प्रवासी मज़दूरों को 70 हजार किमी. सड़क और 50 लाख आवास से मिलेगा रोजगार

प्रवासी मज़दूरों को 70 हजार किमी. सड़क और 50 लाख आवास से मिलेगा रोजगार

अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण मज़दूर बेरोजगार हो गए। पैसों की कमी और रोजगार हाथ में न होने के चलते मज़दूर अपने-अपने गृहराज्य लौट गए। लेकिन वहां पर भी  मज़दूरों के पास कोई रोजगार नहीं है।

पर अब ऐसी ख़बर आ रही है कि सरकार प्रवासी मज़दूरों को सड़क निर्माण और आवास योजना के जरिए रोजगार मुहैया कराएगी

अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार, सरकार के पास लगभग 70 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के निर्माण और गरीबों के लिए 50 लाख आवास की कार्य योजना है। एक अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को बड़ी संख्या में श्रमिकों को काम देने की बात कही है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत, लगभग 14 हजार किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जाना बाकी है, जबकि पिछले वर्ष का भी काम लंबित है।

अलग-अलग राज्यों में वापस लौटे कुल श्रमिकों की दो तिहाई से अधिक आबादी निर्माण कार्यों से जुड़ी है। अतिरिक्त कार्यबल की उपलब्धता से सरकार को सड़कों के निर्माण के अपने वार्षिक लक्ष्य और प्रधानमंत्री आवास योजना को समय से पूरा करने में मदद मिलेगी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मकान बनाने के लिए पहले से ही बजट का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत मकान बनाने के लिए 90-95 दिन की मजदूरी मिल सकती है। ग्रामीण सड़क योजना के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्वीकृत 174,000 सड़क कार्यों में से 157,000 पूरे हो चुके हैं।

इसी तरह, पीएमएवाई में भी इस वित्तीय वर्ष में 61 लाख 50 हजार घरों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब तक लगभग दो लाख घरों को मंजूरी दी गई है। मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अब तक एक भी घर पूरा नहीं हुआ है। विशेषज्ञों ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस की वजह से देरी हुई

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मज़दूरों के पलायन से पोलावरम परियोजना पड़ी है ठप्प

अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण मज़दूरों के हाथ से रोजी रोटी छिन गई। काम धंधा न होने के कारण मज़दूरों ने अपने गृहराज्य जाना ही बेहतर समझा। लेकिन मज़दूरों के पलायन से देश की कई बड़ी परियोजनाएं ठप पड़ी है।

इन बड़ी परियोजनाओं में इंदिरा सागर या पोलावरम परियोजना भी शामिल है। ये परियोजना आन्ध्रप्रदेश में पश्चिमी गोदावरी जिले के पोलावरम मंडल के राम्म य्यापेट के निकट गोदावरी नदी पर स्थित है।

पर मज़दूरों की कमी होने के चलते पोलावरम परियोजना पूरी तरह ठप पड़ी है। इस परियोजना को फिर से रफ्तार देने के लिए आन्ध्रप्रदेश सरकार उत्तरप्रदेश,बिहार के मज़दूरों को बसे भेज कर बुला रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार ‘ पोलावरम परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सभी मज़दूर अपने गांव चले गए थे, पर हमने उन्हें स्पेशल बस, ट्रेन मुहैया करवा कर वापस बुला लिया है। इन मज़दूरों के आ जाने के बाद पोलावरम परियोजना फिर से रफ्तार पकड़ लेगी।’

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प्रवासी मज़दूरों के लौटने से पंजाब के किसान परेशान

देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रवासी मजदूर लौटकर अपने घर वापस लौट आए हैं। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, अब तक देश में लॉकडाउन के बाद एक करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। लेकिन इसी के साथ ही कई तरह के संकट भी आ गए हैं। क्योंकि जहां से मजदूर आए हैं अब वहां पर काम का संकट पैदा हो गया है। पंजाब में किसान परेशान हैं क्योंकि मजदूर वापस चले गए हैं और अब खेती करने में मुश्किल आ रही है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से मिली खबर के अनुसार, पंजाब के लुधियाना में किसान जुगराज सिंह का कहना है कि जब से प्रवासी मजदूर गए हैं, तभी से खेती में कई परेशानी झेलनी पड़ रही है। अधिकतर मजदूर वापस लौट गए हैं, लेकिन जो बचे हैं वो काफी ज़्यादा पैसे मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग मशीन से काम नहीं करवा सकते, क्योंकि उसका खर्च 10 से 12 लाख रुपये तक आता है।

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