अग्निपथ योजना: मारुति सुजुकी मजदूर यूनियन भी विरोध में, कहा देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली योजना
देश भर में चारों ओर मोदी सरकार की अग्निपथ योजना का विरोध तेज हो जाता रहा है।
विभिन्न ट्रेड, किसान और मजदूर यूनियन सेना में संविदा भर्ती की इस योजना के खिलाफ सड़क पर उतर रहे हैं।
इस आंदोलन में गुड़गाँव के मारुति सुजुकी मजदूर संघ ने भी स्वर मिलाते हुए शुक्रवार को धरना प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम अग्निपथ योजना को वापस लेने की अपील करते हुए पत्र जारी किया।
पत्र में यूनियन ने अग्निपथ को देश, जवान और किसान के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली योजना करार दिया है।
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पत्र निम्नलिकित है:
1. केंद्र सरकार भारतीय सेना में भर्ती की पुरानी पद्धति को खत्म कर “अग्निपथ” नामक एक नई योजना लाई है। इस नई योजना के के तहत सेना की भर्ती में कई बड़े और दूरगामी बदलाव एक साथ किए गए हैं:
a) सेना में जवानों की पक्की नौकरी में सीधी भर्ती बंद कर दी गई है।
b) थल सेना और वायु सेना में जो पक्की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी (जिसमें फाइनल टेस्ट या नियुक्ति पत्र जारी करने बाकी थे) उसे भी रद्द कर दिया गया है।
c) अब से सेना में भर्ती सिर्फ 4 साल के कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी के जरिए होगी। अग्निवीर नामक इन अस्थाई कर्मचारियों को न तो कोई रैंक दिया जाएगा न ही 4 साल के बाद कोई ग्रेच्युटी या पेंशन। चार साल की सेवा समाप्त होने के बाद इनमें से एक चौथाई या उससे भी कम को ही सेना में पक्की नौकरी दी जाएगी।
d) वर्ष 2020 में हुई पिछली भर्ती में 87,000 नियुक्तियों की जगह इस योजना के पहले साल में सिर्फ 46,000 और पहले चार साल में कुल दो लाख अग्निवीरों को नियुक्त किया जाएगा।
e) अब तक चले आ रहे रेजीमेंट आधारित क्षेत्र समुदाय कोटा की जगह सभी भर्तियां “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के आधार पर होगी।
2. यह हैरानी की बात है कि इतने बड़े और दूरगामी बदलावों की घोषणा करने से पहले सरकार ने किसी न्यूनतम प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया। नई भर्ती की प्रक्रिया का कोई “पायलट” प्रयोग कहीं नहीं किया गया।
संसद के दोनो सदनों या संसद की रक्षा मामलों की स्थाई समिति के सामने इन प्रस्तावों पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस योजना से प्रभावित होने वाले स्टेकहोल्डर (भर्ती के आकांक्षी युवा, सेवारत जवान और अफसर, सघन भर्ती के इलाकों के जनप्रतिनिधि और साधारण जनता) के साथ कभी कहीं कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया।
उलटे, पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने वर्तमान रेजिमेंट भर्ती व्यवस्था को बनाए रखने और रिटायरमेंट की आयु को बढ़ाने जैसे फैसले लिए है।
3. पिछले कुछ दिनों से इस योजना को लेकर हुई राष्ट्रव्यापी चर्चा से यह स्पष्ट हो गया है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को बहुत बड़ा धक्का है:
a) अगर यह योजना अपने वर्तमान स्वरूप में लागू होती है तो आने वाले 15 वर्षों में हमारे सैन्य बलों की संख्या आधी या उससे भी कम रह जाएगी।
b) यह सोचना भी हास्यास्पद है कि 4 साल की अवधि में अग्निवीर वह तकनीकी दक्षता और संस्कार हासिल कर पाएंगे जिसके आधार पर वह देश की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगा सकेंगे।
c) रेजिमेंट की सामाजिक बुनावट को रातों-रात बदलने से सेना के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा।
d) यह अफसोस की बात है कि सरकार ऐसे बदलाव उस समय ला रही है जबकि पिछले कुछ वर्षों में पड़ोसी देशों की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा गहरा हुआ है।
e) इस परिस्थिति में सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के बजट को वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार के खर्च के 17.8% से घटाकर 2021-22 में 13.2% करना चिंताजनक है। यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है की जो सरकार दिखावे के प्रोजेक्ट में तमाम फिजूलखर्ची कर सकती है वह सैनिकों के वेतन और पेंशन में कंजूसी कर रही है।
