दिल्ली में मजदूर-किसान अधिकार महाधिवेशन का आह्वान : नए लेबर कोड को बताया गुलामी का प्रतीक

दिल्ली में मजदूर-किसान अधिकार महाधिवेशन का आह्वान : नए लेबर कोड को बताया गुलामी का प्रतीक

देश की राजधानी में आज केंद्र सरकार की “जनविरोधी” चार नये लेबर कोड के खिलाफ किसानों, मज़दूरों को खेतिहर किसानों का एक संयुक्त राष्ट्रीय महा अधिवेशन का आयोजन किया।

यह अधिवेशन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भारतीय ट्रेड यूनियनों के केंद्र (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस), और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ (एआईएडब्ल्यूयू) के सदस्यों द्वारा किया गया। अधिवेशन में देशभर से दसियों हज़ार मज़दूरों और किसानों में भाग लिया।

इस अधिवेशन को ‘मजदूर-किसान अधिकार महाधिवेशन’ का नाम दिया गया। जिसमें मज़दूरों, किसानों और कृषि मज़दूरों के बीच एकता को मजबूत करने के मुद्दों पर चर्चाएं हुई हैं।

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इस अधिवेशन में नये लेबर कोड्स का खुला विरोध किया गया है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि मोदी सरकार तत्काल चार श्रम संहिताओं को वापस ले ।

कड़ी मेहनत से जीते गए मज़दूरों के अधिकारों को कम करने के लिए श्रम कानूनों के संहिताकरण की धज्जियां उड़ाते हुए, ट्रेड यूनियनों ने केंद्र को चेतावनी दी है कि अगर सरकार संहिताओं के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ती है तो वे विरोध कार्रवाई का सहारा लेंगे।

सभी संगठनों के सदस्य कृषि कानूनों को वापस लेने जैसे ही फैसले में लेबर कोड को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

‘मज़दूरों की पीठ किया वार’

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के प्रवक्ताओं का आरोप है कि मालिकानों और सरकारों ने कोरोना के पीछे छुपकर हम मज़दूरों की पीठ में छंटनी, तालाबंदी, वेतन कटौती और बेरोज़गारी का जो वार करना शुरू किया था वह हर दिन और गहरा होता जा रहा है।”

उनका कहना है कि इसी कोरोना के दौर में पुराने श्रम कानूनों को खत्म करके मज़दूरों की गुलामी को ही कानूनी बनाने के लिए 4 लेबर कोड कानून लाये गए। पूरी कोशिश ही यही रही कि संकट की आँच मालिकों पर न पड़े, फिर चाहे इसके लिए हम मज़दूरों का खून जलाकर राख ही क्यों न करना पड़े।

भारतीय ट्रेड यूनियनों (सीटू) के सदस्यों का कहना है कि हमारे इस महान देश को बनाने वाले हैं देश के मज़दूर, किसान और खेतिहर मज़दूर। वे मज़दूर खुद तो फैक्ट्रियों में अपनी जान-माल को जोखिम में डालकर अपना खून-पसीना बहाते हुए अरबों-खरबों रुपए का उत्पादन करते हैं।

आज़ादी के बाद से अब तक के 75 साल मज़दूरों और किसानों की लूट के 75 साल रहे हैं। पिछले 8 साल में मोदी सरकार ने इन्हीं परजीवियों को लूट की और अधिक छूट देने का काम किया है।

गौरतलब है देशभर की मज़दूर व ट्रेड यूनियनें अपने स्तर कर नए चार लेबर कॉड का विरोध कर रहीं हैं। अभी बीते 28 अगस्त को मासा ने दिल्ली में मज़दूर कन्वेंशन का आयोजन किया था। कन्वेंशन में 13 नवम्बर को राजधानी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने का ऐलान किया गया है।

(स्टोरी संपादित-शशिकला सिंह)

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WU Team

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