NHM संविदा नर्सिंग कर्मियों ने सीएम अशोक गहलोत को लिखी चिट्ठी, पूछा 6,952/- में कैसे चलाएं घर?
कोरोना वॉरियर्स का तमगा देकर वाहवाही लूटने वाली सरकारों का हाल तब सामने आ जाता है जब स्वास्थ्य कर्मी इस माहामारी के दौरान जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं और इस आपदा के समय भी उन्हें वेतन के नाम पर वादों का पिटारा थमा दिया जाता है।
ये हाल सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों या केंद्र शासित स्वास्थ्य संस्थानों का नहीं है बल्कि बीजेपी का विकल्प देने का दम भरने वाली कांग्रेस सरकारों का भी है। नेशनल हेल्थ मिशन में ठेके पर लगे संविदा नर्सों ने राजास्थान के सीएम अशोक गहलोत को एक चिट्ठी लिखी है।
इसमें अपनी दुर्दशा का ज़िक्र करते हुए सम्मानजनक वेतन की मांग की है और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। इस चिट्ठी को यहां दिया जा रहा है-
इस संदेश के जरिए राजस्थान के माननीय चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जी व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी आपसे हम सभी संविदा नर्सेज यह सवाल करते हैं कि हमने 2016 में GNM नर्सिंग के लिए ऑनलाइन परीक्षा दी थी काफी मेहनत के बाद हम इस परीक्षा में मेरिट के आधार पर चयनित हुए।
फिर भी हमें परमानेंट नौकरी नहीं देकर सविंदा पर रखा गया परीक्षा देने के बावजूद भी अगर आप सविंदा पर रखते है तो दूसरा ऐसा कौन सा तरीका है जिससे आप परमानेंट सरकारी नौकरी दोगे और सविंदा पर भी रखा तो हमारा वेतन केवल 6,952/- प्रतिमाह और जब हम नर्सिंग कर रहे होते हैं तब हमारी 1 साल की फीस होती है 80,000/- जो सरकार ने निर्धारित कर रखी है।
यानी आपके द्वारा दिए गए वेतन से हम अपनी नर्सिंग की 1 साल की फीस भी नहीं भर सकते। इसी तरह 6,952/- प्रति महीने देखकर यदि आपको हम नर्सिंग कर्मियों का शोषण करना था तो फिर आपको नर्सिंग कॉलेज बंद कर देना चाहिए ताकि हम नर्सिंग में पैसे लगाकर बर्बाद ना हों।
इतनी मेहनत और पैसा खर्च करके नर्सिंग करने के बावजूद भी आपको हमें बेरोजगार रखना ह तो यह आपकी शोषणकारी व असंवेदनशीलता नीति को दर्शाता है।
दूसरा सवाल एक और आप कोरोना महामारी के दौरान आइसोलेशन सेंटर में रखे गए लोगों का प्रति व्यक्ति प्रति दिन का खर्च 2,460/- निर्धारित कर रखा है इसका मतलब 6,952/- में हम सिर्फ अपना गुजारा 3 दिन ही कर सकते हैं।
तो फिर बाकी 27 दिन क्या हम भीख मांग करके खाएं?
जहां समान योग्यता के साथ समान काम हम अस्पताल में कर रहे हैं लेकिन वेतन में हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है यह सरकार की भेदभाव शोषण व असंवेदनशीलता की नीति को दर्शाता है।
केवल नर्सिंग व 1-2 डिपार्टमेंट को छोड़कर बाकी किसी डिपार्टमेंट में ऐसा सिस्टम नहीं है कि उन कार्मिकों को संविदा पर रखा जा रहा है तो फिर हमारे साथ में ऐसा शोषण क्यों किया जा रहा है।
माननीय चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जी इस कोरोना महामारी के अंदर आप मात्र 100 PPE किट चिकित्सा विभाग को देते हैं तो भी उसे आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर हजारों लोगों को ट्वीट करके बताते हैं कि हमने यह किट दिए हैं।
बहुत लोगों को आप ट्वीट करते हैं लेकिन जब हम नर्सिंग कर्मी पिछले 1 महीने से वेतन बढ़ाने के लिए आप को ट्वीट कर रहे हैं जो हमारी जायज़ मांग है फिर भी आपका ध्यान हमारी और क्यों नहीं जा रहा है?
