सीएमआईई रिपोर्ट : देश में बढ़ रही बेरोजगारी, ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी अपने उच्चतम शिखर पर
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में, 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोजगारी बढ़कर 44.49% हो गई और 25-29 आयु वर्ग के लिए यह 14.33% है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के नवीनतम आंकड़ों से संकेत मिलता है कि युवा बेरोजगारी (20-34 आयु वर्ग) बढ़ रही है.
अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में, 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोजगारी जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही में 43.65% से बढ़कर 44.49% हो गई. दूसरी ओर आयु वर्ग 25-29 के लिए यह 14.33% थी.
इसी तरह 30-34 आयु वर्ग के लिए बेरोजगारी दर 10-तिमाही के उच्चतम 2.49% पर रही, जो पिछली तिमाही में 2.06% थी.
सीएमआईई के अनुसार बेरोजगारी में वृद्धि का मुख्य कारण शहरी बेरोजगारी की तुलना में ग्रामीण बेरोजगारी है.
ग्रामीण बेरोजगारों में यह 20-24 आयु वर्ग (43.79%) में सबसे, इसके बाद 25-29 आयु वर्ग में 13.06% और 30-34 आयु वर्ग में 2.24% हो गया.
इसके विपरीत Q2 की तुलना में Q3 FY24 में शहरी बेरोजगारी दर में सुधार के संकेत दिखे. विशेषकर 20-24 और 30-34 वर्ष की आयु वर्ग में.
20-24 आयु वर्ग के लिए यह 47.61% से घटकर 45.98% हो गई और 30-34 आयु वर्ग के लिए यही संख्या 3.29% से घटकर 3.04% हो गई. हालाँकि 25-29 आयु वर्ग में यही आंकड़ा 15.61% से बढ़कर 16.54% हो गया.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का डेटा भी सीएमआईई द्वारा ग्रामीण बेरोजगारी पर निष्कर्षों की पुष्टि करता है. मनरेगा ग्रामीण भारत में रोजगार का सबसे बड़ा प्रदाता है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, Q3FY24 में परिवारों द्वारा मांगे गए काम में साल-दर-साल 1.3% की वृद्धि हुई. लेकिन यह दूसरी तिमाही में दर्ज की गई 15.1% वृद्धि से कम थी.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार कुछ अर्थशास्त्रियों ने मासिक आंकड़ों में स्पष्ट अस्थिरता का हवाला देते हुए सीएमआईई डेटा की विश्वसनीयता के बारे में चिंता जताई है.
हालाँकि CMIE डेटा अभी भी महत्व रखता है क्योंकि यह देश में बेरोजगारी की स्थिति का तत्काल स्नैपशॉट पेश करने वाला एकमात्र स्रोत बना हुआ है.
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया ” सीएमआईई द्वारा प्रदान की गई बेरोजगारी दर महीने-दर-महीने बदलती रहती है,क्योंकि रोजगार का एक बड़ा हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में है. जहां कोई स्थायी रोजगार नहीं हो सकता है.”
(द वायर की खबर से साभार)
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