मजदूर का हाथ काट कर लगा दिया रेप का आरोप, 14 महीने बाद अखलाक बाइज्जत बरी
हरियाणा में दो साल पहले दंगाई मानसिकता वाले कुछ लोगों ने एक नाबालिग बच्ची से रेप का आरोप लगा एक मुसलमान मज़दूर का हाथ काट दिया था।
बीते 20 मई को अदालत ने इस मज़दूर को रेप के आरोप से बाइज़्जत बरी कर दिया।
अखलाक सलमानी हरियाणा के पानीपत में नौकरी ढूँढने के इरादे से गए थे जब अगस्त 2020 में कथित तौर पर दो लोगों ने मिलकर आरी मशीन से उसका दाहिना हाथ इसलिए काट दिया क्यूंकि उसमें 786 लिखा हुआ था।
अखलाक के परिवार ने 7 सितंबर 2020 को इस संबंध में FIR दर्ज कारवाई, लेकिन उसी दिन आरोपी पक्ष ने उलटी शिकायत दर्ज करवाते हुए अखलाक पर एक सात साल की बच्ची के यौन शोषण का आरोप लगाया।
ऐसी हालत में काटे जेल में 14 महीने
यौन शोषण के केस में अखलाक को 14 महीने जेल में काटने के बाद 20 मई को बाइज्जत बरी कर दिया गया।
POCSO कोर्ट के जज सुखप्रीत सिंह ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए।
उन्होंने कहा कि दिए गए तथ्य बनावटी लगते हैं और ऐसा मालूम होता है कि बच्ची को सिखा कर बयान दिलवाया गया है।
उन्होंने कहा कि बल्कि ऐसा मालूम होता है कि अखलाक शिकायतकर्ताओं के हाथों पीड़ित हुआ है। पहले उसे मारा-पीटा गया और फिर आरी मशीन से हाथ काट कर मरने के लिए रेल्वे पटरी पर छोड़ दिया गया।
TheWire के अलिशान जाफरी की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के बाद अखलाक को सांप्रदायिक हिंसा का शिकार बताने के विरोध में कई संघ-समर्थित वेबसाईटों पर उसे जनता की नज़रों में बलात्कारी साबित करने के लिए फेक न्यूज चलाए गए।
पिछले 14 महीनों में अखलाक के जेल में बंद रहने के दौरान उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।
लल्लनटॉप से बात करते हुए अखलाक के वकील अकरम अख्तर चौधरी ने बताया कि अखलाक के तरफ से की गई केस में पुलिस आज तक कहती है की जांच चल रही है।
केस को तूल मिलने पर जांच के लिए एक SIT का गठन भी किया गया था। चौधरी ने बताया कि उनके द्वारा की गई RTI का भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
पिछले हफ्ते 23 मई को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को अखलाक के परिवार के द्वारा की गई केस में तुरंत जांच करने का आदेश दिया।
सोशल मीडिया पर लोगों की पतिक्रिया देखने को मिल रही है जिसमें लोग पूछ रहे हैं कि क्या कोर्ट अखलाक को उसका हाथ वापस दिला सकता है।
लोगों ने पूछा है कि अब तक दोषियों पर कार्यवाही क्यूँ नहीं हुई है?
पत्रकार अनमोल प्रीतम ने ट्वीट किया है, “मई 2020 में दो लोगों ने अखलाक हाथ काट दिया था क्योंकि उसके हाथ पर 786 लिखा था। गोदी मीडिया ने तब अखलाक के साथ हुई बर्बरता को जिस FIR के आधार पर जस्टिफाई किया था और अखलाक को Molester साबित कर दिया था। दो साल बाद कोर्ट ने उस FIR को फर्जी और अखलाक को बेगुनाह करार दिया है।”
एक अन्य ट्वीटर यूज़र संजय चौहान ने इंसाफ़ पर तंज करते हुए लिखा है, “लेकिन कोर्ट उसका हाथ वापिस नहीं कर सका! और मुआवज़ा! ”
प्रीतम ने अपने फेसबुक पोस्ट में इसका विस्तार से ज़िक्र करते हुए नफ़रत वाले अपराध पर सुस्ती के लिए सरकार और इंसाफ़ देने वाली एजेंसियोें पर सवाल खड़ा करते हैं।
उन्होंने लिखा है-
मई 2020 में हरियाणा में दो लोगों ने अखलाक नाम के एक व्यक्ति का हाथ काट दिया था. क्योंकि उसके हाथ पर 786 लिखा था।
अगले दिन जब अखलाक ने उन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाया तो ठीक उसी दिन उन लोगों ने भी अखलाक के खिलाफ एक FIR दर्ज करवाया।
और अखलाक पर आरोप लगाया कि अखलाक ने उनके परिवार की एक सात साल की बच्ची के साथ छेड़खानी की है।
गोदी मीडिया ने इसी FIR के आधार पर ना सिर्फ अखलाक के साथ हुई बर्बरता को जस्टिफाई किया बल्कि उसे Molester भी घोषित कर दिया।
IT Cell उन दो लोगों को जिन्होंने अखलाक का हाथ काटा था उनको हिरो बना दिया. एंटी मुस्लिम नरेटिव व्हाट्स एप के जरिए लोगों तक पहुंचाया गया।
खूब जहर बोया गया। हिंदुओं को अखलाक जैसे लोगों से बचाने का डिजिटल आह्वाहन हुआ। अखलाक के समर्थन में बोलने लिखने वालों को जिहादी कहा गया।
उधर अखलाक के हरियाणा खिलाफ पुलिस ने POCSO के तहत मुकदमा भी दायर कर दिया।
दो साल बाद अब कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने अखलाक को बेगुनाह और FIR को फर्जी करार दिया है।
साथ ही कोर्ट ने पुलिस की जांच पर भी संदेह जताया है और FIR की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया।
अखलाक को इस दौरान एक साल तक जेल में रहना पड़ा। जो जुर्म उसने किया ही नहीं उसके लिए गोदी मीडिया ने उसे अपराधी बता दिया।
अखलाक खुद पीड़ित था लेकिन गोदी मीडिया और भाजपा सरकार की पुलिस ने पीड़ित को ही अपराधी घोषित कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि देश में हिंदू कट्टरपंथी संगठन मुसलमान के ख़िलाफ़ विरोध में अल्पसंख्यक मज़दूरों और गरीब तबके के लोगों को ही निशाना बना रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही यूपी के बरेली और अन्य शहरों में भगवाधारियों ने फल और सब्जी बेचने वाले मुसलान मजदूरों पर हमला किया था।
देश में आए दिन ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं लेकिन न तो न्यायालय ही इसका स्वतःसंज्ञान ले रहा है और न ही केंद्र सरकार कोई निर्देश जारी कर रही है।
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