भगवती वर्करों के वेतन वसूली के लिए कंपनी को 16 करोड़ रु. का नोटिस जारी
उत्तराखंड के सिडकुल पंतनगर स्थित माइक्रोमैक्स मोबाइल बनाने वाली कंपनी भगवती प्रोडक्ट्स के बर्खास्त ३०३ मज़दूर साढ़े तीन साल से संघर्ष कर रहे हैं। मजदूरों को आखिरकार बड़ी जीत मिली है।
लेबर डिपार्टमेंट ने मज़दूरों का 2018 से अब तक का वेतन भुगतान करने के लिए कंपनी को लगभग 15.5 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस भेजा है।
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भगवती श्रमिक संगठन के अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि हालांकि इस पहले जून के महीने में श्रम विभाग में प्रबंधन को यही नोटिस भेजा था। इसके ऊपर जब महीनों तक कोई कार्रवाही नहीं हुए तो मज़दूरों ने अपने प्रदर्शन को तेज़ कर दिया जिसके बाद अब सोमवार को लेबर डिपार्टमेंट दोबारा बकाया भुगतान करने का नोटिस जारी किया है।
लेकिन श्रम अधिकारी द्वारा गलत धारा में नोटिस जारी होने के कारण पुनः सुनवाई में विलंब हुआ। उन्होंने बताया कि बीते 10 अगस्त को 15 दिन के भीतर समस्त 303 श्रमिकों की कार्यबहाली का नोटिस जारी हुआ है।
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44 महीने से धरने पर हैं बर्खास्त मज़दूर
आप को बता दें कि माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 को 303 मज़दूरों को गैर कानूनी तौर पर छंटनी का शिकार होना पड़ा था। साथ ही 47 श्रमिक गैरकानूनी लेऑफ और यूनियन अध्यक्ष को भी बर्खास्त कर दिया गया था।
44 महीने से जारी जमीनी और कानूनी संघर्ष के दौरान 2 मार्च 2020 को औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने छंटनी को अवैध घोषित करते हुए समस्त 303 मज़दूरों की कार्यबहाली और सभी देयकों को पाने का अधिकारी बताया था।
इसके बाद भी न तो मज़दूरों की कार्यबहाली हुई न ही बकाया वेतन आदि मिला था। इस बीच 5 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय नैनीताल ने न्यायाधिकरण के अवार्ड को ही सही ठहराया और स्पष्ट किया कि समस्त 303 मज़दूर सभी बकाया वेतन और अन्य लाभों के साथ कार्यबहाली के हकदार हैं।
हालांकि कार्यबहाली के लिए जारी 15 दिन की नोटिस के 13 दिन पूरे हो गए, लेकिन प्रबंधन की अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखलाई दे रही है।
एएलसी द्वारा वेतन वसूली का जारी नोटिस
एएलसी द्वारा जारी नोटिस में अवार्ड और उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए यह उल्लेख किया गया है कि “उपरोक्त संदर्भित निर्णयों के परिपेक्ष में जबकि सेवायोजन के द्वारा वादी श्रमिक गणों के 303 श्रमिकों के संबंध में दिनांक 27/12/2018 से दिनांक 27/05/2022 की अवधि के हेतु संगठित धनराशि कुल रुपए ₹154959910 को न तो विवादित किया गया है और ना ही उसके विरुद्ध कोई अभिलेख साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।
“अतः वादी श्रमिक गणों के द्वारा दावे की उपरोक्त धनराशि को अस्वीकार करने का न कोई न्यायोचित व विधि सम्मत मानने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता है। इसलिए वादी श्रमिक गणों के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 6-H (1) को स्वीकार किया जाता है और सेवायोजक को आदेशित किया जाता है कि वह इन आदेशों के 2 सप्ताह के अंदर 303 श्रमिकों के संबंध में दिनांक 27/12/2018 से दिनांक 27/05/2022 की अवधि के हेतु सगणित धनराशि कुल रुपए ₹154959910 “सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर” के नाम से जमा कराएं।”
नोटिस में यह भी लिखा है कि “यह स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त आदेशों का परिपालन निर्धारित अवधि में न करने पर उपरोक्त धनराशि को वसूली “भू राजस्व” की भांति किए जाने के हेतु “कलेक्टर उधम सिंह नगर” को वसूली प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।”
कार्यबहाली होने तक संघर्ष रहेगा जारी
इस बीच प्रबंधन न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय के आदेशों को माननीय उच्चतम न्यायालय दिल्ली में चुनौती दे दी है, जिस पर जल्द ही सुनवाई होने वाली है।
मज़दूर प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्हें अपने संघर्ष में लगातार न्याय हित में जीते मिली हैं। प्रबंधन के पास कोई भी कानूनी आधार नहीं है, इसलिए उच्चतम न्यायालय से भी मज़दूरों को ही जीत मिलेगी।
फिलहाल श्रम भवन में मज़दूरों का धरना जारी है और साथ ही कानूनी लड़ाई भी जारी है। मज़दूरों ने संघर्ष का ऐलान करते हुए कहा है कि जबातक समस्त श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली नहीं हो जाती है, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
इस बीच धरना जारी है और श्रमिक संयुक्त मोर्चा सहित क्षेत्र की विभिन्न यूनियनें और इन्कलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र सहित विभिन्न संगठनों का सहयोग, समर्थन मिल रहा है।
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