दिल्ली में एक मजदूर की हत्या को कैसे एक और दंगा भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा!
देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। एक व्यक्ति की हत्या के बाद इलाके में सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले गिरोहों ने माहौल को गरमाने की कोशिश तेज कर दी है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी इलाके में शनिवार को एक व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पीड़ित और आरोपी दोनों ही अलग अलग समुदाय से आते हैं। मामूली रंज़िश की घटना से इलाके में सांप्रदायिक माहौल पैदा हो गया है क्योंकि कट्टरपंथी हिंदू संगठन नारेबाज़ी और उकसाऊ भाषण देने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना के बाद से पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। हर तरफ बैरिकेड लगा दिए गए हैं साथ ही किसी को भी घटना स्थल के आसपास भी जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
ये भी पढ़ें-
- उत्तराखंड ऑनर किलिंगः जगदीश के साथ बेटी की भी हत्या करना चाहते थे मां बाप
- उत्तराखंड में दलित सामाजिक कार्यकर्ता की ऑनर किलिंग, शिकायत के बाद भी नहीं दी सुरक्षा
मिली जानकारी के मुताबिक हत्या की सूचना के बाद इलाके में तनाव उत्पन्न हो गया। घटना स्थल पर दक्षिणपंथी हिन्दू नेताओं का आना भी शुरू हो गया था।
अमन शांति पसंद ने लोगों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को ट्वीट किया जाए ताकि सभी तरह के सांप्रदायिक राजनीति लोगों को वहाँ पर पहुँचने से रोका जा सके और कोई अप्रिय घटना न हो सके।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नदीम ने कहा कि कुछ शरारती तत्वों ने घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया। कुछ ही देर बाद दोनों समुदाय आमने-सामने आ गए और जमकर नारेबाजी की गई।
हत्या की वजह पुरानी रंजिश
असल में सुंदर नगरी में एक व्यक्ति को 2-3 लोगों द्वारा चाकू मारा गया, इसके बाद पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
मृतक की पहचान सुंदर नगरी निवासी मनीष के रूप में की गई थी जोकि एक निजी कम्पनी में मज़दूर के तौर पर काम करते थे।
दिल्ली पुलिस ने हत्या की वजह पुरानी रंजिश को बताया है। प्रारंभिक पूछताछ के दौरान आरोपियों की पहचान सुंदर नगरी के निवासी आलम, बिलाल और फैजान के तौर पर की गई थी।
यह पूरा हत्याकांड सीसीटीवी में कैद हो गया जिसमें देखा जा सकता है कि सभी आरोपी एक भीड़-भाड़ वाली गली में चाकू लेकर मनीष के पास आते हैं और उसे छुरा घोंपना शुरू कर देते हैं। वहीं एक व्यक्ति को कुर्सी और दूसरे को बाइक पर बैठे देखा जा सकता है और जो मदद के लिए आगे तक नहीं बढ़ते हैं। आस पास से गुजरने वाले लोग भी सहायता करने के लिए सामने नहीं आते है।
इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस ने एहतियात के तौर सुरक्षा बल को तैनात कर दिया है। इस मामले को सांप्रदायिक रूप देने की भी कोशिश की जा रही है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी ने लोगों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में दिल्ली पुलिस की मदद करने की अपील की है।
ये भी पढ़ें-
- अंकिता हत्यकांड: पूंजीवादी व्यवस्था का बिद्रूप चेहरा हुआ बेनक़ाब
- शामली में ऑनर किलिंग, पिता ने बेटी की हत्या कर जलाया शव
पहले भी हो चुका है दंगा
गौरतलब है कि इसी इलाके में लॉकडाउन के ठीक पहले भीषण दंगा हुआ था जिसमें 50 से अधिक जानें गई थीं। यह इलाका मजदूर वर्ग का मुख्य इलाका है। उस दौरान दिल्ली की आम आदमी पार्टी और उनकी सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल पाई।
यहां तक कि उसी दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप गुजरात दौरे पर अपना प्रचार करने आए थे। वो दिल्ली भी आए थे और हैदराबाद हाऊस से कुछ ही दूरी पर हो रहे दंगे पर उन्होंने भी एक लब्ज़ नहीं बोला।
उस दौरान मौजपुर इलाके में सीएए एनआरसी के खिलाफ धरना चल रहा था और आम आदमी के पूर्व मंत्री और मौजूदा बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा के बयान के बाद यह दंगा भड़का था।
अभी एमसीडी में चुनाव होने वाले हैं और इसे लेकर ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दी जा रही है, ताकि मजदूरों के बीच विभाजन पैदा किया जा सके।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)