गोपाल मिश्रा समेत कई ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की जासूसी, मोदी सरकार पर गंभीर आरोप
इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर द्वारा भारत में कई नेताओं, पत्रकारों और कई एक्टिविस्टों के फोन हैक करने का खुलासा सामने आया है।
सामने आई रिपोर्ट में 150 से ज्यादा लोगों के फोन हैक करने की बात कही गई है। वहीं, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की बात कही गई।
लीक हुए रिकॉर्ड में जिन एक्टिविस्ट के फोन नंबर दिखाई देते हैं उनमें अंबेडकरवादी कार्यकर्ता अशोक भारती, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, बंज्योत्सना लाहिड़ी, नक्सल बहुल क्षेत्रों में जीवन के अकादमिक और इतिहासकार बेला भाटिया, रेलवे यूनियन नेता शिव गोपाल मिश्रा, दिल्ली स्थित श्रम अधिकार कार्यकर्ता अंजनी कुमार, कोयला खनन विरोधी कार्यकर्ता आलोक शुक्ला, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सरोज गिरी, बस्तर स्थित शांति कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी, बीबीसी के पूर्व पत्रकार और ट्रेड यूनियनिस्ट संदीप कुमार राय “राउज़ी” जो वर्कर्स यूनिटी नामक एक श्रमिक अधिकार मीडिया प्लेटफॉर्म प्रकाशित करते हैं साथ ही राउजी के सहयोगी खालिद खान और बिहार की कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी शामिल हैं।
डिजिटल फोरेंसिक के बिना यह पता कर पाना संभव नहीं है कि उनके फोन हैक या इन्फेक्टेड किए गए थे या नहीं। लेकिन सूची में उनके नाम होने से पता चलता है कि वे एनएसओ समूह के भारत से जुड़े ग्राहक के रुचि के लोग थे।
एनएसओ का कहना है कि वह अपना पेगासस स्पाइवेयर (इजरायल के रक्षा मंत्रालय द्वारा सैन्य ग्रेड निगरानी प्रौद्योगिकी के रूप में वर्गीकृत किया गया) सिर्फ ”जांच की गई सरकारों” को बेचता है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने यह बताने से लगातार इनकार किया है कि वह एनएसओ की क्लाइंट है या नहीं।
केन्द्र सरकार के कर्मचारी संघ के संयुक्त सलाहकार तंत्र के सचिव और अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी संघ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा भी साल 2018-19 में अज्ञान भारतीय ग्राहक की फेरिस्त में थे। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं है कि उनकी निगरानी की गई होगी।
उन्होंने द वायर को बताया, “हम सातवें वेतन आयोग, सरकारी नौकरियों में रिक्त पदों और पेंशन योजनाओं में संशोधन के मुद्दों पर पुरजोर तरीके से आवाज उठाई थी।”
दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र मजदूर अधिकार एक्टिविस्ट अंजनी कुमार का फोन नंबर भी रिकॉर्ड में दिखाई देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि 2018 और 2019 में वह निगरानी में आ गए।
इस बारे में जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने गोपनीयता के कारणों का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अंजनी कुछ साल पहले तक विभिन्न मजदूर मुद्दों और आंदोलनों पर एक श्रमिक अधिकार हिंदी पत्रिका फिलहाल में अक्सर लेखों का योगदान देते रहे हैं।
एक एक्टिविस्ट के रूप में उनका हरियाणा के मानेसर में मारुति श्रमिक आंदोलन सहित, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में श्रमिक आंदोलनों में भाग लेने का एक लंबा रिकॉर्ड रहा है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला भी जासूसी सूची के संभावित नामों में हैं। उन्होंने कई खनन विरोधी विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया है।
शुक्ला को लगता है कि उन्हें उनकी सक्रियता के लिए निशाना बनाया जा सकता था। खास तौर पर अडानी समूह द्वारा संचालित कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ उनके रुख के लिए।
शुक्ला ने द वायर को बताया, “पिछले कुछ वर्षों में, मैंने अडानी समूह के खिलाफ उनकी नासमझ खनन परियोजना के लिए कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन और नेतृत्व किया है।”
उनका कहना है कि इसने उन्हें राज्य में पिछली रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में निगरानी के दायरे में ले लिया गया होगा।
मिश्रा ने कहा कि सर्विलांस की कोशिशों से पता चलता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार को लोगों की परवाह नहीं है। पिछली सरकारों में दया ममता हुआ करती थी। ये सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम करना चाहती है।
गौरतलब है कि पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज ने बनाया है। ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफो फोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।
(साभार- द वायर)
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