हड़ताल वापस नहीं हुई, 26 दिसम्बर को 10 लाख बैंक कर्मी रहेंगे हड़ताल पर, बैंकों के विलय का हो रहा चौतरफा विरोध
8-9 जनवरी को आम हड़ताल के पहले सार्वजनिक बैंक कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल ने मोदी सरकार के पेशानी पर बल ला दिया है।
विजया बैंक और देना बैंक को बैंक ऑफ़ बड़ौदा में मिलाने के मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बैंक कर्मचारियों ने 26 दिसम्बर को हड़ताल का आह्वान किया है।
समचार वेबसाइट बिजनेस लाइन के अनुसार, बुधवार को सरकारी बैंकों में कामकाज ठप रहने की संभावना है।
बैंकों की ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की कॉल दी है। जबकि 8-9 जनवरी को सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आम हड़ताल का आह्वान किया है।
एक हफ्ते के अंदर दूसरी हड़ताल
21 दिसम्बर को भी सरकारी बैंकों की ऑफिसर्स यूनियनों ने बैंकों के विलय और वेतन समझौते को लेकर पूरे दिन की हड़ताल की थी।
बुधवार की हड़ताल के बारे में अधिकांश बैंकों ने अपने उपभोक्ताओं को पहले ही जानकारी दे दी है।
हालांकि इस हड़ताल में निजी क्षेत्र के बैंक कर्मचारी शामिल नहीं होंगे।
ये हड़ताल यूनाइटेड फ़ोरम ऑफ़ बैंक यूनियन्स (यूएफ़बीयू) ने बुलाया है, जोकि नौ यूनियनों का एक मंच है।
इसमें ल इंडिया बैंक आफ़िसर्स कान्फ़ेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज़ एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ बैंक एम्प्लाईज़ (एनसीबीई) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) शामिल हैं।
यूएफ़बीयू का दावा है कि उसकी छतरी तले यूनियनों में 10 लाख बैंक कर्मी और अफ़सर सदस्य हैं।
हड़ताल वापस नहीं हुई, ‘फ़ेक न्यूज़ फैला रहा मीडिया’
बिजनेस लाइन ने एआईबीईए के महासचिव सीएच वेकाटाचालम के हवाले से कहा है कि एडीशनल चीफ़ लेबर कमिश्नर के साथ हुई वार्ता में कोई हल नहीं निकला, इसलिए हड़ताल होगी।
इससे पहले कुछ समाचार वेबसाइट और चैनलों में हड़ताल के स्थगित होने की ख़बर आई थी।
लेकिन यूएफ़बीयू ने बयान जारी कर इसे फ़ेक न्यूज़ बताया है और हड़ताल के फैसले को दुहराया है।
बयान में कहा गया है कि एनबीटी ने 23 दिसम्बर को शाम 2.24 बजे ‘9 बैंक यूनियनों ने 26 दिसम्बर की प्रस्तावित हड़ताल वापस ली’ शीर्षक से बिना चेक किए ख़बर प्रकाशित की।
आईटीवी ने भी भी अपने चैनल पर हड़ताल वापसी की ख़बर की पट्टी चलाई।
यूएफ़बीयू ने कहा है कि मीडिया में आ रही ख़बरें ग़लत और भ्रामक हैं और हड़ताल वापस नहीं ली गई है।
विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ़ बड़ौदा के विलय का विरोध
इस बीच यूनियनों ने दावा किया है कि सरकार बैंकों का आकार बढ़ाना चाहती है लेकिन अगर सभी सरकारी बैंकों को एक कर दिया जाय तब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 बैंकों में भी इनकों जगह नहीं मिलेगी।
बीते सितम्बर में सरकार ने बैंक ऑफ़ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय पर मुहर लगाई थी।
पिछले साल स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने पांच सहयोगी बैंकों का विलय कर दिया था और भारतीय महिला बैंक का संचालन अपने हाथ में ले लिया था।
इसके बाद दुनिया के 50 बड़े बैंको की सूची में ये पहुंच गया।
वेतन बढ़ोत्तरी का मुद्दा 14 महीने से लटका
वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राना ने कहा कि ये नवंबर 2017 से ही लंबित है।
उन्होंने कहा कि इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने 8 प्रतिशत वेतन बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था जोकि यूएफ़बीयू को स्वीकार नहीं है।
यूनियनों का कहना है कि ‘आज की तारीख में सातवें वेतन आयोग के बराबर वेतनमान के लिए 11thBPS में 38-42% की वेतन बढ़ोतरी चाहिए, लेकिन सरकार 420 दिनों की देरी के बाद 8% की भीख दे रही है।’
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