तमिलनाडु में झारखंड के 11 मजदूरों का 2 लाख रु. दबाने के बाद ठेकेदार ने वापस जाने से रोका

तमिलनाडु में झारखंड के 11 मजदूरों का 2 लाख रु. दबाने के बाद ठेकेदार ने वापस जाने से रोका

तमिलनाडु के सेंट थॉमस माउंट स्टेशन पर काम करने वाले 11 मजदूरों को गांव जाने की अनुमति मिल गयी है। स्टेशन पर काम करने वाले सभी 11 मज़दूरों का आरोप था कि ठेकेदार बंधक बना कर काम करवा रहा था। इसकी जानकारी मज़दूरों ने ‘इंडिया लेबर लाइन’ को दी।

मज़दूरों का आरोप है कि ठेकेदारों ने उनका वेतन भी रोक लिया है और उनके ऊपर काम खत्म करने का भी दबाव बना रहा है।

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सभी 11 मज़दूर झारखंड के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि अगस्त के महीने में झारखंड में एक बड़ा त्यौहार मनाया जाता है जिसके लिए सभी मज़दूर अपने गांव जाना चाहते थे, लेकिन ठेकेदार ने उन्हें नहीं जाने दिया। साथ ही उनका महीनों का वेतन भी रोक दिया। जिसके कारण वो अपने घर नहीं जा पा रहे हैं।

मज़दूरों ने बताया कि ठेकेदार के ऊपर 11 मज़दूरों का लगभग 2 लाख रुपए बकाया है, जिसका भुगतान करने से ठेकेदार ने मना कर दिया है।

लेबर लाइन के सदस्यों में जब ठेकेदार से बात कि तो मालूम चला कि कम्पनी ने मज़दूरों का वेतन नहीं दिया है, तो हम कहां के भुगतान कर दें? बाद में कंपनी मालिक से बात हुई तो उसने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि सभी मज़दूर ठेकेदार के साथ काम करते हैं। इनकी पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की बनती है।

फिर लेबर लाइन ने ठेकेदारों और मालिक को लेबर कोर्ट के द्वारा शिकायत भेजने की बात कही। इसके बाद कम्पनी ने मज़दूरों की समस्यों पर ध्यान देना शुरू किया।

दबाव पड़ने पर सभी मज़दूरों को उनका बकाये वेतन में से 1,52,000 रुपयों का भुगतान कर दिया गया। बाकि बचे 25 हज़ार रुपए का भुगतान इस बात पर तय किया गया कि जब सभी मज़दूर दोबारा काम पर वापस लौटेंगे, तो इस राशि का भुगतान कर दिया जायेगा।

क्या कारण है जो मज़दूरों को रोका गया

लेबर लाइन का कहना है कि कंपनी के पास पर्याप्त साधन न होने के कारण मज़दूरों को जबरदस्ती रोक कर काम पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा था। जिसके कारण मज़दूरों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। यहां तक की मज़दूरों को खाने पीने की दिक्कतों का भी समाना करना पड़ रहा था।

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WU Team

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