भारत छोड़ो दिवस पर किसानों-मजदूरों का धरना प्रदर्शन, मनाया भारत बचाओ दिवस

भारत छोड़ो दिवस पर किसानों-मजदूरों का धरना प्रदर्शन, मनाया भारत बचाओ दिवस

By पुनीत सेन, प्रयागराज

ऐतिहासिक 9 अगस्त 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर इलाहाबाद संयुक्त ट्रेड यूनियंस व किसान आंदोलन एकजुटता मंच ने संयुक्त रूप से धरना-प्रदर्शन करते हुए इलाहाबाद जिलाधिकारी के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा।

वक्ताओं ने कहा कि नौ महीनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सड़कों पर गर्मी-ठंडी-बरसात सहते हुए लाखों किसान तीनों काले कृषि कानून के विरोध में संघर्षरत हैं, लेकिन वर्तमान की सरकार उनसे संवाद भी नहीं कर रही है।


डॉ. कमल उसरी ने कहा कि यदि काला कृषि कानून लागू हो गया तो जैसे डीज़ल पेट्रोल सरसों तेल के दाम बढ़ने से आम आदमी के पहुँच से दूर हो गया है, ठीक उसी तरह गरीबों के मुंह से रोटी छिन जाएगी, कई वर्षों के संघर्षों से प्राप्त 44 श्रमिक कानूनों को चार श्रमिक कोड में समेट कर श्रमिकों के अधिकार समाप्त कर रही है, उन्हें पुनः गुलाम बना रही है।

उन्होंने कहा कि मंहगाई, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, कोरोना संकट में अपनी जान की परवाह किए बगैर रातदिन कोरोना वॉरियर्स सफाईकर्मी, आशा आंगनवाड़ी, 102,108, ALS एम्बुलेंस कर्मचारियों को स्थाई करने के बजाए उन्हें नौकरी से ही निकाला जा रहा है, कोरोना के नाम पर स्कूल कॉलेज पहले से ही बंद हैं, नई शिक्षा नीति लागू होने से ग़रीब दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी पिछड़े समुदाय के बच्चे पूरी तरह से शिक्षा से वंचित हो जायेंगे।

धरने में मुख्य रूप से सीटू से रवि मिश्रा, एटक से राम सागर, ऐक्टू से डॉ कमल उसरी, इंटक से डी पी सिंह, ए आई यू टी यू सी से राजवेंद्र सिंह, सीटू से अविनाश मिश्रा, कंफर्डसन ऑफ़ सेंट्रल गवर्नमेंट इम्प्लाइज एंड वर्कर्स से सुभाष चंद्र पाण्डेय, प्रमोद मिश्रा, हरिश्चंद्र द्विवेदी, अनिल वर्मा, रिशेश्वर उपाध्याय, नसीम अंसारी, अखिल विकल्प, सुनील मौर्य, आंनद मालवीय, देवानंद, भूपेंद्र पाण्डेय, सुभाष पटेल, सीमा आज़ाद, सतेंद्र सिंह, मुस्तकीम, आशीष कुमार, विमल मिश्रा, सोनू यादव, मनीष सिन्हा, सिटिज़न ब्रदरहुड से विनोद तिवारी, सिध्हेश्वर मिश्रा, अधिवक्ता मंच से घनश्याम मौर्या, मंजू देवी, अंतस सर्वानंद, प्रदीप ओबामा, विकास स्वरूप, ननकी सहित इलाहाबाद के कई लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखने वाले जन संगठनों और लोगों भी शामिल रहे।

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Workers Unity Team

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