बिलकिस बानो मामलाः AITUC ने सभी 11 बलात्कारियों और हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की
गुजरात सरकार ने कुख्यात बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में बलात्कार और हत्या के जघन्य अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को रिहा कर दिया है।
एटक (All India Trade Union Congress – AITUC) और ऑल इंडिया वर्किंग वूमेन फोरम ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई की कड़ी निंदा की है और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि गुजरात एमनेस्टी पॉलिसी के तहत समिति द्वारा अनुशंसित रिहाई केंद्र सरकार के एमनेस्टी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। ये दिशानिर्देश बलात्कार और हत्या के दोषी व्यक्तियों को माफी के लाभ से बाहर करते हैं। वे किसी भी तरह से हकदार नहीं हैं।
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एटीके और ऑल इंडिया वर्किंग वूमेन फोरम ने रिहाई की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से इन दोषियों – बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाई को वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
यूनियन के सदस्यों ने मोदी सरकार पर तंज कस्ते हुए कहा कि” एक तरफ प्रधानमंत्री लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में नारी शक्ति को सम्मानित करने की बात करते हैं, वहीं उसी दिन उनकी बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बलात्कारियों को रिहा करती है।”
Eleven men serving life imprisonment for gang rape and murders during the 2002 Gujarat riots have been freed. The 11 convicts in what came to be known as the Bilkis Bano case were freed on Monday from jail in Gujarat’s Godhra town.
https://t.co/3mpopWWJEn— Gaz Khan (@Gazkhn) August 17, 2022
यूनियन का आरोप है कि “प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मैकियावेलियन रणनीति दिन-ब-दिन नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। प्रधानमंत्री की ‘बेटी बचाओ’ की धोखेबाज दोहरी बातों का एक बार फिर पर्दाफाश हो गया है। दोषियों की यह रिहाई धर्म की आड़ में महिलाओं के प्रति अपराध करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है हिंदुत्व की विचारधारा का लैंगिक भेदभाव और सांप्रदायिक नफरत का घिनौना मिश्रण अपने चरम पर पहुंच गया है। ”
एटक और अखिल भारतीय कामकाजी महिला मंच कि मांग है कि आरोपियों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई और पुन: कारावास में डालना चाहिए। अपराधियों को रिहा करने में की गई गलतियों को सुधारने से पहले प्रधानमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए।”
गौरतलब है कि मोदी जिस ‘न्यू इंडिया’ का दावा करते हैं, उसका असली चेहरा यही है। यह रिहाई न्याय के सिद्धांतों का अपमान है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए संवैधानिक प्रतिबद्धता का अपमान है।
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