संगरूर में दलित खेतिहर मज़दूरों का तीन दिवसीय धरना शुरू
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संगरूर में दलित खेतिहर मज़दूरों ने अपना तीन (12-14) दिवसीय धरना शुरू कर दिया है।
जमीन प्राप्ति संघर्ष कमिटी (ZPSC) के साथ मिल कर दलित खेतिहर मज़दूरों में और अन्य किसान संघों ने अपनी मांगी को पूरा करने के लिए भगवंत मान का घर का घेराव किया।
संगरूर में मज़दूरों को इस धरने के पहले ही पुलिस प्रसाशन ने धारा 144 लागू कर दी है। लेकिन मज़दूरों का प्रदर्शन जारी है।
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किसान मज़दूर संघों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बस खेतिहर मज़दूरों को सरकार से बहुत उम्मीदें थीं। फिलहाल की परिस्थितियां में पंजाब में मान सरकार के शासन के चार महीने पूरे होने के बाद भी कोई सकारात्मक प्रतिकिया नजर नहीं आ रही है।
आज पंजाब के दलित खेतिहर मज़दूर अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जो मजदूर वर्ग के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है।
किसान संघों कहना है कि दैनिक दरों में वृद्धि, रोजगार गारंटी, भूमि वितरण, कर्ज माफी और दलितों पर अत्याचार रोकने की मांगों को पूरा करने के लिए पूरे प्रदेश से हजारों मजदूरों ने प्रतिबंधों को नजरअंदाज किया।
उनकी मांग है कि सरकार द्वारा साल भर रोजगार दिया जाना चाहिए, महंगाई के हिसाब से मजदूरी बढ़ाई जानी चाहिए, भूमिहीन दलितों के सरकारी व गैर-सरकारी कर्ज माफ करने चाहिए और सहकारी समितियों में सदस्यों की बिना शर्त भर्ती और ब्याज और सब्सिडी के तहत कर्ज मिलना चाहिए।
वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन कम से कम 5000 रुपए होनी चाहिए और वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा महिलाओं के लिए 55 साल और पुरुषों के लिए 58 वर्ष होनी चाहिए।
नेताओं ने दलितों पर अत्याचार बंद करने, श्रम कानूनों में संशोधन को निरस्त करने और इस मुद्दे को हल करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के लिए दबाव बनाया।
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आप को बात दें कि पंजाब के लगभग आठ कृषि मजदूर संघों ने 12 सितंबर से 14 सितंबर तक ड्रीमलैंड कॉलोनी के बाहर धरना आयोजित करने की घोषणा की थी और राज्य के सबसे बड़े किसान संघ, बीकेयू उग्रान ने आह्वान का समर्थन किया था।
गौरतलब है कि अभी कुछ समय पहले ही मान सरकार में अध्यापकों को 7 वेंवेतन आयोग को लागू किया था। इससे साफ तौर पर नज़र आ रहा है सरकार केवल अपने कर्मचारियों को ही खुश करना चाहती है। दलित खेतिहर मज़दूरों के लगातार प्रदर्शनों के बाद भी उनकी और ध्यान देने को बिलकुल भी राजी नहीं है।
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