अमेरिका में कंपनियां अपने आधे कर्मचारी छांट देंगी, पूरी दुनिया में और गहराई मंदी
दुनियाभर की कम से कम आधी कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही हैं। वहीं, ज्यादातर कंपनियां आर्थिक मंदी की वजह से बोनस कम कर रही हैं और नौकरी के ऑफर को भी रद्द कर रही हैं।
उधर भारत समेत पूरी दुनिया में मंदी गहरा रही है, महंगाई और बेरोजगारी अपने ऐतिहासिक मुकाम पर है जबकि भारतीय रुपया दिनों दिन गिरता जा रहा है और भारत का सरकारी खजाना तेजी से कम हो रहा है।
PwC ‘पल्स:2022 में व्यावसायिक जोखिमों का प्रबंधन’ की रिपोर्ट के अनुसार, 50 फीसदी कंपनियों ने अपनी कुल कर्मचारी क्षमता को कम करने की बात कही। इसके साथ ही बिजनेस लीडर्स भी टैलेंट को जॉब ऑफर करने या फिर रीटेन करने को लेकर भी असमंजस में हैं।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि “एक ही समय पर, कंपनियां कार्यबल को सुव्यवस्थित करने और भविष्य के लिए कार्यकर्ता कौशल का उपयुक्त मिश्रण स्थापित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, “50 प्रतिशत कंपनियां अपने कुल कर्मचारियों की संख्या कम कर रही हैं, 46 प्रतिशत कंपनियां साइनिंग बोनस को कम कर रही हैं या कटौती कर रही हैं और 44 प्रतिशत नौकरी के नए ऑफर को रद्द कर रही हैं।”
जुलाई तक अमेरिका में 32,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को निकाल दिया गया, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट और मेटा (पूर्व में फेसबुक) जैसी बड़ी टेक कंपनियां भी शामिल हैं, लेकिन तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे बुरा दौर अभी तक खत्म नहीं हुआ है। इस दौरान बड़े पैमाने पर स्टॉक की बिक्री देखी गई है।
भारत में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से 25,000 से अधिक स्टार्टअप कर्मचारियों ने नौकरी खो दी है और इस वर्ष 12,000 से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। पीडब्ल्यूसी (PwC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एहतियाती कदम कुछ उद्योगों में ज्यादा हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, “उपभोक्ता बाजार और प्रौद्योगिकी, मीडिया और दूरसंचार कंपनियां श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए स्वचालन (Automation) में निवेश करने की ज्यादा संभावना तलाश रहे हैं।”
वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य सेवा अन्य उद्योगों की तुलना में कंपनियां बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही हैं और हाल ही में छोड़ कर गए कर्मचारियों को फिर से काम पर रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
वैश्विक परामर्श फर्म ने सर्वेक्षण के लिए पिछले महीने सभी उद्योगों में 700 से अधिक अमेरिकी अधिकारियों और बोर्ड के सदस्यों को चुना था। सर्वेक्षण में सामने आया कि बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता के बीच 83 प्रतिशत सीईओ अपनी व्यावसायिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भविष्य की आर्थिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच कंपनियों को संचालित करने की अपनी क्षमता को लेकर सतर्क रूप से आशावादी महसूस करने वाले कारोबारियों के लिए यह अनिश्चितता एक मानक बन गई है।
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अमेरिकी पीडब्ल्यूसी के वाइस चेयरमैन और ट्रस्ट सॉल्यूशंस को-लीडर कैथरीन कमिंसकी ने कहा कि “कुल मिलाकर कहें, तो कॉरपोरेट लीडर्स की इस पीढ़ी के पास मंदी को नेविगेट करने का न्यूनतम अनुभव है, फिर भी वे बढ़ते भू-राजनीतिक विभाजन और आसमान छूती मुद्रास्फीति के बीच एक संभावना के साथ, कि आगे क्या हो सकता है इसे संभालने की अपनी क्षमता को लेकर उत्साहित हैं।”
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