उम्र कैद की सज़ा भुगत रहे मारुति मज़दूर नेता जियालाल की कैंसर से मौत, 9 साल में भी नहीं मिली ज़मानत
By रामनिवास
मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 को हुई घटना के बाद से जेल में कैद 13 मज़दूर नेताओं में से एक जियालाल की मौत की ख़बर है। उन्होंने 4 जून को रात 11 बजे अंतिम सांस ली।
इससे पहले बीती फ़रवरी में करंट लगने से पवन दहिया की मौत हो गई थी। इस तरह आजीवन कारावास पाए 13 मारुति मज़दूर नेताओं में अब 11 रह गए हैं जो जेल में सज़ा भुगतने को अभिशप्त हैं।
उल्लेखनीय है कि 4 जून 2011 को ही मारुति मज़दूरों के संघर्ष की शुरुआत हुई और पहली हड़ताल 12 दिन तक चली थी।
जियालाल ने 18 जुलाई 2012 को अपने सुपरवाईजर संग्राम किशोर द्वारा चाय ब्रेक के समय (जोकि सिर्फ 7 मिनट के लिये होता है) में फीडबैक न देकर कम्पनी के समय में देने की बात कही थी। इसी बात को मुद्दा बनाकर संग्राम किशोर ने उसे जाति सूचक गाली दी और विरोध जताने पर सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद जियालाल को 18 जुलाई की घटना का मुख्य आरोपी बना दिया गया।
12 यूनियन पदाधिकारियों के साथ जिया लाल को भी 18 मार्च 2017 को गुड़गांव सैशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। कथित तौर पर पुलिस कस्टडी में जिया लाल को बेरहमी से पीटा गया था। जब वह खाना खा रहे थे तब भी किसी पुलिस वाले ने उसे लात मारी जिससे रोटी का टुकड़ा भोजन नली में फंस गया और उनकी जान ख़तरे में पड़ गई।
जिस तरीके से मीडिया ने जियालाल को मुख्य आरोपी बनाकर उसका दुष्प्रचार किया उसका दुष्परिणाम उन्हें व परिवार को झेलना पड़ा। समाज में हर कोई उसे 18 जुलाई की घटना का कारण मानते हुए हजारों लोगों की नौकरी खाने का ताना सुनाते।
लम्बे समय तक जेल में भी उसे मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ीं। मारुति मज़दूरों के परिजनों द्वारा भी कई बार ये बातें कही जाती रहीं। प्रोविज़नल कमेटी के लम्बे प्रचार के बाद लोगों को 18 जुलाई की असली घटना का पता चला।
जियालाल मेरे साथ ही असेम्बली विभाग ( ट्रिम 2) में ही काम करते थे। अटक कर बोलने वाले जियालाल पर भड़काऊ भाषण जैसे आरोप मढ़ कर उन्हें अवनीश देव की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
जियालाल बेहद शांत व मजाकिया स्वभाव के मज़दूर नेता थे। सामाजिक व्यंग्यों को भी हंस कर बताते। खुद भी कह देते कि ‘कोई नहीं हम तो हैं ही छोटी जात।’ जातिवादी उत्पीड़न का दर्द उनकी हंसी में भी नज़र आ जाता।
वे एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिताजी का देहांत इसी साल हुआ। वर्तमान में जिया लाल की पत्नी, 2 बेटे जोकि 9 साल व 2 साल के हैं, माँ और छोटा भाई व बहन हैं, जिनका दारोमदार भी उनके ऊपर था। छोटा भाई शादीशुदा है लेकिन बेरोज़गार है ।
अन्यायपूर्ण सजा झेलते मारुति के साथी जियालाल ज़िंदगी और मौत के बीच जूझते रहे। वे कैंसर के असाध्य रोग से पीड़ित थे और फिलहाल पैरोल पर ही घर से इलाज करवा रहे थे।
कैंसर का चौथा स्टेज था और हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन 9 साल बीत जाने के बावजूद उन्हें जमानत तक नहीं मिल सकी थी।
जियालाल को जेल के भीतर ही कैंसर हुआ था, लेकिन उनका इलाज ठीक से नहीं कराया गया। जब भी वो जेल की डिस्पेंसरी जाते उन्हें दर्द निवारक दवाई देकर भेज दिया जाता।
बड़ी मश्क्कत के बाद पीजीआई रोहतक से टेस्ट करवाया लेकिन रिपोर्ट लेने के लिए नहीं भेजा गया। गांव से उसके भाई ने जाकर रिपोर्ट मांगी तो इन्कार कर दिया गया कि रिपोर्ट जेल अधिकारियों या कैदी को ही देंगे।
बाद में कोरोना फैलाव के कारण जब जेल के तमाम कैदियों के साथ जियालाल को भी घर पैरोल पर भेजा गया और यहां बिगड़ी हुए स्वास्थ्य की स्थिति में उन्हें इलाज के लिए ले जाया गया तब पता चला कि कैंसर का चौथा स्टेज है।
मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के सहयोग से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन आज वो इससे भी मुक्त हो गए।
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No…jialal pushed supervisor from behind…He thinks that management can’t do anything…..Avinash Kumar Dev was GM HR at that time….when matters comes to him…He suspend jialal….Then union comes and said that suspension should be taken back… there was no clues..make any castism statement by supervisor….Jaatisuchak shabad…..when union ask to take back action against jialal…GM said..the supervisor has gone to his home ….next I make both (supervisor and Jialal)… Meeting. With them and take back Jialal.. the suspension was for one day …only…but Union thinks if they didn’t make him back…next day union leaders may be also suspend….so they can’t wait for next day…..I was working in that company at that time…union leaders are in touch several political parties…so they had a plan
Before a months ago..and then this happen….