इलाहाबाद नागरिक समाज की मांग: तीस्ता सीतलवाड़, श्रीकुमार को रिहा करे मोदी सरकार, फर्जी मुकदमे ले वापस
बदले की भावना और किसी भी तरह के प्रतिरोध की आवाज को दबाने के लिहाज से मोदी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम की निंदा करते हुए इलाहाबाद नागरिक समाज ने सोमवार को शांतिपूर्ण धरने का आयोजन किया और तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार की रिहाई की मांग की।
धरने की अध्यक्षता PUCL के राष्ट्रीय अध्यक्ष व इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, रवि किरण जैन ने और संचालन डॉ कमल उसरी ने किया।
साथ ही प्रदर्शनकारियों ने प्रयागराज एसीएम 2 को मांग पत्र सौंपा गया।
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धरना स्थल,पत्थर गिरजा, सिविल लाइंस में इलाहाबाद नागरिक समाज की तरफ़ से सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आर बी श्रीकुमार की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रतिरोध धरना करते हुए तत्काल रिहाई की मांग की गई।
प्रतिरोध धरने को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 2002 के गुजरात जनसंहार पीड़ितों के लिए न्याय अभियान चलाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार की गिरफ्तारी को बदले की कार्रवाई है, इसकी हम सब कड़ी निंदा करते है, इनकी अविलंब रिहाई की मांग करते है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तत्काल प्रधानमंत्री और घटना के समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दौरान 2002 का बर्बर गुजरात जनसंहार हुआ था, जिसमें हजारों मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ याचिका
तीस्ता सीतलबाड़ और अन्य सत्ता के संरक्षण में घटित इस मुस्लिम विरोधी हिंसा में निचली अदालत द्वारा नरेन्द्र मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस अपील को खारिज कर दिया।
महज 24 घंटे के अंदर बदले की भावना से प्रेरित होकर तीस्ता सीतलबाड़ और अन्य के खिलाफ का मुकदमा दायर कर उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रदर्शनकारियों का कहना हैं कि यह न्याय का मजाक नहीं तो और क्या है? कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त करने पर रोक तो नहीं लगी, लेकिन न्याय के पक्ष में उठने वाली आवाज को दबाया जा रहा है। हम भारत के आम नागरिकों से आह्वान करते हैं कि न्याय का मजाक बनाए जाने की इस प्रक्रिया के खिलाफ न्याय के पक्ष में खड़े हों।
प्रदर्शनकारियों कि मांग
प्रदर्शनकारियों कि मांग हैं कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ एवं आर बी श्रीकुमार तत्काल रिहा किया जाय, मानवाधिकार कार्यकर्ताओ पर दर्ज फ़र्जी मुकदमे वापस लिया जाय, लोगों के नागरिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की हर कीमत पर रक्षा की जाय।
संगठन ने इत्यादि मांगों का ज्ञापन राष्ट्रपति, भारत सरकार को सम्बोधित द्वारा प्रयागराज एसीएम 2 के को सौंपा गया है।
गौरतलब है कि गुजरात दंगा मामले में पीएम मोदी व अन्य को क्लीनचिट देने के मामले में गुजरात पुलिस ने पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार व सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार कर लिया था। तीस्ता को गुजरात एटीएस ने शनिवार को मुंबई से हिरासत में लेने के बाद 26 जून को अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था।
धरने में मुख्य रूप से आनन्द मालवीय,अधिवक्ता मंच संयोजक राजवेंद्र सिंह, एम सईद, स्मृति कार्तिकेय, नौशाद खा, सबीहा मोहानी, ख़ुशनुमा, उत्तपला शुक्ला, गायत्री गाँगुली, शिद्धेस्वर मिश्रा, सरताज़ सिद्दक़ी, कसान सिद्दक़ी धर्मेंद्र सिंह, मो आज़म, शादाब, सतेंद्र आज़ाद, नितेश, दिनेश कुमार यादव, आबिदा खातून, नदीम खान, देवेंद्र आज़ाद, राजू, विनोद तिवारी, प्रो सूर्यनारायण, अनिल वर्मा, सुनील मौर्य, आशुतोष तिवारी, अन्नू सिंह, मनीष सिन्हा,सोनी आजाद, विश्वेश्वर राजरत्नम,अम्बरीष, रत्नेश यादव, विकाश स्वरूप, आशुतोष कुमा इत्यादि लोग धरने में शामिल रहे।
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