f) सेना के भूतपूर्व जनरल, अफसरों, परमवीर चक्र जैसे शौर्य पदक प्राप्त सैनिकों और सैन्य विशेषज्ञों ने इस योजना के गंभीर दुष्परिणाम के बारे में आगाह किया है। लेकिन सरकार की तरफ से इनका कोई जवाब नहीं आया है।
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4. सेना में भर्ती के आकांक्षी युवाओं और देश के किसान परिवारों के लिए भी यह बहुत बड़ा धोखा है:
a) जिन युवकों की भर्ती प्रक्रिया 2020-21 में शुरू हो चुकी थी उसको बीच में रोकना उनके सपनों के साथ खिलवाड़ है।
b) सेना में भर्ती की संख्या को घटाना, सेवाकाल को घटाकर 4 साल करना और पेंशन समाप्त करना उन सब युवाओं और परिवारों के साथ अन्याय है जिन्होंने फौज को देशसेवा के साथ कैरियर के रूप में देखा है। किसान परिवारों के लिए फौज की नौकरी मान सम्मान के साथ आर्थिक खुशहाली से भी जुड़ी रही है है।
c) चार साल की सेवा के बाद तीन-चौथाई अग्नि वीरों को सड़क पर खड़ा कर देना युवाओं के साथ भारी अन्याय है। हकीकत यह है कि सरकार अब तक 15 से 18 साल सेवा करने वाले अधिकांश पूर्व सैनिकों के लिए भी पुनर्वास की संतोषजनक व्यवस्था नहीं कर पाई है। वह अग्निवीरो के रोजगार की क्या व्यवस्था करेगी?
d) रेजीमेंट के सामाजिक चरित्र की जगह “ऑल क्लास ऑल इंडिया” भर्ती करने से उन क्षेत्रों और समुदायों को भारी झटका लगेगा जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी सेना के जरिए देश की सेवा की है। इनमे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान जैसे इलाके शामिल है।
5. महामहिम, ऐसा प्रतीत होता है कि अग्निपथ इस सरकार की एक व्यापक मुहिम का हिस्सा है जिसके तहत खेती पर कंपनी राज स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, सभी स्थाई सरकारी नौकरियों को ठेके पर दिया जा रहा है या कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी में बदला जा रहा है, देश की संपत्तियां प्राइवेट कंपनियों को बेची जा रही है और पूरे देश का नीति निर्धारण चंद कॉरपोरेट घरानों का हित साधने के लिए किया जा रहा है।
ऐसी तमाम नीतियां जनता और जनप्रतिनिधियों से छिपाकर बनाई जा रही है और उनका विरोध करने वालों का बर्बर तरीके से दमन किया जा रहा है।
6. जैसा कि आप जानते हैं, उपरोक्त कारणों के चलते अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से युवाओं का आक्रोश सड़कों पर उबल पड़ा है। कई युवकों ने सदमे में आकर आत्महत्या कर ली है। पूरे देश भर में सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
यह आक्रोश दुर्भाग्यवश कई जगह हिंसक स्वरूप भी ले रहा है। हमें बहुत अफसोस से कहना पड़ रहा है कि सरकार ने युवाओं के इस जख्मों पर मलहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम किया है और हास्यास्पद घोषणाएं की हैं।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के अधिकार के विरुद्ध युवाओं को धमकाने के निंदनीय हरकत की है। तमाम विरोध के बावजूद केंद्र सरकार इस योजना को लागू करने पर आमादा है। आज 24 जून से इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन की शुरुआत करने की घोषणा की गई है।
7. इसलिए अब हम भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर के पास यह अनुरोध लेकर पहुंचे है कि:
a) अग्नीपथ योजना को तत्काल और पूरी तरह रद्द किया जाए। इस योजना के तहत भर्ती का नोटिफिकेशन वापस लिया जाए।
b) सेना में पिछली बकाया 1,25,000 वेकेंसी और इस वर्ष रिक्त होने वाले लगभग 60,000 पदों पर पहले की तरह नियमित भर्ती तत्काल शुरू की जाए।
c) जहां भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी उसे पूरा किया जाए और पिछले दो साल भर्ती ना होने के एवज में युवाओं को सामान्य भर्ती की आयु सीमा में 2 वर्ष की छूट दी जाए।
d) किसी भर्ती के लिए आवेदकों से ऐसा हलफनामा लेने की शर्त न रखी जाए जो उन्हें लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अधिकार से वंचित करती हो।
e) अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनों में शामिल युवाओं के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं, गिरिफ्तार युवाओं को रिहा किया जाय और आंदोलनकारियों को नौकरी से बाधित करने जैसी शर्तें हटाई जाए।
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