मोदी सरकार का बजट ‘सेल इंडिया’, बैंक, एलआईसी जैसी दर्जनों कंपनियां बेच देने का ऐलान
किसान आंदोलन के बीच बजट पेश कर रही मोदी सरकार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और विपक्ष ने इसे सेल इंडिया करार दिया है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआईसी जैसी मुनाफ़े वाली सरकारी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच देने और अगले साल तक आईपीओ लाने की घोषणा की है।
द वायर के संस्थापकों में से एक और अर्थशास्त्र के जानकार एमके वेणु का कहना है कि सरकार अब सबकुछ बेचकर खर्च चलाने के लिए पैसा इकट्ठा करने पर अमादा हो गई है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, “एलआईसी और जीआईसी जैसी मुनाफ़े वाली कंपनियों को बेचे जाने का फ़ैसला राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ है.”
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस पर तंज़ करते हुए ट्वीट किया, “भारत का पहला पेपरलेस बजट 100 फ़ीसदी ‘विज़नलेस’ भी. इस फ़र्जी बजट का थीम है- ‘सेल इंडिया’. रेलवे: बिक गया, हवाई अड्डे: बिक गए, बंदरगाह: बिक गए, इंश्योरेंस: बिक गया, 23 सरकारी कंपनियाँ: बिक गईं.”
वित्त मंत्री ने बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एयर इंडिया, आईडीबीआई, एससीआई (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), बीईएमएल और पवन हंस के निजीकरण का ऐलान किया गया है।
हालांकि उन्होंने तर्क है कि लंबे समय से घाटे में चल रही कई सरकार कंपनियों को बेचा जाएगा लेकिन इसमें कई कंपनियां भारी मुनाफ़े में भी हैं जैसे एलआईसी।
बजट भाषण में वित्तमंत्री ने ऐलान किया कि बीमा कंपनियों में एफ़डीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करने का प्रावधान किया गया है।
आज बजट भाषण शुरू होते ही पूरे सोशल मीडिया पर सरकार की सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेच देने का विरोध होने लगा और कुछ देर बाद ही #LICIPO और #PSUs हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा।
गूगल ट्रेंड में भी सरकार की निजीकरण की नीतियों के ख़िलाफ़ टॉपिक ट्रेंड करने लगे।
बजट भाषण के प्रमुख बिंदु
- एफ़डीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करने का प्रावधान किया गया है।
- बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एयर इंडिया, आईडीबीआई, एससीआई (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), बीईएमएल और पवन हंस के निजीकरण का ऐलान किया गया है।
- आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड समेत कई अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर रकम जुटाने का है।
- अगले दो वर्षों में पब्लिक सेक्टर के दो बैंकों के निजीकरण की बात भी कही गई है ताकि रेवेन्यू बढ़ाया जा सके. वित्त मंत्री ने कहा है कि इन सभी कंपनियों के विनिवेश की प्रक्रिया साल 2022 तक पूरी कर ली जाएगी.
- सरकार का तर्क- बेकार एसेट्स आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान नहीं करते हैं. मेरा अनुमान है कि विनिवेश से साल 2021-22 तक हमें 1.75 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे.
- केंद्र सरकार का कहना है कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों के विनिवेश से उन्हें घाटे से तो उबारा ही जा सकेगा, साथ ही रेवेन्यू भी बढ़ाया जा सकेगा.
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