अब बॉर्डर के 100 किमी के दायरे में बिना पर्यावरण क्लियरेन्स लिए बनेंगे हाईवे: नए संशोधन
केंद्र ने पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन नियमों में संशोधन किया गया है, जिसके तहत बॉर्डर के 100 किमी के दायरे में रक्षा और रणनीतिक महत्व से संबंधित हाईवे परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
PTI की खबर के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में हवाई अड्डों पर टर्मिनल भवनों के विस्तार (हवाई अड्डे के मौजूदा क्षेत्र में बढ़ोतरी के बिना) से संबंधित परियोजनाओं को भी हरी झंडी लेने से छूट दी गई है।
इसके तहत उन बायोमास-आधारित पावर प्लांट की छूट सीमा को भी बढ़ाया गया है जो 15 प्रतिशत तक कोयले, लिग्नाइट या पेट्रोलियम उत्पादों जैसे सहायक ईंधन का उपयोग करते हैं।
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नोटफिकेशन के अनुसार, “बॉर्डर वाले राज्यों में रक्षा और रणनीतिक महत्व से संबंधित हाईवे परियोजनाएं संवेदनशील हैं और कई मामलों में रणनीतिक, रक्षा और सुरक्षा विचारों को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता पर कार्यान्वयन करने की आवश्यकता है।”
इसमें कहा गया है कि सभी राजमार्ग परियोजनाओं को LoC या बॉर्डर से 100 किलोमीटर तक की छूट दी गई है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उठाया था सवाल
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सीमा परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी से छूट देने के लिए अप्रैल में जारी मसौदा नोटिफिकेशन का विरोध करते हुए कहा था कि इससे नाजुक पारिस्थितिकी वाले क्षेत्रों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।
संशोधित नीति के लागू होने के साथ, उत्तराखंड में चार धाम परियोजना के कुछ हिस्सों, हिमालय और उत्तर पूर्व में कई अन्य परियोजनाएं जो सीमा या LoC के 100 किमी के भीतर आती हैं, उन्हें हरी झंडी की आवश्यकता नहीं होगी।
इस परियोजना में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिरों से कनेक्टिविटी में सुधार के लिए उत्तराखंड के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में 899 किलोमीटर सड़कों को चौड़ा करना शामिल है।
पहले 10 मी सड़क की थी मंजूरी
उत्तराखंड में एक पर्यावरण संबंधी NGO, Citizens for Green Doon द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में आदेश दिया था कि चार धाम परियोजना के लिए कैरिजवे की चौड़ाई रोड परिवहन मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर में निर्धारित 5.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
रक्षा मंत्रालय ने तब चौड़ाई 10 मीटर करने की अनुमति देने के क्रम में एक संशोधन की मांग की थी ताकि मिसाइल लांचर जैसी भारी मशीनरी को आसानी से उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा तक ले जाया जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने तब एक हाई-पावर कमिटी को इस मुद्दे पर गौर करने के लिए कहा था, जिसमें कहा गया था कि इन राजमार्गों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए चौड़ाई 10 मीटर की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने कहा कि कोयला, लिग्नाइट या पेट्रोलियम उत्पादों जैसे सहायक ईंधन का उपयोग करने वाले बायोमास आधारित थर्मल पावर प्लांट (TPP) को पहले से ही पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता से छूट दी गई है।
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