इन्टरार्क में बड़ा खुलासा: उच्च अधिकारी ने दी थी यूनियन अध्यक्ष को जान से मारने की धमकी
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. में इन्टरार्क मज़दूर संगठन ऊधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह को जान से मारने की धमकी देने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।
यूनियन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि धमकी बाज इन्टरार्क कंपनी किच्छा के एकाउंट डिपार्टमेंट का उच्च अधिकारी निकला।
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यूनियन ने कहा कि 18 नवंबर 2022 को आयोजित मजदूर किसान महापंचायत को ऐतिहासिक बनाकर निर्णायक संघर्ष करने और पुलिस और कंपनी मालिक के इस सांठगांठ को उजागर करने व उचित जवाब देने के संकल्प के साथ तैयारियां जोरों पर है।
गाला काट कर मरने की दी थी धमकी
उल्लेखनीय है कि इन्टरार्क मजदूर संगठन ऊधम सिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने 5 अक्टूबर को लिखित तहरीर में बताया था कि रात को 9:15 बजे उनके पास अज्ञात नंबर से फोन करके किसी ने गला काट के हत्या करने की धमकी दी थी। इस फोन कॉल के आने के बाद मजदूरों, किसानों, सामाजिक संगठनों एवं अन्य सहयोगी संगठनों में असहज स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इसी क्रम में जानकारी के अनुसार सामने आया कि अध्यक्ष दलजीत सिंह को जान से मारने की धमकी देने वाला इन्टरार्क कंपनी के प्रबंधक वर्ग का ही उच्च अधिकारी है ।
पुलिस द्वारा जांच के बाद सामने आया कि इन्टरार्क कंपनी का यह धमकीबाज अधिकारी एकाउंट डिपार्टमेंट में उच्च पद पर कार्यरत है और इसी के द्वारा अध्यक्ष दलजीत सिंह को जान से मारने की धमकी दी गई थी।
यूनियन सूत्रों के अनुसार पुलिस ने कुछ समय तक धमकीबाज को अपने कस्टडी में भी रखा था। बाद में आवश्यक निर्देश देकर छोड़ दिया गया है परंतु आगे की कार्यवाही जारी है। अब देखना यह है कि जांच के दौरान कहानी निकलकर क्या आती है।
प्रबंधन ने किया घृणित कार्य
यूनियन नेताओं ने बताया कि इससे पुरी तरह से पुष्ट हो जाता है कि कंपनी मालिक व प्रबंधकों ने द्वेष भावना के तहत की प्रबंधन वर्ग के उक्त उच्च अधिकारी से दलजीत सिंह को फोन से गला काटकर हत्या करने को धमकी दिलाई गई, ताकि दलजीत सिंह डरकर आंदोलन से पीछे हट जाएं। यह द्वेष भावना के तहत सचेतन की गई कार्यवाई व साजिश का ही हिस्सा था।
नेताओं ने कहा कि अपने अधिकारों और न्याय के प्रयासों को जारी रखने के लिए चलाए जा रहे मजदूरों के आंदोलन को कंपनी प्रबंधक द्वारा कुचलने की तमाम कोशिशें की गई परंतु सहयोगी संगठनों के माध्यम से आंदोलन को निरंतर आगे बढ़ाया जाता रहा। कंपनी प्रबंधन अपनी हार की ओर जाते देख सहन नहीं कर पाया और इस तरह की हरकत करने पर मजबूर हो गया जो बहुत ही शर्मनाक है।
अपने ही फैक्ट्री के मजदूरों की आवाज को बंद करने के लिए गला काटकर जान से मार देने की धमकी देना अत्यंत घृणित कार्यवाही है। इससे स्पष्ट है कि इंटरार्क कंपनी मालिक और प्रबंधन न्याय मांग रहे मजदूरों की आवाज को कुचलने को किस हद से गिर सकते हैं और मानवता को शर्मसार कर सकते हैं ।जिनमें और तालिबानी कट्टरपंथी जल्लादों में क्या फर्क है ?
