इंटरार्क: कार्यबहिष्कार कर धरने पर बैठे मज़दूरों के समर्थन में आए किसान संगठन
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. के किच्छा प्लांट के मज़दूरों का मशीनों को शिफ्ट करने के विरोध में कार्यबहिष्कार धरना कल आठवें दी भी जारी रहा।
मज़दूरों के जोश को देखते हुए बुधवार को तराई किसान संगठन के पदाधिकारी एवं सदस्य किच्छा में धरना स्थल पर मजदूर आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही।
संगठन के सदस्य जरनैल सिंह ने कहा कि इंटरार्क के मज़दूरों के साथ प्रबंधन और प्रशाशन दोनों ने धोका किया है हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रबंधन ने मशीनों कोई शिफ्ट केर दिया है। यह बात पूरे देश बहुत ही निराशाजनक।
उनका कहना है कि जहां न्याय की गुहार लगाने वाले लोगों को शासन प्रशासन एवं उद्योगपतियों द्वारा कुचलने का काम किया जा रहा है।
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उन्होंने कंपनी प्रबंधक को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी की इतना लंबा समय गुजर जाने के बाद भी अगर कंपनी प्रबंधक मजदूरों की बातों पर अमल नहीं करते हैं तो और व्यापक आंदोलन किसान और मजदूर मिलकर करेंगे ।जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधकों एवं यहां के प्रशासन के अधिकारी होंगे।
आप को बता दें कि रुद्रपुर के सिडकुल में कंपनी के दूसरे प्लांट में हाल ही में एक महीने के लॉकआउट के बाद कंपनी खुली है और वहां भी मशीने शिफ्ट करने की कोशिश हो रही थी।
इन्टरार्क मज़दूरों का कहना है कि प्रबंधक का अड़ियल रवैए अब भी बरकरार है। प्रबंधक द्वारा मजदूरों की मांगों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। एवं मजदूरों पर दबाव बनाने के लिए प्रबंधक लगातार प्रशासन के साथ सांठगांठ करने में लगे हुए हैं।
कंपनी प्रबंधक तरह तरह के झूठे आरोप लगातार मजदूरों के ऊपर लगाने का प्रयास कर रहे हैं। और अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को सही ठहराने का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
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गौरतलब है कि पिछले 13 महीनों से मजदूर अपने शोषण व उत्पीड़न के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। जिसमें सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा फैक्ट्री के बाहर मज़दूर अपने परिवार संग लगातार चौबीसों घंटे धरना प्रदर्शन कर रहे है।
पिछले 4 वर्षों में मजदूरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई है। बोनस, एलटीए, व अन्य सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। झूठे मुकदमे व आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। लगातार 4 वर्षों से मजदूर अपने जायज मांगों को लेकर संघर्ष के मैदान में हैं। कंपनी प्रबंधको द्वारा श्रमिकों पर दबाव बनाने के लिए श्रमिकों पर झूठे आरोप लगाकर लगभग 95 मज़दूरों को बाहर कर दिया गया है।
हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के आदेश के बाद भी कंपनी प्रबंधक पुलिस प्रशासन से मिलकर कंपनी की मशीनों को बाहर निकालने में कामयाब हुए। जिसके कारण मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। दोनों प्लांटों के मजदूरों ने सामूहिक रूप से कार्य का बहिष्कार करते हुए धरने पर बैठ गए।
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