तो खेल ये था…मोदी सरकार ने निजी कंपनी को कोरोना टेस्ट 5,000 रुपये में बेचा
निजी लैब में कोरोना वायरस की जांच मुफ़्त में नहीं होगी। एक महीने से तीन कंपनियां 500-700 रू का टेस्टिंग किट बनाने की अनुमति माँग रही थीं।
दक्षिण कोरिया, जर्मनी जैसे देश ऐसे सस्ते टैस्ट किट के बल पर ही व्यापक तादाद में टैस्ट कर मृत्यु की संख्या को कम करने में सफल हो रहे हैं।
अब सिर्फ एक ‘गुजराती’ कंपनी को अनुमति दी गई है, उसे कोई अनुभव नहीं इस काम का, पंजीकरण तक जल्दबाजी में हुआ है।
कहा गया एक अमरीकी कंपनी के सहयोग से करेगी। पड़ताल की गई तो पता चला कि अमरीकी कंपनी के पीछे भी कुछ ‘गुजराती’ हैं!
सरकार अब निजी लैब में 5,000 रू वाले टैस्ट को अनुमति दे दी है।
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स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को हुई बैठक में तय किया है कि निजी लैब में जाच कराने पर पांच हज़ार रुपये देने पड़ेंगे।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन के अलावा कई प्राईवेट लैब के संचालक मौजूद थे।
ये जांच भी कब शुरू होगी, इसका पता नहीं। मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो देश में क़रीब 51 एनबीएच सर्टिफ़िकेट प्राप्त लैब हैं, जिन्हें लंबे समय से कोरोना की जांच करने की अनुमति देने पर विचार चल रहा है।
हाल ही में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा था कि निजी लैब चाहे तो मुफ़्त में जांच कर सकती है।
जबकि निजी लैब चलाने वाले व्यापारियों ने खर्च वसूलने का दबाव बनाया था।
12 फरवरी को डॉक्टरों के लिए सुरक्षा वस्त्र/सूट बनाने वालों की एसोसिएशन ने सरकार को मेल लिखकर कहा कि इसके स्पेसिफ़िकेशन और टेस्टिंग मापक तय कर दीजिये, उत्पादन शुरू कर देते हैं, इनकी ज़रूरत पड़ने वाली है।
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लेकिन मोदी सरकार की ओर से इस महामारी को जिस तरह पहले नज़रअंदाज़ करने और फिर इस बीमारी का माखौल उड़ाने की कोशिश की गई है, समस्या भयावह स्थिति तक पहुंच गई है।
ऊपर से धारा 144, जनता कर्फ्यू, ट्रेनें बंद करना, घरों में लोगों को बंद रहने को कहना, पहले से ही मुसीबत झेल रही जनता के जख़्म पर नमक छिड़कने जैसा है।
मुंबई और पुणे से जिस तरह मज़दूर जानवरों की तरह भर भर कर ट्रेनों से अपने घरों को लौट रहे हैं…ये बीमारी को और चौगुनी गति से फैलाएगा ही।
इन मज़दूरों के लिए सरकार ने कोई ट्रांज़िट कैंप नहीं बनाए, उनके खाने का इंतज़ाम नहीं किया, उनके इलाज़ और टेस्टिंग को कोई व्यवस्था नहीं की।
न वेंटिलेटर वाले नए आईसीयू बनाए गए, न अस्पताल खड़े किए गए और सबकुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।
एक महीने बाद दिया लाइसेंस
देश में एकमात्र निजी कंपनी को कोविड-19 वायरस टेस्ट किट बनाने का लाइसेंस दिया गया है।
ये कंपनी गुजरात के अहमदाबाद की है और इसका दावा है कि टेस्ट की रिज़ल्ट 2.5 घंटे में मिलने लगेगा।
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने rRT-PCR मशीन बनाने का लाइसेंस दिया है।
इस कंपनी का नाम है CoSara Diagnostic Pvt Ltd है। इसकी मैन्युफ़ैक्चरिंग इकाइयां रोनोली, वडोदरा में है और इसने एक महीने पहले लाइसेंस के लिए अप्लीकेशन दी थी।
ये कंपनी अमरीका के उटाह की को डायग्नोस्टिक इंक और अम्बाला साराभाई एंटरप्राइजेज़ की ज्वाइंट वेचर कंपनी है।
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