मोदी सरकार के इस कदम से गल्फ़ में काम करने वाले भारतीय वर्करों के सैलरी 40% कम हो जाएगी

मोदी सरकार के इस कदम से गल्फ़ में काम करने वाले भारतीय वर्करों के सैलरी 40% कम हो जाएगी

तेलंगाना की एमएएलसी के. कविता ने विदेश मंत्रालय से उस नोटिफिकेशन को तुरंत वापस लेने की मांग की, जिसके तहत खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूरी की न्यूनतम मजदूरी 40 फीसद कम किए जाने का प्रावधान है।

राज्य के सीएम के चंद्रषेखर राव की बेटी कविता ने बुधवार को प्रवासी मजदूरों के एसोसिएषन के प्रतिनिधियों से मिलीं और खाडी देषों में उनके न्यूनतम भत्ते में कमी संबंधी नोटिफिकेषन पर कडा एतराज जताया।

उन्होंने कहा, खाडी देशों में तेंलगााना, बिहार, यूपी और केरल के लगभग 90 लाख प्रवासी भारतीय मजदूर काम करते हैं।

मुश्किल हालात में काम करने वाले इन मजदूरों को लेकर विदेश मंत्रालय पहले से उदासीन है। उसका नया फरमान मजदूरों के लिए नई चुनौती खडा करेगा।

इससे लोगों की नौकरियां जाएंगी, पैसा खत्म होगा और वे कम पैसों में काम करने को मजबूर होंगे।

टेक अवे होम सैलरी कम करने का फैसला टाले सरकार

इंडिया इंक ने सरकार से कहा है कि वह  वर्करों की टेक अवे होम सैलरी कम करने के फैसले को फिलहाल लागू न करे।

उसका मानना है कि इससे कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा। नए नियमों के तहत एलाउंस कंपोनेंट यानी सैलरी के साथ मिलने वाले भत्ते, कुल सैलरी या सीटीसी के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते और इसका सीधा मतलब है कि बेसिक सैलरी, सैलरी स्ट्रक्चर का 50 फीसदी होगी।

इस नियम का पालन करने के लिए, कंपनियों को सैलरी के बेसिक पे कंपोनेंट को बढ़ाना होगा, जिसके चलते ग्रेच्युटी पेमेंट और वर्करों की ओर से भरे जाने वाले प्रॉविडेंट फंड की रकम बढ़ जाएगी।

रिटायरमेंट के लिए डाली जाने वाली रकम बढ़ने का मतलब है कि वर्कर की टेक-होम सैलरी कम हो जाएगी।

सरकार अगले साल एक अप्रैल से इस नियम को लागू करने जा रही है।

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Workers Unity Team

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