यूपी सरकार को बिजली कर्मचारियों की सीधी चेतावनी, फ्रंट लाइन वर्कर घोषित किए जाने के लिए आज से आंदोलन
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी आक्रोशित नजर आ रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के सामने कोरोना संक्रमण सम्बन्धित समस्याओं का समाधान और बिजलीकर्मियों और संविदा मजदूरों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित किए जाने की मांग रखी है।
मांग पूरी न होने पर बिजली कर्मचारियों ने सरकार को आज से आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति यह मांग कर रही है कि सभी उर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों , अभियंताओं और संविदा मजदूरों को तत्काल फ्रन्ट लाइन वर्कर घोषित कर सर्वोच्च प्राथमिकता पर वैक्सीन लगाई जाये।
समिति ने यह मांग भी रखी है कि मृत कर्मियों के परिजनों को जल्द से जल्द 50 लाख रुपये मुआवजा का भुगतान सुनिश्चित किया जाये और मृतकर्मियों के आश्रितों को उनकी योग्यतानुसार नौकरी भी दी जाये।
हिंदुस्तान में छपी एक खबर के अनुसार विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने इस बारे में कहा, ”सभी उर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा श्रमिक, जूनियर इंजीनियर और अभियंता दो जून से आक्सीजन प्लांटों, अस्पतालों व आम लोगों को बिजली आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नही करेंगे। राजस्व वसूली, झटपट पोर्टल, वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसे कामों से बिजलीकर्मी अपने को अलग रखेंगे मगर व्यापक जनहित में बिजली आपूर्ति बनाये रखी जाएगी।”
उन्होने आगे बताया कि कोरोना से लगभग 253 बिजलीकर्मियों की मृत्यु से उर्जा निगमों में दहशत का वातावरण है। 7 संघर्ष समिति ने इतने गंभीर मामले पर उर्जा निगम प्रबंधन के संवेदनहीन रवैये की आलोचना करते हुए फिर से मुख्यमंत्री और उर्जामंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को अपनी समस्यायों को लेकर एक पत्र भेजा। इस पत्र में प्रबंधन की ओर से हो रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के बारे अवगत कराया गया।
पत्र में आगे लिखा गया है कि 6 अक्टूबर,2020 को मंत्रिमंडलीय उपसमिति और संघर्ष समिति के मध्य हुए समझौते में स्पष्ट लिखा है कि आंदोलन के दौरान हुई सभी एफआईआर बिना शर्त वापस ली जाएंगी लेकिन 28 मई को वाराणसी में हुई एफआईआर की विवेचना तेज कर दी गई है। इससे बिजलीकर्मियों का गुस्सा बढ़ गया है।
इसके अलावा मध्यांचल में तैनात अभियंता संघ के महासचिव प्रभात सिंह का उत्पीड़न की दृष्टि से गऊघाट उपखण्ड में स्थांतरण किया गया और लखनऊ में उपस्थित होते हुए भी उन्हें अनुपस्थिति में कार्यमुक्त कर दिया गया जो नितांत अनुचित और अपमानजनक है।
संघर्ष समिति ने यह मांग भी रखी है कि संघ के महासचिव प्रभात सिंह का स्थान्तरण और अनुपस्थिति दिखाकर की गई रिलीविंग तत्काल निरस्त की जाये और प्रदेश भर में आंदोलन के दौरान हुई सभी एफआईआर बिना किसी शर्त के वापल ली जाए।
इसके साथ ही संघर्ष समिति की तरफ से यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि अभियंता संघ के चल रहे आंदोलन के कारण किसी भी अभियंता का उत्पीड़न होता है तो संघर्ष समिति प्रांतव्यापी आंदोलन शुरू कर देगी।
(साभार-हिंदुस्तान)
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)