केरल में मनरेगा मजदूरों को 2.22 करोड़ रु. बोनस, तेलंगाना में मुआवज़ा एक लाख किया
देश के दो राज्य केरल और तिलंगाना में मनरेगा मज़दूरों के लिए अच्छी खबर आई है। केरल सरकार ने मनरेगा मज़दूरों को ओणम भत्ते के रूप में मंगलवार को वायनाड जिले में मज़दूरों को 2.22 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
वहीं तिलंगाना राज्य सरकार ने मनरेगा मज़दूरों को दुर्घटना के कारण स्थायी विकलांगता के लिए दिए जाने वाले मुआवजे को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया है। वही दिल का दौरा, सांप के काटने और गर्मी की लहर के कारण होने वाली मज़दूरों मौत पर दिए जाने वाले मुआवजे को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है।
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केरल में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 100 कार्य दिवस पूरे करने वाले मज़दूरों को बोनस का भुगतान किया गया था।
कलपेट्टा ब्लॉक में 6,253, मनांथावडी में 6,805, पनामारम में 5,438 और सुल्तान बाथेरी ब्लॉक में 3,762 सहित 22,258 मज़दूरों को प्रत्येक को ₹1,000 मिले।
RAGAS द्वारा किया भुगतान
तेलंगाना सरकार ने मज़दूरों के लिए मुआवजा और अन्य पारिश्रमिक का भुगतान पहले राष्ट्रीय ग्रामीण विकास सूचना प्रणाली (RAGAS) प्रणाली के एक सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाता था। लेकिन फरवरी 2022 से नरेगा सॉफ्टवेयर द्वारा इसका भुगतान किया जा रहा है।
गौरतलब है कि आज भी देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां मनरेगा मज़दूरों को समय से काम और वेतन दोनों ही नहीं मिलता है। मनरेगा एक ऐसी स्कीम है कि जो ग्रामीण परिवार को साल भर में 100 दिनों काम की गारंटी की बात करता है। लेकिन साल में 30-40 दिन से अधिक काम नहीं मिल पाता है।
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साथ ही बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण कई जगह मजदूरों से काम करा कर मजदूरी नहीं दी जाता है या फिर फर्जी मजदूरों से काम दिखाकर उनका पैसा हड़प लिया जाता है।
गरीबी, बेरोजगारी और बेतहाशा बढ़ती महंगाई में भारी वृद्धि के कारण मनरेगा में काम की मांग बढ़ गयी है। कोविड पाबंदियों के बीच बड़े पैमाने पर मज़दूरों का अपने गांव की ओर पलायन से मानरेगा में काम की मांग और बढ़ी।
लंबे समय तक यह मामूली मजदूरी भी बकाया रखने, भारी भ्रष्टाचार, गाँव से दूर काम और सुरक्षा के कोई प्रावधान न होने से मनरेगा मज़दूरों की स्थिति और भयावह हो गई है।
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