नोएडा में दीवार गिरने से 4 मज़दूरों की मौत, मलबे में मज़दूर ही नहीं उनके सपने भी हुए दफन
नोएडा के सेक्टर-21 में मंगलवार को बड़ा हादसा हुआ। यहां जलवायु विहार में दीवार गिरने से मलबे में दबकर चार दिहाड़ी मज़दूरों की मौत हो गई, जबकि 9 मज़दूरों को जीवित निकाला गया है। दीवार किनारे नाले में सफाई के दौरान यह दर्दनाक हादसा हुआ है। घटना के बाद ठेकेदार गुल मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मरने वाले सभी मज़दूर बदायूं के बताये जा रहे हैं। मृतकों की पहचान अमित यादव (18), धर्मवीर (17), पुष्पेंद्र सिंह (25) और पान सिंह (25) के रूप में हुई है।
भारतीय सेना का हिस्सा बनाना चाहते थे अमित
18 वर्षीय बीए छात्र अमित यादव के परिवार वालों का कहना है वो मंगलवार को ही गावं से आया था। वह केवल अपने चचरे भाई की मदद करने के लिए वहां गया था। उन्होंने बताया की अमित भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे और शारीरिक परीक्षण की तैयारी कर रहे थे। लेकिन दीवार के साथ उनके सपने भी मलबे में ही दफन हो गए।
आप को बता दें कि मजदूरों को एक निजी ठेकेदार द्वारा काम पर रखा गया था और वे एक-दूसरे को यूपी के बदायूं के रहने वाले के रूप में जानते थे। सुबह करीब साढ़े नौ बजे 120 फुट की दीवार ढह जाने से चार मज़दूरों की मौत हो गयी।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि यह दीवार जलवायु विहार आवासी समिति ने 25 साल पहले बनाई थी, लेकिन इसका रखरखाव नहीं किया जा रहा था। ऐसे में दीवार की नींव कमजोर हो गई थी और नाली की सफाई के दौरान यह अचानक भरभरा कर गिर गई। इस हादसे में पप्पू, पुष्पेंद्र सहित करीब 12 मजदूर मलबे में दब गए।
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बाउंड्री वाल गिरते ही चीख-पुकार मच गई। सेक्टर के लोग भी वहां जमा हो गए। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने राहत और बचाव कार्य करते हुए स्थानीय लोगों की मदद से मजदूरों को मलबे से बाहर निकाला। घायल मजदूरों को तुरंत सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक करीब 6 मरीजों को गंभीर चोटें आई हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। जिला अस्पताल में जिन दो मजदूरों की मौत हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक अमित यादव और धर्मवीर दोनों नाबालिकों का काम पर पहला ही दिन था।
घटनास्थल पर मौजूद अमित के चाचा विनोद ने कहा, अमित कुछ रोज़गार कर अपने पिता की आर्थिक मदद करना चाहता था। अमित के परिवार में उसकी तीन बहनें और दो छोटे भाई हैं। विनोद को इस बात का भी अफ़सोस है कि उनके कहने पर ही अमित वहां काम करने के लिए गए थे। अमित ने अपनी स्कूली शिक्षा बदायूं से की और दिल्ली शिफ्ट होने की योजना बना रहे थे। उनके पिता किसान और मां गृहिणी हैं।
‘मैं अपने भाई को नहीं बचा सका’
वही हादसे का शिकार हुए बदायूं के रहे वाले धर्मवीर का परिवार उस वक्त तबाह हो गया जब उनके बड़े भाई, ऋषि पाल ने उन्हें उनकी मृत्यु की खबर देने के लिए बुलाया। ऋषि का कहना है कि “मैं कभी नहीं भूल सकता। वह मुझसे मुश्किल से 10 मीटर दूर खड़ा था और मैं उसे बचा नहीं सका।”
उन्होंने घटना को याद करते हुए बताया कि मुझे बस इतना याद है कि दीवार हमारे ऊपर गिर रही है और धूल का एक बादल है। उनका कहना है कि मैं दीवार से थोड़ी दूर खड़ा था जिस वजह से मेरी जान बच गयी लकिन में अपने भाई को नहीं बचा सका।
#BreakingNews
4 dead, 8 rescued as a boundary wall of Noida's Jal Vayu Vihar society collapses#Noida #UttarPradesh #THCleanerSharperBolder #TeJran pic.twitter.com/h0xjS51pPn— Dr Rishabh Saxena (@Rishabh33953718) September 20, 2022
ऋषि का कहना है कि जब मलबे को हटाया जा रहा था तब मैं अपने भाई के सुरक्षित होने की कामना कर रहा था लेकिन जब मैंने उसका शव देखा तो सब खत्म हो चुका था। मेरे पिता दो साल पहले एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे और उनका बायां पैर गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसके बाद उनको अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी जिसके बाद हम दोनों भाइयों के ऊपर परिवार की जरूरतों को पूरा करने का जिम्मा आ गया था।
मिली जानकारी के मुताबिक सभी दिहाड़ी मज़दूरों को दिहाड़ी के तौर पर प्रति दिन लगभग 300-500 रुपये का भुगतान किया जाता था। मृतकों के रिश्तेदारों का आरोप है कि काम के दौरान मज़दूरों को हेलमेट या कोई अन्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराये गए थे।
सुरक्षा मानकों की उड़ाई जा रहीं है धज्जियां
गौरतलब है कि ठेकेदारों और मालिकों द्वारा काम के दौरान सुरक्षा मानकों की लगातार धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं है, जिसके कारण मौत के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। लेकिन ऐसे मज़दूरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। शासन -प्रसाशन हाथ पर हाथ रख कर इनकी मौत का तमाशा देख रहा है।
नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गिरने वाली दीवार पहले से तिरछी थी इस जानकारी के बाद भी ठेकेदार में मज़दूरों को नाली की सफाई के लिए काम पर लगाया था। घटना के बाद ठेकेदार गुल मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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अब देखने वाली बात यह है कि सरकार मृत मज़दूरों को किस तरह से इंसाफ दिलवाएगी। फ़िलहाल अभी तक परिवार से सदस्यों की और से किसी भी तरह के मुआवजे की मांग नहीं की गयी है।
हालही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा मौलिक और मूल श्रम अधिकारों के हिस्से के रूप में “एक सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण” को ध्यान में रख कर एक रिपोर्ट जारी की।
जिसमें ILO ने पाया है कि दुनिया भर में लगभग 2.3 मिलियन मज़दूर हर साल काम से संबंधित दुर्घटनाओं या बीमारियों के कारण अपना जीवन गवां रहे हैं। इसका मतलब है कि हर दिन 6,000 से अधिक मौतें होती हैं।
दुनिया भर में, 340 मिलियन व्यावसायिक दुर्घटनाएं और 160 मिलियन श्रमिक सालाना काम से संबंधित बीमारियों से पीड़ित होते हैं। इन आंकड़ों से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भारत में होने वाली मज़दूरों की मौत का भी एक बड़ा हिस्सा है।
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