क्या आपकी सिर्फ इतनी हैसियत है कि आप मात्र 100 पीपीटी या 500 भोजन के पैकेट गरीबों को दे रहे हैं तो उसको भी आप सोशल मीडिया से लोगों को दिखा रहे हैं।
आप कह रहे हैं प्राइवेट सेक्टर में किसी को नौकरी से मत निकालो बिना काम के भी उसको पूरा वेतन दो, टैक्स भी जनता भरे, मुख्यमंत्री कल्याण कोष के लिए वेतन भी आप कर्मचारियों का काट रहे हैं।
दान भी जनता दे रही है, अस्पताल में सेवा भी स्वास्थ्य कर्मी दे रहे हैं। कोरोना महामारी में आम कर्मचारी काम कर रहा है और जनता को आप दर्शा रहे हैं कि कोरोना महामारी से सिर्फ सरकार लड़ रही है, राजस्थान सतर्क है?
हम लोगों ने लाखों रुपए लगाकर इसलिए नर्सिंग नहीं किया कि आप 6,952/- महीना देकर हमारा व हमारे परिवार का आर्थिक शोषण करो।
हम लोगों ने व आम जनता ने आप को वोट देकर इसलिए मंत्री नहीं बनाया इसलिए आप की सरकार नहीं बनाई कि आप मात्र 6,952/- प्रतिमाह हम नर्सिंग कर्मियों को देखकर हमारा शोषण करो।
लेकिन याद रखना इसी तरह हमारा शोषण होता रहा तो हम इस कोरोना महामारी के अंदर जनता की संवेदना सिर्फ और सिर्फ हम स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जागृत हुई है।
जनता हमारे साथ में है अब तुम्हारे बहकावे में आने वाली नहीं है। चिकित्सा मंत्री महोदय व मुख्यमंत्री महोदय आपसे अनुरोध है कि आप थोड़ी मानवता दिखाइए और जरा सोचिए कि 6,952/- प्रति महीने में हम अपना घर खर्च कैसे चलाएं।
थोड़ी सवेंदना हमारे लिए दिखाइए और हमें भी इतना हक दीजिए कि हम अपने परिवार का गुजारा आसानी से चला सकें।
इस संदेश के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत व रघु जी शर्मा आपको सूचित किया जा रहा है कि 2016 में नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत 3,167 पदों पर काम कर रहे संविदा नर्सिंग कर्मियों का वेतन यदि 26,500 /- माह नहीं किया गया और जल्द हमें परमानेंट करने का आश्वासन नहीं मिला तो पूरे प्रदेश भर में सभी नर्सिंग कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी।
जरूरत पड़ने पर हम सब इस्तीफ़ा देने को भी तैयार हैं जिससे चिकित्सा व्यवस्था को किसी भी तरह की अगर चुनौतियों का सामना करना पड़ा या चिकित्सा व्यवस्था डगमगाती है और यदि अगर ऐसा होता है तो न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में राजस्थान की सरकार की नाकामी का संदेश जाएगा जिसके जिम्मेदार राजस्थान सरकार खुद होगी।
क्योंकि अब किसी भी परिस्थिति में इस कोरोना महामारी में हम अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर मात्र 6,952/- में नौकरी नहीं कर सकते जल्द से जल्द हमारा वेतन बढ़ाया जाए अन्यथा अनिश्चितकालीन नर्सिंग कर्मियों की हड़ताल के लिए सरकार तैयार रहे।
- वर्कर्स यूनिटी को आर्थिक मदद देने के लिएयहां क्लिककरें
- वर्कर्स यूनिटी के समर्थकों से एक अर्जेंट अपील, मज़दूरों की अपनी मीडिया खड़ी करने में सहयोग करें
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसकेफ़ेसबुक, ट्विटरऔरयूट्यूबको फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिएयहांक्लिक करें।)