क्या कांट्रैक्ट वर्कर बन सकते हैं यूनियन के सदस्य?

क्या कांट्रैक्ट वर्कर बन सकते हैं यूनियन के सदस्य?

By शशिकला सिंह

देशभर की ट्रेड यूनियनों में कांट्रैक्ट वर्कर्स को सदस्यता नहीं दी जाती है जबकी ट्रेड यूनियन एक्ट में कहीं भी इसे लेकर कोई मनाही वाली बात नहीं कही गई है।

लेकिन नए लेबर कोड में कांट्रैक्ट वर्कर्स को यूनियन का सदस्यता से वंचित करने की बात कही गई है। यानी नए लेबर कोड लागू होने के बाद कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स ट्रेड यूनियन के सदस्य नहीं बन सकते हैं।

हालफिलहाल में कुछ ट्रेड यूनियनों ने अपने कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को यूनियन की सदस्यता देने की शुरुआत की है लेकिन उनको विरोधों का सामना करना पड़ा  है। इस मामले में कानूनविद् क्या कहते हैं, आईए जानते हैं।

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क्या कहते हैं कानूनी जानकार?

लेबर मामलों के जानकार और एक वकील ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि आज़ादी से पहले आये ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के अनुसार, फैक्ट्री में काम करने वाला कोई भी वर्कर ट्रेड यूनियन का सदस्य बन सकता है।

यहां तक कि नौकरी छोड़ने या हटाए गए मज़दूरों को ट्रेड यूनियन के साथ जुड़े रहने का पूरा अधिकार है।

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नए लेबर कोड में बदल दिए हैं नियम

उनका कहना है कि राजनैतिक कारणों के चलते कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को यूनियन की सदस्यता से दूर रखा जाता है। जबकि ट्रेड यूनियन एक्ट में इस चीज़ का जिक्र कहीं भी नहीं है।

वकील कहते हैं कि इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट 1947, जिसमें सबसे पहले वर्कर मैन (workman) की परिभाषा दी गई। उनका कहना है कि नए लेबर कोड आने के बाद इन कानूनों में बदलाव किये गये हैं। जिसमें कॉनट्रैक वर्कर्स को मिलने वाली ट्रेड यूनियन की सदस्ता के अधिकार छीन लिया गया है।

गौरतलब है कि जिन ट्रेड यूनियनों ने कॉन्ट्रैक्ट वर्क्स को यूनियन का सदस्य बनाया है। उनका मानना है कि फैक्ट्री में काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स का भी बहुत बड़ा योगदान है।

प्रबंधन द्वारा उनका लगातार शोषण किया जाता है। लेकिन यूनियन की सदस्यता न होने के कारण वह अपने हकों की आवाज़ नहीं उठा पाते हैं।

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WU Team

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