पेट्रोल पर लूट-2ः पेट्रोल-डीज़ल से ही मोदी सरकार ने 14.66 लाख करोड़ रु. जनता से उगाहे
By एसवी सिंह
अपने 6 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार देश की जनता से डीज़ल और पेट्रोल पर कुल रु 14.66 लाख करोड़ रुपये का टैक्स वसूल चुकी है।
इस वक़्त बाज़ार भाव के हिसाब से, कच्चा तेल खरीदी, भाड़ा, शुद्धिकरण, रिफाइनरी का खर्च, भण्डारण का खर्च सब मिला लिया जाए तो भी पेट्रोल का दाम रु 32.98 प्रति लीटर और डीज़ल का दाम रु 31.83 प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
जबकि इन ज़रूरी पदार्थों को 250% से भी अधिक दामों पर बेचा जा रहा है। इस सरकारी लूट को किस तरह अंजाम दिया जा रहा है; आईये देखें:
नवम्बर 2014 को कर | अगस्त 2017 को कर | जुलाई 2020 को कर | |
पेट्रोल पर प्रति लीटर केंद्र का टैक्स | रु 9.20 | रु 21.48 | रु 32.98 |
डीज़ल पर प्रति लीटर केंद्र का टैक्स | रु 3.46 | रु 17.33 | रु 31.83 |
पेट्रोल पर राज्य सरकार का टैक्स (वैट) | 20% | 27% | 30% |
डीज़ल पर वैट | 12.5% | 16.75% | 30% |
डीज़ल का दाम बढ़ने का सीधा असर आम जनता पर
डीज़ल एक मूलभूत आवश्यक ईंधन है। डीज़ल में कीमत वृद्धि का सीधा असर कुल मंहगाई पर पड़ता है।
डीज़ल की अखिल भारतीय कुल खपत का 13.15% हिस्सा ही कारों में उपयोग होता है जबकि बाक़ी डीज़ल बिक्री यानी 76.85% का सीधा सम्बन्ध आम आदमी के जीवन से जुड़ा है।
यातायात और सामान भाड़ा, सड़क मार्ग से हो या रेल मार्ग से, डीज़ल का दाम बढ़ने पर ये सीधा उसी अनुपात में बढ़ जाता है।
कुछ दिन पहले बसों-रेलगाड़ियों के किराए बढ़ने पर ज़ोरदार आन्दोलन हुआ करते थे और अधिकतर बार सरकारों को बढे किराए पूरे नहीं तो आंशिक रूप से वापस लेने को मज़बूर होना ही पड़ता था।
आज स्थिति ये है की भाड़े बढ़े हैं ये घोषणा करने की ज़रूरत ही नहीं समझी जाती। जब जितना चाहे बढ़ाते जाइये, लोगों का खून निचोड़ते जाइये!
किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने और चुनाव सभाओं में किसानों के बीच असलियत में आंसू बहाने वाले मोदी जी को ये याद नहीं कि किसानों का तो सारा काम ही आजकल डीज़ल पर निर्भर है, डीज़ल के दाम बढ़ने से ‘मेरे प्यारे किसान भाईयों’ पर क्या प्रभाव पड़ेगा??
मोदी सरकार आने से पहले डीज़ल के दाम पेट्रोल के मुकाबले 12 से 15 रुपये कम हुआ करते थे आज बराबर हैं। ये ‘राष्ट्रवादी’ मोदी सरकार आम ग़रीब लोगों के प्रति इतनी समर्पित है!!
पड़ोसी देशों के पेट्रोल दामों से तुलना
पेट्रोल के लिए हमारे पड़ोसी देश कितना भुगतान कर रहे हैं? | भारतीय रुपये में |
पाकिस्तान | 57.83 रु. |
श्रीलंका | 64.12 रु. |
नेपाल | 68.30 रु. |
बांग्लादेश | 73.06 रु. |
भारत श्रीलंका मुक्त व्यापर समझौते (ISLFTA) 1993 के अनुसार, भारत, श्रीलंका को तेल एवं अन्य पदार्थ करमुक्त आधार पर उपलब्ध करता है।
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के मुताबिक भारत 15 देशों को पेट्रोल रु 34.00 प्रति लीटर और 34 देशों को शुधिकृत डीज़ल रु 37.00 प्रति लीटर की दर से उपलब्ध कराता है।
श्रीलंका सरकार हमारे देश से पेट्रोल और डीज़ल क्रमश: रुपये 34 और 37 रु. प्रति लीटर में खरीदकर प्रति लीटर 64.12 रुपये प्रति लीटर में बेच रही है।
कोरोना के समय दाम बढ़ा 1.6 लाख करोड़ रु. उगाहे
अपने पसंदीदा नियम ‘आपदा में अवसर’ को अपनाते हुए, जब लोगों का कोरोना महामारी की वज़ह से घर से निकलना बन्द था तब मोदी सरकार ने 6 मई 2020 को फिर से पेट्रोल डीज़ल उत्पाद शुल्क को बढ़ाकर एक झटके में लोगों की जेब से रु 1.6 लाख करोड़ रुपये खींच लिए।
ज्ञात हो कि इससे मात्र 2 महीने पहले 15 मार्च 2020 को भी सरकार ने पेट्रोल डीज़ल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर लोगों से 34,000 करोड़ रुपये झटके थे!
मोदी ने जो भारत को विज्ञान तकनीक विकास और मान मर्यादा में विश्व गुरु बनाने का वादा किया था उसके तहत तो हम मानव विकास के सभी मापदंडों जैसे भुखमरी, बाल विकास, महिला एवं बाल स्वास्थ्य आदि में दुनिया में सोमालिया के बराबर पहुँच गए बल्कि और नीचे गिरते जा रहे हैं।
लेकिन डीज़ल पेट्रोल पर कर लगाने में हमें ज़रूर विश्व गुरु बना दिया है। मोदी सरकार भारत के कंगाल लोगों से पेट्रोल डीज़ल पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स वसूल रही है।
2014 में सत्ता हासिल करने के बाद से आज तक सरकार पेट्रोल डीज़ल पर कुल 5 बार टैक्स बढ़ा चुकी है। ‘मोदी है तो मुमकिन है’ नारा इस रूप में चरितार्थ हो रहा है। (क्रमशः)
(यथार्थ पत्रिका से साभार)
- वर्कर्स यूनिटी को आर्थिक मदद देने के लिए यहां क्लिक करें
- वर्कर्स यूनिटी के समर्थकों से एक अर्जेंट अपील, मज़दूरों की अपनी मीडिया खड़ी करने में सहयोग करें
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)