एचपी इंडिया बंदी के ख़िलाफ़ समझौता: 72 माह के वेतन की राशि का मुआवजा भुगतान
उत्तराखंड रुद्रपुर स्थित एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, सिडकुल पंतनगर में बंदी के खिलाफ लगातार संघर्ष के बाद बंदी क्षतिपूर्ति के तौर पर 72 माह के वेतन भुगतान का समझौता लागू हो गया। अन्य देयकों की राशि इससे अतिरिक्त होगी।
क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज शुक्रवार को समस्त स्थायी 185 मज़दूरों को अंतिम भुगतान प्राप्त हो गया। जो वेतन के अनुसार औसतन 34 लाख प्रति श्रमिक है।
31 अक्टूबर, 2021 से बंद हुआ था प्लांट
लैपटॉप-डेस्कटॉप, कंप्यूटर पार्ट्स और प्रिंटर बनाने वाली अमेरिकी कंपनी हैवलैट पैकर्ड (एचपी) 2007 से पंतनगर सिडकुल में स्थापित हुई। 1 सितंबर 2021 को कंपनी के सूचना पट्ट पर प्रबंधन द्वारा अचानक कंपनी बंदी का नोटिस पर लगा दिया गया और 31/10/2021 से प्लांट बन्द कर दिया गया।
इसी के साथ कम्पनी द्वारा समस्त मज़दूरों को अंतिम भुगतान भेज दिया गया, जिसमें मुआवज़े के रूप में 12 माह के वेतन की राशि भी थी।
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इससे पूर्व प्लांट में छँटनी के लिए वीसएस स्कीम लागू हुई, फिर कुछ श्रमिकों को चेन्नई स्थित नए प्लांट में भेजा गया। कोविड के बहाने स्थाई श्रमिकों को सवैतनिक अवकाश देकर लगातार बैठाया गया। इस बीच करीब 250 ठेका श्रमिकों को निकाला गया और अंततः प्लांट में बंदी हो गई।
करीब एक साल से जारी रहा संघर्ष
इस बंदी के ख़िलाफ़ मज़दूर आंदोलित हो उठे। एचपी मज़दूर संघ के बैनर तले तबसे मज़दूरों का संघर्ष जारी रहा। संघर्ष की इसी कड़ी में श्रमायुक्त कार्यालय हल्द्वानी में दिनांक 27/10/2021 से धरने पर बैठ गए।
उधर क़ानूनी लड़ाई भी जारी थी। यूनियन ने उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका लगाई। इस बीच औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी में मामला संदर्भित हो गया। संदर्भादेश गलत होने के कारण पुनः संशोधन हेतु गया और मामला विलंबित होता रहा।
लगातार जारी संघर्ष के बीच प्रबंधन के साथ यूनियन की द्विपक्षीय वार्ता शुरू हुई। प्रबंधन मुआवज़े के रूप में 18 माह के वेतन पर राजी थी, लेकिन यूनियन ने इस असम्मानजनक राशि को ख़ारिज कर दिया था।
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कई दौर की वार्ताओं के बाद अंततः 21 जून, 2022 को दोनो पक्षों के बीच सहमति हुई और समझौते पर 06/07/2022 को हस्ताक्षर हुए। लेकिन क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज 9 सितम्बर को समस्त 185 श्रमिकों को समझौते के तहत 72 माह के वेतन सहित अन्य देयकों का भुगतान प्राप्त हो गया।
समझौते के मूल बिंदु:
- कंपनी प्रबंधन ने बंदी क्षतिपूर्ति के तौर पर 72 महीने वेतन के भुगतान पर सहमति व्यक्त की है जिसमें से बंदी के समय दिए गए 12 माह वेतन मुआवजा राशि काट ली जाएगी।
- मुआवजे का भुगतान सभी विवादों का पूर्ण और अंतिम समाधान और निपटारा है।
- मुआवजा भुगतान धनराशि में ग्रेच्युटी, अर्जित अवकाश, भविष्य निधि संचय यदि कोई कोष हो, को शामिल नहीं किया गया है।
- संदर्भित औद्योगिक विवाद इस समझौते के अनुसार सुलझाया गया है और माननीय औद्योगिक न्यायधिकरण द्वार निर्णय के लिए कोई औद्योगिक विवाद शेष नहीं है।
- इस समझौते का लाम तभी स्वीकार्य होगे जब इसे माननीय औद्योगिक न्यायधिकरण, हल्द्वानी के समक्ष दाखिल किया जायेगा और माननीय औद्योगिक न्यायधिकरण अवार्ड पारित कर देगा।
- इस समझौते से कम्पनी बंदी सम्बन्धी समस्त विवाद सुलझा लिए गए हैं। श्रमिक पक्ष बंदी को स्वीकार करते हुए एकल या सामुहिक रूप से सेवा समाप्ति को चुनौती नहीं देंगे। इस समझौते को भविष्य में मिसाल नहीं बनेंगे।
(साभार मेहनतकश)
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