लखीमपुर हत्याकांड की पहली बरसी, एसकेएम का प्रदर्शन, पीएम को ज्ञापन
लखीमपुर हत्याकांड की पहली बरसी के दिन एसकेएम द्वारा प्रधानमंत्री को सौंपा ज्ञापन जायेगा। SKM की मुख्य मांग है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाये, निर्दोष किसानों की जेल से रिहाई और उनके ऊपर लगाए झूठे केस वापस लिया जाये।
किसान सयुक्त मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि पिछले साल आज ही के दिन तिकोनिया, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन कर वापस लौट रहे किसानों पर थार गाड़ी चढ़ा दी थी। इस घटना में चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गयी थी, 13 से अधिक किसान बुरी तरह घायल हुए थे।
संगठन ने ऐलान किया है कि मजबूरन आज देश भर में किसान और इस घटना से आहत अन्य तमाम वर्गों के न्यायपसंद लोग काली पट्टी बांधकर, शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए, केन्द्र सरकार का पुतला फूंकते हुए आपकी सरकार के किसानों के प्रति इस शत्रुतापूर्ण रवैये के विरोध में अपना रोष जाहिर कर करेंगे।
SKM का आरोप है कि “इस घटना के पीछे सुनियोजित षड़यंत्र था जिसे बाहुबली अजय मिश्र टैनी ने अपने बेटे आशीष मिश्र टेनी के साथ मिलकर रचा था।”
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देश भर में इस घटना के खिलाफ कड़ा विरोध -प्रदर्शन किया गया था। किसान संगठन का कहना है कि शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ, लेकिन उन मांगों पर न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया।
उनका कहना है कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया, तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार से बैठक कराने का वादा भी किया, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली।
न मिला मुआवजा और न नौकरी
SKM के सदस्यों खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि सकरार ने केवल 4 शहीद हुए किसानों और पत्रकार के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है। जब कि सरकार ने इस बात का भी आश्वासन दिया था कि घटना में घायल 13 अन्य सिकनों के परिवारों को भी मुआवजा दिया जायेगा और हादसे में मारे गए किसानों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। लेकिन अभी तक न तो अभी तक घायलों को मुआवजा मिला है और न परिजनों को नौकरी।
SKM में एक साल पहले किसानों की निर्मम हत्या को याद करते हुए कहा कि आज लखीमपुर के उन पांच किसानों की सुनियोजित हत्या को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है।
सयुक्त किसान मोर्चा की मांगें
सयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर लखीमपुर में किसानों और एक पत्रकार की हत्या सम्बन्धी तीन मुख्य मांगों की सूची तैयार की है। संगठन की पहली मांग है कि लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
उनका कहना है कि 3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत, एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
‘अजय टैनी को किया जाये बर्खास्त’
संगठन का आरोप है कि अजय मिश्र टैनी ही वे दोषी है जिनके आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध दर्ज किया था। उन्होंनें ही 25 सितंबर 2021 में एक सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था।
एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120 बी यानी हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद आपकी सरकार द्वारा अजय मिश्र टैनी को बचाने के प्रयास जारी है, और सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक केन्द्रीय मंत्री बने रहना है।
इतना ही नहीं अजय मिश्र टैनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानवाजी आज भी जारी है। आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के दोष में जेल भेजें।
‘किसानों की तत्काल रिहाई’
SKM की दूसरी मांग है कि जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी 4अक्टूबर, 2022 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डी एम, एस. एस. पी. से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इसे घटना को गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है, उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत जमानत दे देगी।
आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत न मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं।
किसान संगठन ने अपने पत्र में कहा है कि हम आपसे एकबार फिर कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है।
किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है। हमारा आपसे आग्रह है इन चार साथियों के ऊपर लगाए गएआरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाने और दोषमुक्त करें।
आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी
SKM की तीसरी मांग है कि शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा करो।
संगठन का कहना है कि सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी और सभी घायलों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देगी।
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SKM ने अपने मांग में इस बात भी जिक्र किया है कि घटना से संबंधित गवाहों पर जानलेवा हमले भी हुए, पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमें थोपने और डराने धमकाने की साजिशें होती रही हैं।
संगठन का आग्रह है इस घटना के सभी गवाहों और पैरवी कर रहे किसान नेताओं की मजबूती से सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है जो की जानी चाहिए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके।
(SKM का बयान)
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