नौकरी छोड़ने के कितने दिनों बाद होगा फुल एंड फाइनल सेटलमेंट, जानिए जहां
अगर आप नौकरी बदलने या छोड़ने की सोच रहे हैं तो अब आपको फुल सेटेलमेंट के लिए ज्यादा दिनों तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
नए वेतन कोड के मुताबिक अब आपको नौकरी छोड़ने के दो दिन के अंदर ही फुल एंड फाइनल सेटलमेंट (Full and Final Settlement- F&F) मिल जाना चाहिए।
एक तरफ जहां मोदी सरकार आनन फानन में इस नियम को लागू करना चाहती है, वही दूसरी तरफ कई राज्यों ने अभी तक इन नियमों की लागू करने पर सहमति नहीं जताई है। संविधान के मुताबिक इन कानूनों के प्रभावी होने से पहले राज्य की सहमति जरूरी है क्योंकि श्रम समवर्ती सूची (Concurrent List) में है।
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दो दिन में फुल एंड फाइनल
नए वेज कोड में नौकरी छोड़ने के बाद फुल एंड फाइनल को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। देश में सभी कंपनियों को नया वेतन कोड लागू होने के बाद उसके हिसाब से काम करना होगा।
यदि किसी कर्मचारी ने नौकरी छिड़ने का निर्णय लिया है या कर्मचारी को किन्ही कारणों से नौकरी से निकाला गया हो तो उसे अपने बकाया वेतन का फुल एंड फाइनल सत्तेल्मेंट करने के लिए बार बार कंपनी के चकर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ऐसे सभी कर्मचारियों के उनके काम के आखरी दिन के बाद दो दिनों के भीतर फुल एंड फाइनल सेटलमेंट किया जाना होगा।
अभी लगता है लम्बा समय
वर्त्तमान समय में कर्मचारियों को अपने बकाया वेतन का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट होने के लिए 45 दिनों से 60 दिनों इंतज़ार करना पड़ा है। कुछ मामलों में यह 90 दिनों तक चला जाता है।
नए वेतन कोड में कहा गया है कि अब एक कंपनी को कर्मचारियों को उनके अंतिम कार्य दिवस के दो दिनों के भीतर पूर्ण और अंतिम निपटान का भुगतान करना होगा।
क्या कहता है नियम?
नियम के अनुसार, “जहां एक कर्मचारी को – (i) सेवा से हटाया या बर्खास्त किया गया है, या (ii) छंटनी की गई है या सेवा से इस्तीफा दे दिया है या कंपनी बंद होने के कारण नौकरी से निकाल दिए गए हैं, उसे ड्यू का भुगतान उसके निष्कासन, बर्खास्तगी, छंटनी या जैसा भी मामला हो, उसके इस्तीफे के दो कार्य दिवसों के भीतर किया जाएगा।
NDTV में प्रकाशित खबर के मुताबिक, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली की लोकसभा में लिखित जवाब के अनुसार, केवल 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने वेतन पर संहिता के तहत ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किए हैं।
यदि वेज कोड लागू किया जाता है, तो व्यवसायों को अपनी पेरोल प्रक्रियाओं को फिर से व्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार श्रम कानूनों के बजाय चार लेबर कोड — वेतन, सामाजिक सुरक्षा, श्रम संबंध, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति को जल्द ही लागू करने की फिराक में है।
यह कोड लागू होने के बाद औद्योगिक घरानों के अपने कर्मचारियों के साथ व्यवहार करने के तरीके में काफी बदलाव आएगा और काम के घंटे, वेतन और कर्मचारियों के अन्य अधिकारों को भी प्रभावित करेगा।
उदाहरण के लिए, वेतन संहिता लागू होने के बाद, कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि की गणना के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे।
फिलहाल 23 राज्य नए लेबर कोर्ड के कानून के प्री-पब्लिश्ड ड्राफ्ट को अपना चुके हैं। लेकिन बाकी के राज्यों ने इसे अभी तक नहीं अपनाया है।
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