उत्तराखंड रोडवेज कर्मियों को 5 माह से नहीं मिला वेतन, कोर्ट ने कहा आपराधिक लापरवाही

उत्तराखंड रोडवेज कर्मियों को 5 माह से नहीं मिला वेतन, कोर्ट ने कहा आपराधिक लापरवाही

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों को पांच माह से वेतन न दिए जाने के मामले में सरकार की ओर से स्पष्ट उत्तर नहीं मिलने पर सख्त नाराजगी दिखाई है।

अदालत ने टिप्पणी की कि सरकार का व्यवहार “आपराधिक लापरवाही ” है। कोर्ट ने इस मामले पर एक विशेष बैठक निर्धारित की है।

मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने यह भी कहा कि कर्मचारियों को वेतन देने से इनकार कर राज्य संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के साथ-साथ अनुच्छेद 23 (जबरन श्रम पर रोक) का उल्लंघन कर रहा है।

कोर्ट ने इससे पहले  सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा था कि उसके आदेश के क्रम में सरकार ने निगम को सीएम रिलीफ फंड से 20 करोड़ और हिललॉस (पर्वतीय क्षतिपूर्ति) का 20 करोड़ रुपया दिया है या नहीं।

इसका साफ जवाब न देने से नाराज खंडपीठ ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा और परिवहन निगम के महानिदेशक अभिषेक रुहेला को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा।

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान परिवहन निगम के नवनियुक्त एमडी अभिषेक रूहेला उपस्थित हुए।

सरकार की ओर से बताया गया कि रोडवेज कर्मचारियों को 23 करोड़ रुपये का वेतन देना तो चाहते हैं लेकिन मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से निगम को 20 करोड़ रुपये की धनराशि नहीं दी जा सकती।

14 जून को परिवहन सचिव की अध्यक्षता में निगम को पुनर्जीवित करने की रणनीति को लेकर हुई बैठक का जिक्र करते हुए तर्क दिया कि सरकार निगम की बदहाली का परीक्षण कर निगम को सुधारना चाहती है।

कोर्ट ने रूहेला के बयान को आदेश में लिखते हुए कहा कि न तो सरकार ने 20 करोड़ का हिल लॉस का लोन दिया और न ही मुख्यमंत्री विवेकाधीन मद से निगम को 20 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

सरकार सांविधानिक स्कीम के तहत नागरिकों के जीवन को सुरक्षित रखने और विकसित करने के लिए बाध्य है।

कोर्ट ने सरकार को श्रम कानून याद दिलाते हुए कहा कि वह इस बात का भी ध्यान रखे कि नियमों के तहत एक भी कर्मचारी का वेतन न कटे।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक तरफ सरकार रुपये देने की इच्छा जता रही है और दूसरी ओर निगम से प्रस्ताव नहीं आने की बात करती है।

परिवहन सचिव उसी देहरादून में बैठे वित्त सचिव तक प्रस्ताव नहीं पहुंचा पा रहे हैं। सरकार ने पिछले पांच माह में एक कौड़ी तक नहीं दी। कर्मचारियों को इस वर्ष फरवरी से जून तक का वेतन नहीं मिला है।

(साभार- टाइम्स ऑफ इंडिया)

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Amit Singh

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