इंकलाबी मज़दूर केंद्र के उपाध्यक्ष कॉ. नगेंद्र का निधन, मज़दूर वर्ग के लिए समर्पित रहा पूरा जीवन
मज़दूर अधिकारों के लिए काम करने वाले और मज़दूर संगठन इंकलाबी मज़दूर केंद्र के उपाध्यक्ष कॉ. नगेंद्र का लंबी बीमारी के बाद 10 जून, गुरुवार को रात आठ बजे दिल्ली में निधन हो गया। वो बीते दो सालों से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से जूझ रहे थे।
बीमारी से जूझते हुए भी अंत समय तक वे इंकलाबी मज़दूर केंद्र के पाक्षिक अख़बार ‘नागरिक’ का संपादन करते रहे। वो बीते डेढ़ दशक से मज़दूरों के बीच काम कर रहे थे।
राजनीतिक जीवन में 47 साल की उम्र बहुत नहीं होती लेकिन कॉ. नगेंद्र ने छात्र जीवन से ही कम्युनिस्ट राजनिति से जुड़ गए और मज़दूर वर्ग के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
करीब 28 साल लंबे अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने अनेकों आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की। दिल्ली एनसीआर से मज़दूर आंदोलनों से वो क़रीबी से जुड़े हुए थे और मज़दूरों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए वर्कशॉप आयोजित करने में उनकी पहलकदमी उत्साहजनक होती थी।
अपनी राजनीतिक समझबूझ से वो आंदोलनों की अगुवाई में भी शामिल रहे। चाहे 1993-94 में नैनीताल में फड़- खोखे वालों का आंदोलन हो, कुमाऊं विश्विद्यालय में फीस वृद्धि के विरुद्ध छात्र आंदोलन, 2005 में ईस्टर ( खटीमा) का जुझारु मज़दूर आंदोलन हो या फ़रीदाबाद में लखानी मजदूरों, हाई पॉलीमर के ठेका मजदूरों समेत कई मजदूर आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका रही है।
छात्र राजनीति में कॉ. नगेंद्र ने परिवर्तनकामी छात्र संगठन के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई और कई वर्षों तक छात्रों- नौजवानों की त्रैमासिक पत्रिका “परचम”का संपादन किया।
अपनी मृत्यु के समय तक वे इंकलाबी मज़दूर केंद्र के उपाध्यक्ष एवं मजदूरों के पाक्षिक अखबार “नागरिक” के संपादन की जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे थे।
इंकलाबी मज़दूर केंद्र ने एक बयान जारी कर कहा है कि, “कामरेड नगेंद्र सरीखे क्रांतिकारी सिद्धांतों के प्रति दृढ़, इंकलाब के प्रति एकनिष्ठ रुप से समर्पित, अनुभवी एवं सरल सहज व्यक्तित्व के धनी साथी का असामयिक निधन क्रांतिकारी आंदोलन की अपूर्णीय क्षति है। उनकी यादों और सीखों को सहेजते हुये क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने में जी जान से जुट जाना ही वास्तव में उनकों हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
बयान में कहा गया है कि, “इंकलाबी मज़दूर केंद्र अपने नेतृत्वकारी साथी, अपने प्रिय कामरेड को क्रांतिकारी लाल सलाम पेश करते हुये उस वर्ग युद्ध को बढ़ चढ़ कर जारी रखने का संकल्प लेता है जिसे साथी नगेंद्र ने आजीवन एक क्रांतिकारी योद्धा की तरह लड़ा।”
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