कर्नाटक: पौराकर्मिकाओं की हड़ताल सफल, सरकार नौकरी पक्की करने को राजी

कर्नाटक: पौराकर्मिकाओं की हड़ताल सफल, सरकार नौकरी पक्की करने को राजी

पिछले चार दिन से हड़ताल पर बैठे कर्नाटक के सफाई कर्मचारियों (पौराकर्मिका) को आखिरकार जीत मिली है।

कर्नाटक सरकार ने तीन महीने के अंदर डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम के अंतर्गत आने वाले पौराकर्मिकाओं कि नौकरी पक्की करने को राजी हुई है।

सभी सफाई कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन दिया देने का भी ऐलान किया गया है।

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कचरा गाड़ी के ड्राइवर, कूड़े को गाड़ी में डालने वाले लोडर, कूड़ा उठाने वाले हेल्पर, आदि सबको डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम के अंतर्गत लाया जाने का भी ऐलान किया गया।

बोम्माई सरकार IPD सलप्पा की रिपोर्ट पर तामील करने को भी राजी हुई है।

साथ ही साथ कहा कि सारे पौराकर्मिकाओं को घर, बच्चों को शिक्षा, मात्रत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव, आदि सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।

यूनियन की मजदूरों को बधाई

AICCTU से संबंधित बृहत बैंगलोर महानगर पालिका (BBMP) पौराकर्मिका संघ और कर्नाटक प्रगतिपर पौराकर्मिकार संघ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सभी पौराकर्मिका को बधाई दी।

कर्नाटक के 31 जिलों के पौराकर्मिका पिछले चार दिनों में अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे थे, जबकि हजारों कार्यकर्ता बैंगलोर के फ्रीडम पार्क में इकट्ठा हुए थे।

जिन पौराकर्मिकाओं ने गरिमाहीन परिस्थितियों में काम किया है, और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, वे अपने अधिकारों के लिए लड़े और विजयी हुए।

कर्नाटक सरकार ने एक समिति गठित करने के बाद उनकी नौकरी को स्थायी करने पर सहमति जताई है जिसमें पौराकर्मिका यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो नियुक्ति नियमों के साथ आएंगे।

समिति मजदूरों के लिए ‘समान काम के लिए समान वेतन’ के कार्यान्वयन पर भी विचार करेगी। इसके अनुसरण में विधानसभा आगामी विधानसभा सत्र में एक विशेष कानून का प्रस्ताव रखेगी।

BBMP के सफाई मजदूर अभी भी ठेकाकर्मी

कर्नाटक के अन्य सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से ऑटो चालकों, हेल्परों और लोडरों को डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम के तहत लाया जाएगा, जबकि BBMP के वर्कर उसी शोषक कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम के तहत बने रहेंगे।

विज्ञप्ति में कहा गया कि यूनियन अवैध और शोषणकारी कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ना और सभी के लिए अधिकार और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना जारी रखेगा।

सरकार जनसंख्या से मजदूरों के अनुपात के संदर्भ में IPD सलप्पा की रिपोर्ट को लागू करने के लिए भी सहमत हुई है, साथ ही पौराकर्मिकाओं के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, एक आवास योजना को लागू करना, मातृत्व लाभ औरअन्य सेवा लाभ देने को भी राजी हुई है।

बताते चलें कि सालों से प्रशासन के सामने पक्की नौकरी की मांग के लिए सर पटकने के बावजूद मौलिक अधिकारों से वंचित, कर्नाटक के सारे सफाई मजदूर और पौराकर्मिका 1 जुलाई से हड़ताल पर थे।

हर पांच में से सिर्फ एक वर्कर पर्मानेंट

The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि राज्य सरकार ने साल 2017-18 में सफाई कर्मचारियों को नौकरी पक्की करने का आदेश दिया था लेकिन अभी तक 54,512 सफाई कर्मचारियों में से सिर्फ 10,755 ही रेगुलर हुए थे, और बाकी मजदूर बिना किसी सामाजिक सुरक्षा या लाभ के काम करने को मजबूर थे।

1 जुलाई से अंडरग्राउंड ड्रेनेज वर्कर, कूड़ा इकट्ठा करने वाले, झाड़ू लगाने वाले, कूड़ा लोड करने वाले, कचरा गाड़ी के ड्राइवर समेत सारे सफाई मजदूर राज्य के सारे जिलों में डेप्यूटी कमिशनर के ऑफिस के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे।

काफी लंबे संघर्ष और हड़तालों के बाद साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारामैया की सरकार में राज्य मंत्रीमंडल ने ठेका व्यवस्था हटा कर पौराकर्मिकाओं को डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम के अंतर्गत लाया था।

साल 2017 में अधिकारियों ने Special Recruitment Rules लागू किये जिसके तहत सिर्फ सड़कों पर झाड़ू लगाने वाले मजदूरों को पौराकर्मिका का दर्जा दिया गया।

लेकिन कचरा गाड़ी ड्राइवर, ड्रेनेज साफ करने वाले, कचरा इकट्ठा करने वाले, कचरा लोड करने वाले, आदि मजदूरों को ठेके पर ही रखा गया, जो की मंत्रीमंडल के निर्णय का उल्लंघन था।

डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम के तहत सफाई मजदूर स्थानीय शहरी संस्था या मुंसिपालिटी के अधीन होते हैं और उनकी मजदूरी वहीं से मिलती है।

30 साल काम करने के बावजूद टेम्पररी

लगभग 30-35 सालों की सेवा के बाद भी सफाई मजदूरों को केवल 14,000 रुपए मासिक मिलते हैं बिना किसी अन्य सुविधा या लाभ के।

ऐसी हालत में वे रिटायरमेंट की उम्र आने पर भी बिना किसी पेंशन के जानलेवा परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं।

बैंगलोर में लगभग पाँच साल पहले राज्य सरकार ने BBMP के 4600 पौराकर्मिकाओं की नौकरी पक्की करने का आदेश दिया था।

मजदूरों की पक्की नौकरी और सुरक्षित कार्य परिस्थितियों की मांग के बावजूद इतने समय बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ।

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Workers Unity Team

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