इससे पूरी तरह से उजागर हो जाता है कि जो कंपनी मालिक व प्रबंधन न्याय व नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें बड़े बड़े मंच पर बोलते हैं और मजदूरों के साथ पाखंड करते हैं। असल में उनके अंदर की कालिमा स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है, कि इनके रग रग में और पूरी आत्मा में तालिबानी नरपिशाच समाये हुए हैं। इनके मुंह में राम राम होता है और बगल में जल्लादों वाला छुरा होता है, जो अपने ही मजदूरों का गला काटकर हत्या करने को छटपटाते रहता है ।
जो कंपनी प्रबंधन न्याय पूर्ण तरीके से अपने आप को साबित नहीं कर पाए वो मजदूरों की जुबान बंद करने के लिए जान से मारने गला काट देने जैसे जघन्य अपराधों की धमकी दिलवाने का कार्य करते हैं। तो उनकी मानसिकता स्पष्ट रूप से जाहिर है कि वह अपने मजदूरों के साथ किस तरह से शोषण और अत्याचार करते रहें होंगे।
निष्पक्ष कर्रवाई की माँग
फिलहाल मजदूरों और किसानों की एकजुटता से आहत होने वाले कंपनी प्रबंधक को मजदूरों द्वारा स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि ऐसे किसी घटनाओं से मजदूर डरने वाले नहीं हैं और अपने हक एवं अधिकारों की लड़ाई को सहयोगी संगठनों को साथ में लेकर आगे बढ़ाते रहेंगे और बढ़ते रहेंगे।
साथ ही मजदूर नेताओं ने कहा कि पुलिस प्रशासन द्वारा निष्पक्ष रुप से कार्यवाही करते हुए जान से मारने की धमकी देने वाले व्यक्ति के खिलाफ हम कार्रवाई की मांग करते हैं। अगर पुलिस ने भेदभाव अपनाते हुए कार्रवाई में ढीलापन किया तो आंदोलन व्यापक स्तर में बढ़ाया जाएगा। साथ ही रेखांकित किया कि पुलिस प्रशासन कंपनी मालिक के इशारों पर ही काम कर रहा है।
अपराधी प्रबंधन पर मामूली धारा, निर्दोष मज़दूरों पर गंभीर धाराएं
नेताओं ने कहा कि कंपनी के उक्त अधिकारियों पर दर्ज हुआ उक्त मामूली किस्म का मुकदमा भी समाज में अपनी साख को और लोगों की आंखों में धूल झोंकने की नीयत से ही किया गया है। औऱ पुलिस द्वारा अभी भी उक्त आपराधिक व्यक्ति के नाम को सार्वजनिक रूप से उजागर न करने की कार्यवाही भी उक्त साजिश का ही एक हिस्सा है।
दूसरी ओर पुलिस द्वारा कंपनी प्रबंधन के इशारों पर निर्दोष मजदूर नेता दलजीत सिंह, पान मुहम्मद, लक्ष्मण सिंह आदि के विरुद्ध पिछले कुछ दिनों के भीतर कई संगीन धाराओं में तीन से चार अलग अलग मुकदमे दर्ज करने की कार्यवाही पुलिस के असली चरित्र को उजागर कर देती है।
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स्पष्ट है कि इंटरार्क कंपनी मालिक व प्रबंधन को सत्ताधारियों का गहरा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसीलिए जिला प्रशासन व पुलिस का रुख आंदोलित मजदूरों के प्रति अत्यंत कठोर एवं निरंकुश बना हुआ है। 18 नवंबर 2022 को होने वाले मजदूर किसान महापंचायत में पुलिस प्रशासन को भी इसका जवाब देना होगा।
आज की सभा में धरना स्थल पर सैकड़ों मजदूर व उनकी महिलाएं उपस्थित रही और कंपनी प्रबंधकों के आश्चर्यजनक रवैये को देख सभी मजदूरों एवं सहयोगियों में आक्रोश रहा।
(साभार मेहनतकश)
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