बैंक कर्मचारी ने की आत्महत्या, अधिकारी नौकरी से निकालने की दे रहे थे धमकी

बैंक कर्मचारी ने की आत्महत्या, अधिकारी नौकरी से निकालने की दे रहे थे धमकी

बैंक कर्मचारी काम के दबाव के साथ-साथ कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। रविवार रात अजमेर के इंडियन ओवरसीज बैंक, किशनगढ़ में बैंक कर्मचारी ने सुसाइड कर लिया। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट भी मिला।

वहीं पिछले हफ्ते एक दूसरी घटना में, भारतीय स्टेट बैंक की गोंडा शाखा की सहायक प्रबंधक ने काम के दबाव में आत्महत्या कर ली।

चीफ रीजनल ऑफिसर से परेशान बैंक कैशियर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि अफसर मुझे बार-बार नौकरी से निकालने की धमकी देता है। उसमें लिखा है कि उनकी इच्छा है कि उनकी अस्थियों को नियाग्रा फॉल्स या कनाडा के किसी झरने में बहाया जाए।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

26 साल के हिमांशु निरंकारी इंडियन ओवरसीज बैंक किशनगढ़ में काम करते थे। वह 26 जून की शाम को अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था।

बहुत देर के बाद भी जब कमरे से किसे भी तरह की आवाज नहीं आई, तो रात 8 बजे उसकी पत्नी ज्योति कमरे में गयी। उसने देखा की हिमांशु फंदे पर लटक रहा था।

भीषण गर्मी में काम करने से MCD सफाई कर्मी की मौत, सफाई कर्मचारी यूनियन में आक्रोश, 1 करोड़ के मुआवज़े की मांग

पड़ोसियों की मदद से उसे नीचे उतारा और JLN हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। हिमांशु ने अपने सुसाइड नोट में चीफ रीजनल ऑफिसर पर उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मृतक के रिश्तेदार देवेन्द्र कुमार ने बताया कि पिछले एक साल से उनके रीढ़ की हड्डी में चोट थी जिसके कारण हिमांशु छुट्टियों पर थे। पिछले कुछ दिनों से बैंक वाले उसे प्रताड़ित कर रहे थे।

उसे 20 जून को बैंक के तरफ से पत्र आया कि या तो ऑफिस ज्वाइन करें नहीं तो टर्मिनेट कर दिया जाएगा। कथित रूप से इस आधिकारिक दबाव के कारण हिमांशु ने आत्महत्या कर ली।

छुट्टियों में भी  बैंक में आने का दबाव

वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि पिछले सप्ताह बैंक कर्मचारी द्वारा आत्महत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है। भारतीय स्टेट बैंक की गोंडा शाखा की सहायक प्रबंधक ने आत्महत्या कर ली।

परिवार के अनुसार आत्महत्या के पीछे बैंक प्रबंधन की प्रताड़ना का जिक्र किया गया है। बैंकों में आत्महत्या के मामले रुक नहीं रहे हैं।

साथ ही उनका कहना है कि “इन सभी समस्याओं और दबाव के कई कारण हैं, जेसे दिनप्रतिदिन कर्मचारियों की संख्या में कमी आना, कई तरह के टारगेट, थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स को बेचने का दबाव, निश्चित काम के समय से अधिक समय तक काम का दबाव, छुट्टी वाले दिनों में भी बैंक में आने का दबाव और ऊपर से बैंक प्रबन्धन द्वारा कर्मचारियों/ अधिकारियों का दूर – दूर और ऐसे राज्य में ट्रान्सफर जहाँ भाषा का भी अंतर हो।

वहीं दूसरी ओर कुछ प्रबन्धकों और उच्च अधिकारियों का व्यवहार इस समस्या को और गंभीर बना देता है। टारगेट और परफोर्मेंस के नाम पर कभी कभी कुछ प्रबन्धकों और उच्च अधिकारियों द्वारा सबके सामने कर्मचारियों और अधिकारियों को अपशब्दों द्वारा अपमानित करना प्रबंधन का एक हथियार बन गया है।

