जमीन पर बैठे इस किसान की तस्वीर क्यों हो रही है वायरल?
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने जमीन पर बैठे एक बुजुर्ग किसान की फोटो वायरल हो रही है जो समाधान दिवस पर अपनी शिकायत लेकर आए थे।
यह फोटो तिलोई तहसील मुख्यालय की है जहां ‘सम्पूर्ण समाधान दिवस’ के तहत लोगों के पुराने केसों का निपटारा किया जाना था।
पत्रकारों से इंटरव्यू में महादेव, जिनकी फोटो वायरल हो रही है, बताते हैं कि उनका केस पिछले 15 सालों से अटका पड़ा है वह इस उम्र में भी तहसील मुख्यालय के चक्कर मारने को मजबूर हैं।
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क्या यही है लोकतंत्र की असली तस्वीर जहां इंसाफ की गुहार लगाने के लिए लोगों को आज भी अथॉरिटी के पैरों पर गिरना पड़ता है।
यह तस्वीर ये बयान करती है कि एक नागरिक, खासकर जो कि कमजोर और असहाय हैं, उनकी प्रशासन और अधिकारी कितनी तवज्जो देते हैं।
इंसाफ की मांग करते हुए इस देश के नागरिक को
जब तस्वीर वायरल होने लगी और सोशल मीडिया पर लोग अधिकारियों को महादेव के साथ बदसलूकी का जिम्मेदार ठहराने लगे, तब अपने बचाव में अमेठी के DM फोटो खींचने वाले पत्रकार के सर दोष मढ़ने की कोशिश में लग गए।
@UPGovt @PMOIndia @JagranNews समाधान दिवस हैं,महोदय आरोप-प्रत्यारोप दिवस नहीं है पत्रकार पर सवाल ?
— anand yadav Advocate (@anand1471992) July 4, 2022
अमेठी पुलिस ने भी ट्वीट कर पत्रकार जय प्रकाश पांडे पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने बुजुर्ग को जमीन पर बिठा कर जानबूझ कर इस तरीके से फोटो खींची गई कि वह वायरल हो जाए।
उन्होंने दावा किया कि फोटो खींचने के बाद महादेव को तुरंत कुर्सी पर बिठाया गया।
एक दूसरे इंटरव्यू में महादेव ने बताया कि करीब 15 मिनट तक वहां बैठने के बाद अधिकारियों ने उन्हें दूर जा कर बैठने को कहा, ना कि कोई कुर्सी दी।
वे आगे कहते हैं कि छीछालेदर होने पर अब अधिकारी उन्हीं की गलती निकालने पर आमादा हैं।
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि पत्रकार ने उन्हें बैठने को नहीं कहा था, बल्कि वह खुद अपनी कमजोरी के कारण बैठ गए थे।
लेकिन इस सारे तमाशे के बीच, पिछले 15 सालों से चप्पल घिस रहे महादेव को अभी तक न्याय नहीं मिला है।
इसके उलट खुद के दोष छुपाने के लिए अधिकारी, इंसाफ की गुहार करने आए महादेव की ही कमियां निकालने में लगे हैं।
आने वाले समाधान दिवस में महादेव फिर अपने केस के समाधान की आस में आएंगे और ना जाने कितने समय तक उन्हें अधिकारियों के चक्कर काटने होंगे।
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