संसद में गूंजा किसान-मजदूरों का मुद्दा, ”प्रधानमंत्री का बयान निरर्थक”
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि आम जन के हितों की रक्षा के लिए सरकार को तीन किसान विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करने व ईंधन की कीमतों को कम से कम आधा करने के अलावा सभी किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांगो पर अमल करना चाहिए।
एसकेएम ने संसद के मॉनसूत्र सत्र के पहले दिन सोमवार को किसानों के मुद्दे पर हुए हंगामे को महिलाओं, दलितों और पिछड़ों, आदिवासियों के मंत्री बनने से उपजी नाराजगी बताये जाने की कड़ी निंदा की है। जो नारे लगाए जा रहे थे, वे हाशिये के नागरिकों के थे, जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानूनों और नीतियों का सामना करना पर रहा है।
मोर्चा ने एक बयान में कहा कि नरेंद्र मोदी का बयान (एक लोक-विरोधी सरकार का बचाव करने के लिए, जिस पर कई मोर्चों पर उसकी विफलताओं के लिए हमला किया जा रहा है और जिसे इस संसद सत्र में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा) वास्तव में निरर्थक है क्योंकि संसद भवन में गूंज रहे नारे किसान आंदोलन से सीधे संसद पहुंचे थे।
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने इससे पहले सभी सांसदों को एक ‘पीपुल्स व्हिप’ जारी किया था और एसकेएम के प्रतिनिधिमंडल ने कई सांसदों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात भी की थी। विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में उन मुद्दों को उठाया जिन्हें किसान आंदोलन कई महीनों से उठा रहा है।
बयान में कहा गया है कि एसकेएम प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहता है कि महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, किसानों और ग्रामीण भारत के अन्य लोगों सहित देश के हाशिये पर रहने वाले समुदायों को सच्चा सम्मान तभी मिलेगा जब उनके हितों की वास्तव में रक्षा की जाएगी।
इसके लिए सरकार को तीन किसान विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करने और ईंधन की कीमतों को कम से कम आधा करने के अलावा सभी किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांगो पर अमल करना चाहिए। अन्यथा बचाव के लिए खोखले शब्द अर्थहीन हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने नोट किया कि दिल्ली पुलिस, किसानों की संसद विरोध मार्च की योजनाओं के बारे में स्पष्ट रूप से सूचना होने के बावजूद, इसे “संसद घेराव” करार दे रही है।
एसकेएम ने पहले ही सूचित कर दिया था कि संसद की घेराबंदी करने की कोई योजना नहीं है, और विरोध शांतिपूर्ण और अनुशासित होगा। दिल्ली पुलिस जानबूझकर गलत सूचना दे रही है और एसकेएम ने दिल्ली पुलिस को ऐसा करने से बचने को कहा।
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