ब्रिटेन में हजारों लोगों ने ऊर्जा बिलों की अनदेखी करने का संकल्प लिया, जानिए क्या है वजह

ब्रिटेन में हजारों लोगों ने ऊर्जा बिलों की अनदेखी करने का संकल्प लिया, जानिए क्या है वजह

दुनिया के सबसे अमीर शहरों में से एक ब्रिटेन के लोग आने वाले समय में गरीबी का सामना करने को मजबूर हो सकते हैं। ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से ब्रिटेन में बिजली की कीमतें इतनी बढ़ने वाली हैं कि लगभग एक तिहाई जनता का गरीबी में जीवन काटना पड़ सकता है।

ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक- बैंक ऑफ इंग्लैंड ने पिछले हफ्ते भविष्यवाणी की थी कि इस साल की आखिरी तिमाही में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2008 की मंदी के बाद की सबसे लंबी मंदी में प्रवेश कर जाएगी।

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अब सैक्सो बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्रिटेन राजनीतिक अस्थिरता, व्यापार में बाधा, ऊर्जा संकट और आसमान छूती महंगाई से पीड़ित है।

महंगाई और बढ़ने का अंदेशा

ऐसी स्थितियां आम तौर पर विकासशील देशों में देखने को मिलती हैं। बैंक ने कहा कि देश में ऊर्जा की कीमत अक्तूबर में 70 फीसदी और बढ़ेगी, जिससे लाखों परिवार गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे। अगले साल के आरंभ में ये महंगाई और बढ़ने का अंदेशा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली के बिल में लगभग 116 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

ऊर्जा महंगाई का आलम यह है कि ब्रिटेन में हजारों लोगों ने सिविल नाफरमानी आंदोलन शुरू कर दिया है। इन लोगों ने ‘कांट पे-वोंट पे’ (हमारी कीमत चुकानी की क्षमता नहीं है, हम इसे नहीं चुकाएंगे) अभियान शुरू किया है।

सोशल मीडिया पर इस अभियान को शुरू करने वालों में शामिल रहीं 35 वर्षीया शिक्षिका जोसिना ने अखबार द गार्जियन को बताया  ‘इस नागरिक अवज्ञा आंदोलन में मेरे साथ हजारों लोग शामिल हैं। ये सभी लोग ऊर्जा की महंगाई पर विरोध जता रहे हैं। हमने एक फैसला लिया है, हम ऊर्जा की बढ़ती कीमतों को नहीं चुकाएंगे।’

अब शहरों में प्रदर्शन की तैयारी

द गार्जियन के मुताबिक जल्द ही ये विरोध सोशल मीडिया से हट कर सड़कों पर देखने को मिलेगा। इस अभियान से जुड़े लोग अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कहा है- ‘सरकार और ऊर्जा सप्लायर हमारे बढ़े बिल को नजरअंदाज कर रहे हैं।

इसलिए गंभीर संकट में फंसे लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं। हम सरकार और ऊर्जा कंपनियों को बातचीत की मेज पर लाना चाहते हैं, ताकि उन पर संकट खत्म करने के लिए हम दबाव डाल सकें।’

लेकिन ब्रिटेन की कंजरवेटिव सरकार ने इस अभियान की निंदा की है। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा- ‘ये लोग बेहद गैर जिम्मेदार संदेश दे रहे हैं। इससे सबके लिए महंगाई और बढ़ेगी और लोगों की निजी ऋण साख घटेगी।’

बिल न चुकाने पर देनी होगीअतिरिक्त रकम

उधर वित्तीय बाजार के विशेषज्ञों ने लोगों को बिल ना चुकाने के संभावित परिणामों से आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि बिल ना चुकाने वाले उपभोक्ताओं को जुर्माने के रूप में अतिरिक्त रकम का भुगतान करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में ऊर्जा सप्लाई भी काटी जा सकती है।

मगर जोसिना ने द गार्जियन से कहा- हम बिल ना चुकाने से जुड़े जोखिम से परिचित हैं। लेकिन हमारे पास ये कदम उठाने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

गौरतलब है कि ब्रिटेन अब अधिक से अधिक किसी ‘उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश’ की तरह दिखने लगा है। ये बात सैक्सो बैंक ने अपनी एक ताजा अध्ययन रिपोर्ट में कही है। बैंक ने कहा कि सिर्फ एक पहलू ऐसा है, जिससे अभी ब्रिटेन को ‘उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों’ की श्रेणी में नहीं डाला गया है। वो पहलू ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड है, जो अभी भी उन देशों से अधिक मजबूत है। ‘उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश’ विकासशील देशों को ही कहा जाता है।

क्या कहती है रिपोर्ट

डीएनए हिंदी से मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को प्रकाशित एंड फ्यूल पॉवर्टी कोएलिशन (ईएफपीसी) के अनुमानों के अनुसार, अगले साल के पहले तीन महीनों में लगभग 10.5 मिलियन परिवार ईंधन गरीबी में रहेंगे। जिसका अर्थ है कि ऊर्जा के लिए भुगतान करने के बाद उनकी आय गरीबी रेखा से नीचे आ जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार, यूके सरकार गरीबी को यूके के औसत के 60 प्रतिशत से कम की घरेलू आय के रूप में परिभाषित करती है, जो 2021 में 31,000 पाउंड (37,500 डॉलर) थी।

ईंधन की कीमतें बढ़ने से महंगी होगी बिजली

रिसर्च फर्म कॉर्नवाल इनसाइट के नए अनुमानों पर आधारित हैं, जो मंगलवार को भी प्रकाशित हुई, जो दर्शाती है कि औसत घरेलू ऊर्जा बिल अक्टूबर से एक वर्ष में 3,582 पाउंड (4,335 डॉलर ) और जनवरी से 4,266 पाउंड ( 5,163 डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है, जोकि लगभग 355 पाउंड ( 430 डॉलर) प्रति माह है। जनवरी का पूर्वानुमान मौजूदा स्तरों से ऊर्जा बिलों में 116 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। जैसे-जैसे ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं, अनुमानों को गति बनाए रखने में परेशानी हो रही है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले हफ्ते ही, कॉर्नवाल इनसाइट ने भविष्यवाणी की थी कि जनवरी की कीमतों में मौजूदा स्तरों से 83 फीसदी की वृद्धि होगी। रिसर्च फर्म ने कहा कि थोक कीमतों में उछाल और यूके के नियामक द्वारा इसकी मूल्य सीमा की गणना करने के तरीके में बदलाव के कारण उसने अपने आंकड़ों को संशोधित किया था। कॉर्नवाल इनसाइट को उम्मीद है कि 2023 की दूसरी छमाही में बिल गिरना शुरू हो जाएंगे।

ईंधन के बिल पिछले साल बढ़ने लगे थे क्योंकि वैश्विक प्राकृतिक गैस आपूर्ति संकट ने थोक कीमतों को रिकॉर्ड स्तर तक धकेल दिया।

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WU Team

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