नीदरलैंड में हज़ारों ट्रैक्टरों के साथ किसानों ने जाम किया हाईवे, शहरों का आवागमन ठप
नीदरलैंड में किसान इन दिनों आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने वहां नीदरलैंड-जर्मनी हाइवे समेत कई मुख्य राजमार्गों को जाम कर दिया है।
भारत में हुए किसान आंदोलन की तरह डच किसान भी सरकारी भवनों के सामने धरने पर बैठे गए हैं और कई शहरों में सुपरमार्केट्स भी बंद करा दिया है।
पांच जुलाई को नीरदरलैंड की सरकार ने नाइट्रोजन उत्सर्जन को अगले आठ सालों में 50 प्रतिशत तक कम करने की नीति की घोषणा की, इसके बाद से ही हज़ारों किसन ट्रैक्टरों के साथ शहरों की ओर कूच कर गए।
खेती और पशुपालन पर प्रतिबंध को लेकर किसान आक्रोशित हैं। सोमवार को किसानों के हड़ताल के कारण कई रास्ते जाम थे।
Netherland,farmers blocking the country pic.twitter.com/LKk0aGOCY6
— Ally 🐀 (@Allyenn) July 5, 2022
आंदोलनरत किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर सूचना जारी की थी कि सोमवार को वे लोग ट्रैक्टर्स के जरिये सड़क जाम करने वाले हैं।
ऐसे में एम्स्टर्डम के शिफोल हवाई अड्डे और एयर फ्रांस की डच शाखा केएलएम ने लोगों को हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए कारों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करने को कहा था।
क्यों आंदोलित हैं किसान?
किसानों के प्रतिरोध का मूल कारण है- वह नीति, जिसके तहत सरकार ने वर्ष 2030 तक नुकसानदायक नाइट्रोजन उत्सर्जन को आधा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए डच सरकार द्वारा खेती के लिए उर्वरकों के इस्तेमाल पर और पशुपालन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इससे किसानों और पशुपालकों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है।
किसानों का तर्क है कि हवाई परिवहन, भवन निर्माण और उद्योगों से बड़ी मात्रा में खतरनाक गैसें निकलती हैं लेकिन उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है।
जिस तरह भारत में किसान आंदोलन के दौरान किसानों के “किसान नहीं तो खाना नहीं” (नो फॉर्मर्स नो फ़ूड) नारे की तरह डच किसान भी एक नया नारा लेकर आए हैं- हमारे किसान, हमारा भविष्य (ऑवर फॉर्मर्स, ऑवर फ्यूचर)।
किसानों का कहना है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है और वे सरकार से नीति वापस लेने की उम्मीद करते हैं।
डच सरकार की किसान विरोधी नीति
सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार का कहना है कि नाइट्रोजन और अमोनिया के उत्सर्जन ने देश को यूरोप में बड़ा प्रदूषक बना दिया है। खेती और पशुपालन को सीमित करने का उद्देश्य देश की मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
सरकार ने किसानों को नाइट्रोजन वाले फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल बंद करने की चेतावनी दी है।
ऐसा नहीं करने पर किसानों को खेती बंद भी करनी पड़ सकती है। किसान इसी सरकारी कुनीति के ख़िलाफ़ आंदोलन में उतर पड़े हैं।
प्रदर्शन का हाल ये है कि शहरों में भी किसान अपने ट्रैक्टर लेकर घुस गए हैं, हाईवे तो जाम है ही, जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।
असल में पूरी दुनिया में पूंजीवाद अपने संकट के लिए बलि का बकरा ढूंढता फिर रहा है और डब्ल्यूटीओ से लेकर वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ़ तक खेती किसानी को निशाना बना रहे हैं।
(साभारः मेहनतकश)
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