मानेसर: नपिनो में निकाले गए कर्मचारियों को अभी तक नहीं लिया वापस
By शशिकला सिंह
हरियाणा के मानेसर सेक्टर 3 के प्लाट नम्बर 7 में स्थित ‘नपिनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड’ हड़ताल के दौरान निकाले गए सभी कर्मचारियों को अभी तक नहीं वापस नहीं लिया है।
एटक यूनियन के सदस्य शाम ने वर्कर्स यूनिटी से बातचीत के दौरान कहा कि प्रबंधन द्वारा किये जा रहे इस प्रकार के बर्ताव से लगता है कि प्रबंधन ने मज़दूरों को अघोषित रूप से छटनी करना चाहता है। उन्होंने बताया कि आज भी नपिनों के 271 मज़दूर इस बात के इंतज़ार में बैठे हैं कि सभी मज़दूरों को दोबारा काम पर बुलाया जाएगा।
यही नहीं प्लांट में उपस्थित सभी मशीनों को धीरे-धीरे दूसरे प्लांट में भेजा जा रहा है। जिसके बाद वहां काम करने वाले 271 मज़दूरों के सामने एक बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है।
3 अगस्त को मज़दूरों ने अपनी निलंबित मांगों के पूरा करने के लिए 20 दिनों तक लगातार जारी हड़ताल को ख़त्म कर दिया था। इस हड़ताल में 271 मजदूरों ने भाग लिया, जिसमें पुरुष के साथ महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था।
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इसी दिन प्रबंधन और मज़दूर संगठन के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते में प्रबंधन और हड़ताली मज़दूरों की आपसी सहमति से यूनियन ने सभी मज़दूरों से काम पर वापस आने को कहा था।
फ़िलहाल अभी तक किसी भी मज़दूरों को इस बात का मैसेज नहीं मिला है कि उनको काम पर वापस आना है।
ऐतिहासिक हड़ताल के दौरान कंपनी प्रबंधन ने 40 मज़दूरों को नोटिस भेजकर उनको निलंबित करने की चेतावनी दी थी। कुछ मजदूरों को ये नोटिस मिला था कुछ को नहीं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रबंधन और हड़ताली मज़दूरों की आपसी सहमति से यूनियन ने सभी मज़दूरों से काम पर वापस आने को कहा गया था। फ़िलहाल अभी तक किसी भी मज़दूरों को इस बात की कोई सुचना नहीं मिली है कि उनको काम पर वापस आना है।
प्लांट बंद करने की है पूरी तैयारी
नपिनों में काम करने वाले एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि पूरा महीना बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रबंधन में सभी मज़दूरों को वापस लेने की कोई बात नहीं की है।
जबकि प्रबंधन अब सेक्टर 8 में स्थित नपिनों के दूसरे प्लांट में मशीनों को शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि प्रबंधन धीरे-धीरे सेक्टर 7 स्थित प्लांट को खाली कर बंद करने की योजना बना चुका है।
लेकिन अभी तक प्रबंधन की ओर से मज़दूरों को इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
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नपिनो में काम करने वाली एक महिला मज़दूर का कहना है कि “प्रबंधन ने जुलाई के महीने के मज़दूरों को वेतन के तौर पर मात्र 10,000 रुपए ही दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि इतने कम वेतन में घर का खर्च और बच्चों का पालन पोषण करना काफी मुश्किल हो रहा है। महिला मज़दूर का कहना है कि इतने दिनों से प्रबंधन की तरफ से कोई सटीक जवाब नहीं आया है।
कम से कम नपिनो के अधिकारियों को इस बात की पक्की जानकारी दे देनी चाहिए कि मज़दूरों को वापस लिया जायेगा या नहीं। जिसके बाद हम सभी मज़दूर अपने लिए रोज़गार का कोई और माध्यम तलाशना शुरू कर दें।”
क्या थी हड़ताल की वजह?
नपिनो में लंबे समय से मांगपत्र लंबित पड़ा हुआ है और मैनेजमेंट यूनियन की लाख शिकायतों के बावजूद वार्ता करने को तैयार नहीं था।
यह हड़ताल पिछले चार साल से लम्बित सामूहिक मांग पत्र और 6 मज़दूरों के निलम्बन को लेकर शुरू की गयी है।
हड़ताली मज़दूरों का कहना है कि बीते चार सालों से श्रम विभाग की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया है।
मज़दूरों के अनुसार नपिनो में मौजूद यूनियन काफ़ी समय से मज़दूरों की मांगों को लेकर संघर्ष करती रहती है। इसके बावजूद प्रबन्धन के सदस्य कभी भी मज़दूरों की समस्याओं को सुनने को राजी नहीं है।
पिछले चार सालों में कम्पनी स्टाफ़ का वेतन हर साल बढ़ाये गये हैं, लेकिन मज़दूरों के वेतन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
यूनियन के प्रतिनिधियों का कहना है कि श्रम-विभाग भी प्रबन्धन की ही भाषा बोलता है, श्रम-विभाग पिछले चार सालों से मज़दूरों को झूठा आश्वासन दे रहा है।
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