कोरोनाः ये हाल है मोदी सरकार की तैयारियों का, 22.5 हज़ार राहत कैंपों में 15.5 हज़ार सिर्फ़ केरल में
By प्रकाश के रे और मुकेश असीम (फ़ेसबुक वॉल से)
मोदी सरकार ने देशभर में चल रहे सरकारी राहत शिविरों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है।
इस सूचना के अनुसार, देशभर के 22,567 शिविरों में से 15,541 राहत शिविर केरल सरकार द्वारा संचालित हो रहे हैं।
मतलब यह कि 68.8 फ़ीसदी शिविर अकेले केरल सरकार चला रही है।
सभी शिविरों में 6,31,119 लोग रहे हैं. इनमें से 3,02,016 लोग केरल सरकार के शिविरों में है. यह आंकड़ा प्रतिशत में 47.9 है।
केंद्र सरकार ने राज्यों को आपदा राहत कोष से 11,092 करोड़ का कुल आवंटन किया है, जिसमें से केरल को मात्र 157 करोड़ यानी 1.4 फ़ीसदी ही मिला है।
केरल जो एक रुपया का राजस्व केंद्र सरकार को देता है, उसमें से मात्र 25 पैसा ही उसे मिल पाता है।
अब कोविड के दौर में केंद्र क्या कर रहा है?
पीएम केयर्स के भारी प्रचार और दबाव, आदि के जरिये ऐसे इकट्ठा होने वाला सारा पैसा भी राज्यों के बजाय केंद्र के पास खींच लिया गया।
10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा ‘दान’ की घोषणा हो चुकी है, पर इसमें से खर्च की कोई घोषणा अब तक नहीं सुनी गई।
पिछले PMNRF की तरह यह भी बैंकों के बॉन्ड में तो न पहुँचेगा?
800 सांसदों के फंड के जरिये भी करीब 4 हजार करोड़ रु सालाना राज्यों को मिलता था। अब दो साल का 8 हजार करोड़ भी केंद्र ने रख लिया।
रिजर्व बैंक भी सरकारी-निजी बैंकों व वित्तीय-औद्योगिक कंपनियों के लिए तो सस्ती दर पर कर्ज व अन्य तमाम किस्म के राहत वाले कदम उठा रहा है, पर राज्यों को सस्ती दर पर कर्ज देने के लिए तैयार नहीं।
नतीजा यह है कि राज्य पूँजी बाजार से ऊँचे ब्याज पर कर्ज ले रहे हैं। आज एक राज्य ने 8.96% ब्याज दर पर कर्ज जुटाया।
अर्थात बैंक रिजर्व बैंक से 4.40% पर कर्ज ले राज्यों को उससे दोगुने ब्याज पर कर्ज दे भारी मुनाफा कमा रहे हैं।
भूख हो या महामारी, बाढ़ हो या सूखा, वित्तीय पूँजीपतियों की लूट ऐसे ही जारी रहती है।
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