दिल्ली एनसीआर के दर्जनों जिलों में फैक्ट्री मज़दूरों ने किया प्रदर्शन
गुड़गांव में आज फैक्ट्री मज़दूरों ने सीटू हरियाणा राज्य कमेंट के सदस्यों ने के साथ मिल कर “फैक्ट्री मज़दूर के मांग दिवस” पर पूरे एनसीआर में एक अभियान के तहत प्रदर्शन का आयोजन किया।
यह प्रदर्शन हरियाणा के 14 जिले, उत्तर प्रदेश के 8 जिले तथा राजस्थान के 2 जिले में आयोजित किया गया।
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सीटू के राज्य उपाध्यक्ष सतवीर सिंह ने वर्कर्स यूनिटी के बातचीत के दौरान कहा कि एनसीआर में काम कर रहे मजदूरों के खून-पसीने ने इस क्षेत्र को भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना दिया है। यह आकंड़ा जीडीपी का लगभग 8 प्रतिशत है।
एनसीआर के औद्योगिक मजदूर आईटी क्षेत्र के लिए मशहूर नोएडा-गुड़गाँव के स्पेशल इकोनॉमिक जोन व इंडस्ट्रियल क्लस्टर, फरीदाबाद औद्योगिक केंद्र, मेरठ के शैक्षणिक हब, गाजियाबाद से लेकर सोनीपत, पानीपत, बहादुरगढ़, रोहतक तथा अलवर के औद्योगिक क्षेत्रों तक में काम करते हैं।
उनका कहना है कि हम ऑटोमोबाइल, मेटल इंडस्ट्री, टेक्सटाइल, कपड़े व जूता उद्योग, दुग्ध उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रॉनिक पूर्जे के उद्योग, रबर व प्लास्टिक, छोटे तथा मझौले उद्योग, पर्यटन, रियल एस्टेट व स्टार्ट अप समेत अनेकों उद्योगों में काम करते हैं। हमारे कार्यक्षेत्र, हमारा काम, वेतन व सामाजिक श्रेणी अलग-अलग हो सकते हैं, पर हमारे शोषण व उत्पीड़न का तौर-तरीका एक समान है।
70 % मजदूर करते हैं ठेका मज़दूरी
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वर्तमान में कम्पनी प्रबंधन मजदूरों को काफी कम वेतन पर 12-12 घंटे काम करवाया जाता है। जिससे अन्ततः बड़े बड़े उद्योग अपना मुनाफा कमाते हैं।
जबकि मज़दूरों को न्युनतम वेतन, ईएसआई, पीएफ रोजगार गारंटी जैसी कोई भी सुविधा नहीं मिलती। हालफिलहाल में दिल्ली और एन सी आर में उद्योगों में करीबन 70 प्रतिशत मजदूर ठेके पर काम कर रहे हैं। कोरोना संकट मजदूरों पर भारी ऑफत के रूप में आया है।
उनका आरोप है कि “कोरोना का बहाना बनाकर मजदूरों की छंटनी की गई, वेतन में भारी कटौती हुई और काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 तक कर दिया गया है।
गौरतलब है कि जहां एक तरफ हरियाणा में ही 1985 के समय उत्पादन में मज़दूरों के वेतन का हिस्सा 44 फीसदी था वह अब 17 फीसदी रह गया है। वहीं दूसरी तरफ जबकि मालिकों का मुनाफा जो पहले केवल 12 फीसदी था वह 45 फीसदी से उपर पंहुच गया। राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 16 फीसदी के करीब हो गया।
प्रदर्शनकारियों की मांगें
- जल्द से जल्द लेबर कोड को रद्द किया जाना चाहिए।
- मज़दूरों का न्यूनतम वेतन 26000 रूपये किया जाना चाहिए।
- मजदूरों का उत्पीड़न बंद हो, छंटनीग्रस्त मज़दूरों को कार्यबहाल किया जाना चाहिए।
- ठेका प्रथा को खत्म कर सभी ठेका मज़दूरों को स्थाई किया जाना चाहिए।
- किसी भी मज़दूर यूनियनों का रजिस्ट्रेशन 45 दिनों में किया जाना चाहिए।
- ओवर लोड बंद करो, मजदूरों की कार्यस्थल पर सेफ्टी उपाय की गारंटी किया जाना चाहिए।
बुधवार को गुड़गाव मे आयोजित धरना प्रदर्शन सीटू नेता सतबीर सिंह, बलबीर सिंह, अमरनाथ वर्मा, विरेन्द्र सिंह, विनोद भारद्वाज एडवोकेट, इश्वर नास्तिक मानेसर मे किसान मजदूर के धरने मे भाग लिया व अभियान चलाया।
(स्टोरी सम्पादित, शशिकला सिंह)
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