5 लाख करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति बेचेगी मोदी सरकार
नीति आयोग उन संपत्तियों और कंपनियों की एक के लिए एक सूची तैयार कर रहा है जिसे आने वाले दिनों में बिक्री के लिए शेड्यूल किया जा सकता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने अगले चार साल में (2025 तक) निजीकरण के जरिए 5 लाख करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा करने की योजना बनाई है। इसके लिए नीति आयोग ने 100 महत्वपूर्ण सरकारी संपत्ति की पहचान भी कर ली है।
रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों को उन संपत्तियों की पहचान कर एक पाइपलाइन तैयार करने के लिए कहा है जिन्हें अगले 4 साल में मोनेटाइज किया जा सकता है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है।
वास्तव में नीति आयोग उन संपत्तियों और कंपनियों की एक के लिए एक सूची तैयार कर रहा है जिसे आने वाले दिनों में बिक्री के लिए शेड्यूल किया जा सकता है।
अगर बात अब तक के डेवलपमेंट की करें तो नीति आयोग कम से कम 100 ऐसी संपत्तियों की पहचान कर चुका है जिनका निजीकरण किया जाना है। इनकी वैल्यू ₹5,00,000 करोड़ लगाई गई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार इन संपत्तियों को बेचने के लिए फास्ट्रेक मोड में काम करेगी।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 10 अलग-अलग मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज की 31 महत्वपूर्ण संपत्तियों की पहचान की जा चुकी है और इसकी लिस्ट भी संबंधित मंत्रालयों को सौंपी जा चुकी है। और निजीकरण की प्रक्रिया को लेकर काम काफी आगे बढ़ चुका है।”
उस अधिकारी ने यह भी बताया है कि बेचे जाने वाले संपत्तियों में टोल रोड, बंदरगाह, क्रूज टर्मिनल, टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, तेल एवं गैस पाइपलाइन, ट्रांसमिशन टावर, रेलवे स्टेशन, स्पोर्ट्स स्टेडियम, माउंटेन रेलवे, कामकाजी मेट्रो के कई सेक्शन, वेयरहाउस और कमर्शियल कंपलेक्स आदि शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि संपत्तियों के निजीकरण में रियल एस्टेट को भी शामिल किया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इनकी जमीन वास्तव में किसी लैंड मैनेजमेंट एजेंसी को ट्रांसफर कर दी जाएंगी।
एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा, “फ्री होल्ड जमीन वास्तव में प्रस्तावित फर्म को ट्रांसफर कर दी जाएगी जो इसे सीधी बिक्री या रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट मॉडल पर मोनेटाइज करने का विकल्प तलाश करेगी।”
एसेट मोनेटाइजेशन के मसले पर मंगलवार को हुए एक वर्कशॉप में निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति विभाग या दीपम (DIPAM) ने संबंधित मंत्रालय और राज्य सरकारों से अपने स्तर से इस प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया है।
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