विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे नेताओं को पुलिस ने लिया हिरासत में
इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ हलचल: प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की निंदा की
केंद्र सरकार द्वारा विशाखापत्तनस स्टील प्लांट से अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह से विनिवेश करने के फैसले के बाद से आंध्रप्रदेश में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरु हो गया है।
इसी क्रम में आज किये जा रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को आंध्रप्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
राज्य सरकार के इस कारवाई की सभी ट्रेड यूनियनों और जन संगठनों ने कड़ी निंदा की।
गिरफ्तार नेताओं ने बताया कि ” हम विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र (वीएसपी) में अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह से विनिवेश करने के केंद्र के फैसले और वीएसपी की सुरक्षा की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे उसके बाद भी नेताओं को क्यों गिरफ्तार किया गया।”
गिरफ्तार नेताओं ने राज्य सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हुए नारेबाजी की।
मालूम हो कि वीएसपी के निजीकरण के खिलाफ वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों द्वारा दिए गए आह्वान पर समिति के तत्वावधान में एक रास्ता रोको का आयोजन किया गया था।
समिति सदस्य वी कृष्णा राव ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है।
माकपा के जिला सचिव के लोकनाधाम और भाकपा के जिला सचिव बी वेंकटरमण ने कहा कि “लंबे संघर्षों के बाद वीएसपी हासिल किया गया था इसके लिये लोगों ने आंदोलनों किया और इन आंदोलनों में 32 लोगों की मौत हुई थी।यह संयंत्र उत्तरी आंध्र क्षेत्र के विकास में योगदान देने के अलावा एक लाख व्यक्तियों को आजीविका प्रदान कर रहा था। सरकार आखिर क्यों इस संयंत्र को बेचना चाहती है।”
उन्होंने लोगों से केंद्र के इस कदम का विरोध करने और संयंत्र को कैप्टिव माइंस आवंटित करने की मांग करने का आह्वान किया।
माकपा राज्य सचिवालय के सदस्य चौधरी नरसिंगा राव ने घोषणा की कि समिति ने केंद्र पर दबाव बनाने के लिए पांच मार्च को ‘विशाखा बंद’ आयोजित करने का फैसला किया है।
माकपा राज्य सचिवालय के सदस्य चौधरी नरसिंगा राव ने घोषणा की कि समिति ने केंद्र पर दबाव बनाने के लिए पांच मार्च को ‘विशाखा बंद’ आयोजित करने का फैसला किया है।
भाकपा के राज्य सहायक सचिव जेवी सत्यनारायण मूर्ति ने आरोप लगाया कि केंद्र एक तरफ युवाओं को नौकरी देने का वादा करती हैं और दुसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण कर उन्हें बेरोजगार कर रही है।
(द हिंदु की खबर से साभार)
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