तुगलकाबाद और फरीदाबाद में रेलवे किनारे बसी 5000 झुग्गियों को 10 दिनों में उजाड़ने के नोटिस से हड़कंप
बीते साल 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने झुग्गी झोपड़ियों को रेलवे की जमीन से हटाने का आदेश दिया था, इसके बाद नॉर्दन रेलवे फरीदाबाद एवं तुगलकाबाद की ओर से सैकड़ों नोटिस जारी हो गए हैं।
ये नोटिस 14 जनवरी को एसी नगर फरीदाबाद के 180 से अधिक मजदूर परिवारों, 15 जनवरी को रामनगर के 200 मजदूर परिवारों, 21 जनवरी को कृष्णा कॉलोनी फरीदाबाद के 500 मजदूर परिवारों के घरों पर चिपका दिए गए हैं।
एसी नगर में 5000 से अधिक घर हैं, 2000 के तकरीबन घर कृष्णा कॉलोनी में तथा 2500 से अधिक घर रामनगर में जिसमें लाखों की तादात में दिहाड़ी करने वाले मजदूर परिवार अपने कच्चे एवं अध पक्के आशियानो में गुजर बसर कर रहे हैं।
मजदूर आवास संघर्ष समिति के राष्ट्रीय कन्वेनर निर्मल गोराना ने कहा कि अचानक मात्र 10 दिन का नोटिस देकर घर खाली करने की बात को लेकर मजदूर परिवार के मुखिया ही नहीं बल्कि महिलाएं एवं बच्चे भी परेशानी से घिर गए हैं। कोरोना की महामारी एवं सर्दी तथा वर्षा के बढ़ते प्रकोप में नॉर्दन रेलवे द्वारा मजदूर बस्तियों को नोटिस जारी करना सरासर मानवाधिकार का उल्लंघन है।
गोराना के अनुसार, फरीदाबाद में लगातार कोरोना मरीजों के मामले में बढ़ोतरी हो रही है और इन सब खबरों को सुनकर इन गरीब परिवारों का हाल वैसे भी बुरा है क्योंकि जहां इनका स्वास्थ्य खतरे में है वहां इनका रोजगार लगभग खत्म हो चुका है और इनके पास बचा हुआ यह आशियाना भी खतरे के काले बादलों से गिर गया है।
मजदूर आवास संघर्ष समिति एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकार समिति द्वारा 15 जनवरी से लगाकर 21 जनवरी तक एसी नगर, रामनगर एवं कृष्णा कॉलोनी के मजदूर परिवारों के साथ बैठक की गई जिसमें रेलवे द्वारा जारी नोटिस तथा रेलवे की जमीन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
सामाजिक न्याय एवं अधिकार समिति के अध्यक्ष दीनदयाल गौतम ने बताया कि नॉर्दन रेलवे द्वारा लगभग 40 वर्ष पूर्व रेलवे की लाइन के दोनों ओर जो दीवार बनाई गई थी वह रेलवे की जमीन का सीमांकन करती है किंतु वर्तमान में नॉर्दन रेलवे के मन में खोट पैदा हुई है और जस्टिस खानविलकर के आदेश को बहाना बनाकर झुग्गी झोपड़ियों की जमीन को भी रेलवे की जमीन बताकर नॉर्दन रेलवे इस कीमती जमीन को हड़पना चाहती है।
उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन के दोनों और रेलवे की दीवार सीधी सीधी बढ़ती हुई जा रही है किंतु जैसे ही कोई कच्ची बस्ती या झुग्गी झोपड़ी का क्षेत्र आता है तो रेलवे इस सीधी दीवार को एल आकार में ले जाना चाह रहा है और उसे अपने मन मुताबिक अपनी जमीन बताकर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले मजदूर परिवारों को परेशान कर रहा है जो अत्याचार की श्रेणी में आता है।
ऐसी नगर के रहने वाले विजय ने बताया कि उसका घर ऐसी नगर में कई वर्षों पूर्व बना हुआ है और उसके पास रेलवे द्वारा कोर्ट में दिया गया दस्तावेज है जिसमें रेलवे ने स्पष्ट बताया है कि विजय रेलवे की जमीन पर काबिज नहीं है जबकि आज रेलवे पुनः नोटिस लेकर उसके घर चिपका कर चला गया है।
निर्मल गोराना का कहना है कि 20 जनवरी 2022 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चल रहे स्वतःसंज्ञान मामला सीएम-2 सीडब्ल्यू पीआईएल-2022 एवं सीडब्ल्यू-पीआईएल-77-2021 में स्पष्ट रूप से आदेश पारित किया गया है कि 28 फरवरी 2022 से पहले हरियाणा में कोई भी विभाग, संगठन, निकाय किसी भी प्रकार की बेदखली (eviction) या विस्थापन नहीं कर सकता है और ना ही किसी प्रकार का कोई एक्शन ले सकता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी 2022 को होगी जिसमें इस आदेश को स्थगित या संरक्षित रखा जा सकता है।
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