इस सबका असर जहां कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ पर पड़ रहा है वहीं कस्टमर सेवा पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है।

मुजफ्फरनगर: किसानों ने उखाड़ फेके मीटर, बिजली के अंधाधुन बिल से थे परेशान

यदि कर्मचारी अधिकारी तनावमुक्त रहेगा तो वह बैंक में तो अच्छी तरह काम कर पायेगा, ग्राहक सेवा भी अच्छी होगी और उसका पारिवारिक जीवन भी अच्छा रहेगा। बैंकों में मानवीय व्यवहार का अभाव बढ़ता जा रहा है।

मानव संसाधन के नाम पर डिपार्टमेंट और अधिकारी तो हैं लेकिन कर्मचारियों की समस्याओं का निदान होता नहीं दिखता।

खर्चों के नाम पर नहीं हो रही नयी भर्तियां

बैंकों के मर्जेर के बाद बैंकों द्वारा घाटे में चल रही बैंक ब्रांचों को बंद या मर्ज किया जा रहा है जिससे ग्राहक सेवा भी प्रभावित हो रही है।

बैंकों में खर्चों में कटोती के नाम पर नई भर्ती नहीं हो पा रही है जिसके कारण कर्मचारियों पर काम का दबाव है, जहाँ बैंकों में काम बढ़ रहा है, उस अनुपात में कर्मचारी नहीं हैं जिसका असर ग्राहक सेवा पर भी हो रहा है।

अधिकतर बैंक ब्रांचों में दो से तीन कर्मचारी हैं लेकिन उनके लिए सभी तरह के टारगेट को पूरा करने की जिम्मेदारी भी है। कर्मचारियों और अधिकारियों को काम के निश्चित समय से अधिक काम करना पड़ता है।

साथ ही उन्होंने बैंक प्रबधन पर आरोप लगा है कि सरकार या बैंक प्रबंधन ये सोचता है कि बैंकों में सभी कुछ कम्प्यूटराईज्ड है इसलिय कर्मचारियों की आवयश्कता नहीं, यह गलत धारणा है।

जहाँ ट्रान्सफर के कारण बैंकों को कितना ज्यादा खर्च करना पड़ेगा वहीँ कर्मचारी परिवार से दूर होगा, इसका असर अधिकारी के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।

इसके बाद यदि उच्च अधिकारियों का व्यवहार भी अच्छा न हो तो कर्मचारी अधिकारी दबाव में रहेगा। आये दिन इस तरह के दबाव के कारण कर्मचारी अधिकारी या तो नौकरी छोड़ रहे हैं या आत्महत्या करने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी सामने आ रही हैं।

संगठन के सदस्यों की मांग है कि

  •  सरकार को इन सभी समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए ।
  • बैंक कर्मचारी और अधिकारी बैंकों में अच्छे वातावरण में काम कर सकें इसके लिए बैंकों को निर्देश देने चाहिए ।
  • बैंक कर्मचारी अधिकारी की न्यायसंगत ट्रान्सफर पालिसी बनाएं ।
  • काम के निश्चित समय अनुसार ही काम हो ।
  • उच्च अधिकारियों का व्यवहार अपने कर्मचारियों और अधिकारीयों के प्रति संवेदनशील हो जिससे बैंक अच्छी ग्राहक सेवा दे सकें।
  • सरकार की सभी योजनाओं को भी अच्छी तरह लागू कर सकें।
  • बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ करके बैंकों का प्रॉफिट बढाना किसी भी तरह उचित नहीं होना चाहिए।
  • बैंक कर्मचारी अधिकारी मानव पूंजी हैं, उनके साथ सन्वेदनशील मानवीय व्यवहार होना चाहिए और उचित सम्मान मिलना चाहिए।

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

WU Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.