबंध रखते हैं, जहां सर्विस सेंटर नजदीक के किसी कस्बे में हो सकते हैं। ऐसे अधिकांश श्रमिक न सिर्फ आमदनी और परिस्थितियों की मार झेलते हैं, जातीय आधार पर भी हर जगह से नाउम्मीद रहते हैं।
निर्माण श्रमिकों के बीच काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हरीश पटेल ने कहा कि उपकर के माध्यम से सरकार के पास बहुत बड़ी धनराशि मौजूद है, जिसका बहुत कम हिस्सा ही आज तक खर्च किया गया है।
इस वक्त ये धन श्रमिकों के परिवारों के जीवन को बचाने के लिए बिना शर्त लगाया जाना चाहिए। तकनीकी प्रक्रियाएं बाद में भी हो सकती हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव ने लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करने की अपील की है।
हालांकि उनका कहना है कि सरकार को भी चाहिए कि वो रजिस्टर्ड मजदूरों के साथ ही नॉन रजिस्टर्ड दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों, ठेले-फड़ वालों, रोज कमाकर खाने वालों के चूल्हे जलाने के लिए राशन आदि का पूरा इंतजाम निशुल्क करे, जिससे किसी के बच्चे भूखे न सोएं।
उन्होंने कहा कि किसानों की सरसों और गेहूं खेतों में पका खड़ा है, उसे काटने और गहाई करने की अनुमति भी किसानों व खेत मजदूरों को देनी चाहिए।
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