चेन्नईः फोर्ड मानेजमेंट ने वर्करों के सामने रखा 41 लाख रु. मुआवज़े का अंतिम प्रस्ताव

चेन्नईः फोर्ड मानेजमेंट ने वर्करों के सामने रखा 41 लाख रु. मुआवज़े का अंतिम प्रस्ताव

फोर्ड इंडिया ने अपने चेन्नई प्लांट के मज़दूरों के सामने अंतिम निपटान का प्रस्ताव रखा है। जिसमें मज़दूरों को 41 लाख रुपए मुआवज़ा देने की बात कही गई है।

फोर्ड ने अपना अंतिम विच्छेद पैकेज चेन्नई कार फैक्ट्री यूनियन को प्रस्तुत किया है और कंपनी ने कहा है कि यह 5 सितंबर, 2022 से 23 सितंबर, 2022 तक वैध होगा।

आप को बता दें की अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड ने पिछले साल भारत में वाहनों के निर्माण को रोकने की अपनी योजना की घोषणा की थी जिसके बाद से फोर्ड मज़दूर लगातार अपनी मांगों के साथ प्लांट के गेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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लेकिन चेन्नई फोर्ड कर्मचारी संघ (सीएफईयू) और प्रबंधन के बीच हमेशा असफल बातचीत ही सामने आई है।

प्लांट बंद करने के निर्णय पर कंपनी ने कर्मचारियों को एक सेवरेन्स पैकेज के तहत उन्हें हर साल की गई सेवा के हिसाब से 115 दिनों की मजदूरी देने का प्रस्ताव दिया गया था।

मज़दूरों के विरोध के बाद इसको बड़ा कर 124 दिन कर दिया गया। वर्तमान पैकेज के आधार पर प्रत्येक मज़दूर को विच्छेद पैकेज 41 लाख रुपये किया गया है।

वहीं, न्यूनतम 33 लाख रुपये और अधिकतम 85 लाख रुपये की राशि द्वारा निर्धारित की गई है। जबकि मज़दूर यूनियनों कि मांग है उनको सेवा के पूरे वर्ष में औसतन 215 समकक्ष दिनों की मजदूरी दी जानी चाहिए।

ford chennai workers protest

4.6 वर्ष के आधार पर होगा भुगतान

फोर्ड का कहना है कि वह असभ्य मज़दूरों को लगभग 4.6 वर्ष या 56 महीने के आधार पर मुआवजे का भुगतान करेगा जिसमें न्यूनतम 3.5 वर्ष यानी 43 महीने से अधिकतम 8 वर्ष यानी 100 महीने का होगा।

इसके अलावा, अंतिम विच्छेद निपटान प्रस्ताव लेने वाले कर्मचारियों को 30 सितंबर, 2022 तक मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।

अपने आधिकारिक बयान में, फोर्ड इंडिया ने कहा है कि कंपनी ने हमेशा अपने कर्मचारियों की देखभाल की है और जहां तक ​​संभव हो उनकी मदद करने के लिए कदम उठाए हैं।

उनका कहना है कि मज़दूर संगठनों की 215 समकक्ष दिनों की मजदूरी की मांग को कंपनी पूरा नहीं कर सकती है।

30 मई से हड़ताल पर हैं मज़दूर

गौरतलब है की फोर्ड कंपनी के मरामलाई, चेन्नई प्लांट को बंद करने के निर्णय पर मजदूर 30 मई को सेवरेन्स पैकेज पर असहमति के कारण हड़ताल पर चले गए थे जिससे Ford की Ecosport गाड़ियों का प्रोडक्शन रुक गया था।

कारखाने में कुल करीब 2,000 कर्मचारी हैं। मरामलाई नगर में फोर्ड कारखाने के बंद होने से कुल मिलाकर लगभग 40,000 नौकरियों पर असर पड़ना तय है क्योंकि कारखाने की नौकरियां कई सहायक इकाइयों से जुड़ी हैं जो असंगठित मज़दूरों को रोजगार देती हैं।

कर्मचारियों को लिखे अपने पत्र में, फोर्ड इंडिया ने संकेत दिया है कि 23 सितंबर की समय सीमा के बाद, यदि कंपनी कर्मचारियों की छंटनी करती है और वैधानिक मुआवजे का भुगतान करती है, तो कर्मचारी केवल सेवा के पूरे वर्ष में 15 दिनों के विच्छेद वेतन के हकदार होंगे।

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WU Team

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