इंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने के लिए रामनगर में धरना

इंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने के लिए रामनगर में धरना

उत्तराखंड के रामनगर में राजस्थान के जालौर में दलित छात्र को पानी का मटका छूने पर टीचर ने पीट-पीटकर मारे जाने की घटना पर आक्रोशित सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

यह प्रदर्शन समाजवादी लोक मंच के बैनर तले लखनपुर चौक में आयोजित किया गया इस प्रदर्शन के मध्यम से कार्यकर्ताओं ने दलित बच्चे की मौत के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।

प्रदर्शनकारियों का कहा कि “जातिवादी मानसिकता से ग्रसित हेड मास्टर द्वारा निर्मम हत्या की जाती है और राजस्थान की कांग्रेस सरकार जातिवाद के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों पर लाठी चार्ज करवा कर उनके दमन पर उतारू हो जाती है। राजस्थान की घटना से साफ है कि सत्ता पर बैठी हुई पार्टियां जातिवाद को बनाए रखना चाहती है।”

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कौशल्या चुनियाल ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि जातिवाद आज हमारे समाज में नासूर बन चुका है।राजस्थान की घटना दलित उत्पीड़न की एकमात्र घटना नहीं है। वर्तमान में स्थिति यह है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे दलित महिला द्वारा बनाया जाने वाला खाना भी खाने को तैयार नहीं हैं।

उनका कहना है कि आज भी जब दलित समाज के लोग किराए पर मकान लेने जाते हैं, तो पहले उनसे जाति पूछी जाती है। दलित जाति के लोगों को सवर्ण वर्ग के मकानमालिक किराये पर माकन या कमरा देने से इंकार कर देते हैं सवर्ण कमरा या मकान किराए पर देने को तैयार नहीं है।

गिरीश आर्य ने कहा कि अंबेडकर ने संविधान में समानता, स्वतंत्रता व भाईचारा के सिद्धांतों को स्थापित किया था परंतु जब तक देश में जातिवाद मौजूद रहेगा देश में समानता स्वतंत्रता व भाईचारा स्थापित नहीं हो सकता।

50 लाख मुआवजे का किया वादा मिले 5 लाख

मंच के संयोजक मनीष कुमार ने राजस्थान की गहलोत सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि विगत जून माह में कन्हैया लाल की हत्या पर उन्होंने ₹50 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की थी परंतु इंद्र मेघवाल की हत्या पर वह ₹5 लाख ही मुआवजा दे रहे हैं। क्योंकि वह इस तथाकथित सामाजिक व्यवस्था के क्रम में नीची जाति में आता है।

उन्होंने कहा कि समाजवादी लोक मंच जातिवाद मुक्त व शोषण विहीन भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। आजादी के 75 वर्षों बाद भी देश में यदि जातिवाद बचा हुआ है तो इसके लिए सत्ता पर बैठी हुई पार्टियां जिम्मेदार हैं।

उन्होंने अपने वोट बैंक को बनाए रखने व पूंजीपति वर्ग के हित के लिए, जातिवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए हैं।

वक्ताओं ने कहा कि जातिवाद एक घृणित मानसिकता है जिसके खिलाफ जन आंदोलन को तेज किया जाना चाहिए।

इसी क्रम में जातिवादी उत्पीड़न व राजस्थान की घटना के खिलाफ 19 अगस्त को दिन में 11 बजे से मालधन नंबर 2 के चौराहे पर धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया गया।

सभा को प्रभात ध्यानी, भुवन चंद्र, ललित उप्रेती, विद्यावती आर्य,तुलसी छिंबाल, इंद्रजीत सिंह, संजय कुमार, एमआर टम्टा, एडवोकेट ललित मोहन, संजीव घिल्डियाल, चिंताराम, किरण आर्य आदि ने संबोधित किया।

कार्यक्रम में महिलाओं समेत आसपास के क्षेत्र के लोगों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की।

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WU Team

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