जॉर्डन लेबर यूनियनों के कार्यालयों पर ताले लगा रही सरकार, दमन के बीच उठी आवाज़- हमको चाहिए आज़ादी

जॉर्डन लेबर यूनियनों के कार्यालयों पर ताले लगा रही सरकार, दमन के बीच उठी आवाज़- हमको चाहिए आज़ादी

कोरोना वायरस की विश्व महामारी के दौरान दुनियाभर में एक बार फिर जनविरोधी सरकारों के खिलाफ जनउभार शुरू हो गया है। इस बार ये महामारी फैलने से पहले चल रहे आंदोलनों के नए चरण की तरह दिखाई दे रहा है।

लेबनान, हांगकांग, अमेरिका, फ्रांस और यूरोप के तमाम देशों में सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चाबंदी जारी है। सभी जगह पूंजीवादी व्यवस्था पर तीखा वार हो रहा है। इसी कड़ी में नया उभार प्रमुख अरब देश जॉर्डन में पैदा हो गया है।

यहां सरकार से मोर्चा लेने को शिक्षक समुदाय सड़कों पर उतर गया है। हाल ही में हजारों की तादाद में राजधानी अम्मान में शिक्षकों का प्रदर्शन हुआ, जिसका बेरहमी से दमन करने की कोशिश की गई।

बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी और शिक्षक संगठन को नेतृत्व दे रही लेबर यूनियन के दफ्तरों पर ताला मारने की कोशिशें जारी हैं। इसके बावजूद सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं। जैसे-जैसे दमन बड़ रहा है, प्रदर्शन के नारे और मांगें और ज्यादा तीखे हो रहे हैं।

प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी शिरकत शुरू कर दी है। पर्दानशीं महिलाएं प्रदर्शनों को संबोधित कर रही हैं और सरकार को चुनौती दे रही हैं।

वे कह रही हैं, ‘शिक्षक कलम लेकर अपनी मांग रख रहे हैं, न कि हथियार लेकर। सरकार को लगता है कि इस तरह वह अपने किले सुरक्षित कर लेगी तो भूल जाए। हम देश के हर शहर और सरकार के मुख्यालयों के सामने खड़े हो जाएंगे, अम्मान सिर्फ नमूनाभर है।’

प्रदर्शनकारियों के नारे ‘आजादी-आजादी-आजादी’, ‘देश के शिक्षक जिंदाबाद’, ‘सरकार होश में आओ- शिक्षकों से न टकराओ’ सरकार की धड़कन बढ़ाए हुए हैं।

आपातकाल लगाया

शिक्षक वेतन-भत्तों के अलावा शिक्षा व्यवस्था में सरकार के अनैतिक हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक अधिकारियों के हनन का विरोध कर रहे हैं।

यहां बता दें, कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में अप्रैल में जॉर्डन में आपातकाल घोषित कर स्वतंत्र अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित कर दिया गया।

ह्यूमन राइट वॉच के मुताबिक, देश के बिगड़े हुए हालात पर बोलने वालों की उस दौरान बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की गईं। ये दमनचक्र बदस्तूर जारी है।

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ashish saxena